संस्कृति मंत्रालय
संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने राष्ट्रीय ग्रामीण विरासत संरक्षण कार्यक्रम (एनएमसीएम) के अंतर्गत क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ग्राम विरासत के डिजिटल दस्तावेजीकरण पर जोर दिया।
प्रविष्टि तिथि:
19 DEC 2025 9:10PM by PIB Delhi
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) ने नई दिल्ली स्थित आईजीएनसीए में एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम (स्तर-I) का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 26 जनवरी 2026 को होने वाली अखिल भारतीय ग्राम सभाओं की राष्ट्रव्यापी श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित किया गया ।

इस पहल का उद्देश्य एनएमसीएम की प्रमुख योजना "मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी)" के तहत भारत की मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण को और मजबूत करना है, साथ ही विरासत-आधारित सहभागिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के नए अवसर उत्पन्न करने है।

उद्घाटन सत्र में संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में और पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राजेश कुमार सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। स्वागत भाषण आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने दिया।
सभा को संबोधित करते हुए श्री विवेक अग्रवाल ने इस पहल को भारत के गांवों के लिए एक सशक्त डिजिटल उपस्थिति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने एमजीएमडी पोर्टल को समृद्ध बनाने के लिए पांच सूत्री रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें पोर्टल की व्यापक समझ विकसित करना, इसकी श्रेणियों और सीमाओं का आकलन करना, 'योगदान करें' टैब के माध्यम से सुधारात्मक उपाय अपनाना, सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) विधियों का उपयोग करके डेटा एकत्र करना और अंततः पोर्टल को समृद्ध बनाना शामिल था। इस पहल को "पीआरए में विरासत" बताते हुए उन्होंने प्रतिभागियों से विभागीय सीमाओं से परे सहयोगात्मक रूप से कार्य करने का आग्रह किया। उनका संबोधन एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ समाप्त हुआ।
श्री राजेश कुमार सिंह ने सांस्कृतिक मानचित्रण में पंचायती राज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और उनके व्यापक जमीनी अनुभव और पहुंच के बारे में बताया। उन्होंने व्यापक कवरेज और प्रभावी परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध कार्यान्वयन, निरंतर निगरानी और लगातार जमीनी मार्गदर्शन के महत्व पर बल दिया।
अपने संबोधन में डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने तेजी से शहरीकरण हो रही दुनिया में गांवों के मूल स्वरूप और आत्मा को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। माननीय प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने एमजीएमडी पोर्टल पर मूर्त और अमूर्त विरासत दोनों के दस्तावेजीकरण के महत्व पर बल दिया और कहा कि 2035 तक भारतीय समाज को उपनिवेशवाद से मुक्त करने का लक्ष्य गांवों की पहचान और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करके ही प्राप्त किया जा सकता है।
समापन सत्र में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए, जबकि अतिरिक्त सचिव श्री सुशील कुमार लोहानी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। श्री विवेक भारद्वाज ने अपने बचपन के ग्रामीण जीवन की यादें साझा करते हुए समय के साथ धीरे-धीरे विलुप्त हो रही अमूर्त सांस्कृतिक परंपराओं की ओर ध्यान दिलाया। उनके विचारों ने प्रशिक्षकों को नए सिरे से प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ प्रलेखन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा दी।
***
पीके/केसी/केएल/एनके
(रिलीज़ आईडी: 2206925)
आगंतुक पटल : 48
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें:
English