कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
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कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, व्यापार सुगमता 2.0 सुधारों के तहत कंपनियों पर अनुपालन का बोझ कम करने के लिए समय पर कदम उठा रहा है


छोटी कंपनियों के लिए अनुपालन का बोझ कम करने के उद्देश्य से एक दिसंबर, 2025 से सीमाएं बढ़ा दी गई हैं; भुगतान पूंजी का मानदंड चार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये और कारोबार का मानदंड 40 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है

प्रविष्टि तिथि: 16 DEC 2025 6:09PM by PIB Delhi

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कॉरपोरेट पर अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए समय-समय पर निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाए हैं:

  1. कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का कार्य अधिनियम में संशोधन के माध्यम से दो चरणों में (वर्ष 2018 और वर्ष 2020 में) किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत 51 अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। इसके अलावा, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत 12 अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। इस प्रकार के अधिकतर अपराधों को सिविल अपराध में परिवर्तित कर दिया गया है, जिनका निपटारा मौद्रिक दंड लगाकर किया जाएगा। इससे आपराधिक अदालतों और राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण पर बोझ कम हुआ है।
  2. त्वरित विलय के दायरे को फरवरी 2021 में विस्तारित किया गया ताकि स्टार्ट-अप का अन्य स्टार्ट-अप और लघु कंपनियों के साथ विलय हो सके। सितंबर 2025 में इस दायरे को और विस्तृत किया गया ताकि अधिक प्रकार की कंपनियां इस मार्ग को चुन सकें।
    इसके अलावा, समयबद्ध तरीके से अनुमोदन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से त्वरित विलय के लिए ‘‘मानित अनुमोदन’’ की व्यवस्था शुरू की गई है।
  3. भारतीय सार्वजनिक कंपनियों द्वारा स्वीकृत विदेशी क्षेत्राधिकारों में प्रतिभूतियों को सीधे सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई है। यह ‘‘ब्रांड इंडिया’’ के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है और बढ़ते प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए आकर्षण बढ़ाता है, दक्षता और विकास को बढ़ावा देता है, पूंजी का वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है और निवेशक आधार को व्यापक बनाता है।
  4. त्वरित कॉरपोरेट निकासी प्रसंस्करण केंद्र (सी-पेस) की स्थापना मई 2023 में की गई थी, जिसका उद्देश्य हितधारकों को उनकी कंपनियों और एलएलपी के नामों को रजिस्टर से समय पर और प्रक्रियाबद्ध तरीके से हटाने के लिए परेशानी मुक्त फाइलिंग प्रदान करके उन्हें सक्षम बनाना था।
  5. केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) की स्थापना फरवरी 2024 में 12 गैर-स्ट्रेट थ्रू प्रोसेस स्वरूपों के केंद्रीकृत प्रसंस्करण के लिए की गई थी।
  6. एक दिसंबर 2025 से छोटी कंपनियों के लिए निर्धारित सीमा को बढ़ा दिया गया है। भुगतान पूंजी का मानदंड चार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है और कारोबार का मानदंड 40 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है। इससे छोटी कंपनियों की परिभाषा के अंतर्गत अधिक संख्या में कंपनियां आ जाती हैं, जिन पर बड़ी कंपनियों की तुलना में कम अनुपालन आवश्यकताएं लागू होती हैं।

इसके अलावा, सरकार ने जीवन सुगमता और व्यापार सुगमता बढ़ाने के लिए और अधिक अपराधमुक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। इसमें जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) अधिनियम, 2023 भी शामिल है, जिसने 42 केंद्रीय अधिनियमों के तहत 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। अनुपालन के बोझ को कम करने की पहल के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने सरलीकरण, डिजिटलीकरण, अपराध की श्रेणी से बाहर करने और अनावश्यकताओं को दूर करने के माध्यम से स्व-पहचान अभ्यासों द्वारा 47,000 से अधिक अनुपालनों को सफलतापूर्वक कम किया है।

व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने, अनुपालन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने और कॉरपोरेट फाइलिंग को सुव्यवस्थित करने के लिए एमसीए21 का तीसरा संस्करण (एमसीए21 वी3) की शुरुआत की गई है। एमसीए21 वी3 के माध्यम से वेब फाइलिंग, एलएलपी मॉड्यूल, कंपनी मॉड्यूल और ई-बुक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम जैसी सुविधाएं लागू की गई हैं। अब सभी फाइलिंग इसी प्रणाली के माध्यम से की जा रही हैं, जो पहले से भरे हुए मास्टर डेटा के साथ वास्तविक समय पर सत्यापन प्रदान करता है, जिससे मानवीय त्रुटियां, पुनः प्रस्तुतियां और अनुपालन की समयसीमा कम हो जाती हैं।

उपरोक्त के अलावा, हितधारकों को फाइलिंग आवश्यकताओं से परिचित कराने और साथ ही उनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक तंत्र प्रदान करने हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गए:-

  1. हितधारकों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए नियमित रूप से वेबिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पोर्टल पर वीडियो ट्यूटोरियल, चैटबॉट, उपयोगकर्ता मैनुअल और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) उपलब्ध हैं, जो उपयोगकर्ताओं को रिटर्न दाखिल करने में सहायता करते हैं।
  2. यह पोर्टल एक डैशबोर्ड सुविधा प्रदान करता है जो हितधारकों को वास्तविक समय में फाइलिंग, भुगतान की स्थिति और अनुमोदन को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।
  3. एमसीए21 पोर्टल से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए एक हेल्पडेस्क तंत्र स्थापित किया गया है। शिकायत निवारण को और बेहतर बनाने के लिए एमसीए ने टिकट क्लोजर (बंद होने) की समीक्षा करने के लिए पेशेवर संस्थानों के साथ साझेदारी की है। इन संस्थानों की एक समर्पित टीम, शिकायत निवारण की निगरानी करने और टिकट बंद होने के बाद उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए एमसीए के साथ मिलकर काम करती है।


सूचीबद्ध कंपनियों के लिए एसईबीआई (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2015 (“एलओडीआर”) निदेशक मंडल के प्रकटीकरण और जिम्मेदारियों पर केंद्रित व्यापक प्रावधानों के माध्यम से नैतिक शासन और बोर्ड की जवाबदेही को बढ़ावा देते हैं। प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  1. कानून प्रवर्तन प्राधिकरण (एलओडीआर) का विनियमन चार प्रत्येक सूचीबद्ध इकाई और उसके निदेशक मंडल के खुलासे और दायित्वों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को निर्धारित करता है। इनमें शेयरधारकों के अधिकार, सूचना का समय पर प्रसार, समान व्यवहार, पारदर्शिता आदि शामिल हैं।
  2. एलओडीआर के विनियमन 17(5) के अनुसार निदेशक मंडल को सूचीबद्ध इकाई के निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन के सभी सदस्यों के लिए आचार संहिता निर्धारित करनी होगी। आचार संहिता में कंपनी अधिनियम, 2013 में निर्धारित स्वतंत्र निदेशकों के कर्तव्यों को भी उपयुक्त रूप से शामिल किया गया है। निदेशक मंडल के सभी सदस्यों और वरिष्ठ प्रबंधन कर्मियों को वार्षिक आधार पर निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन की आचार संहिता के अनुपालन की पुष्टि करना आवश्यक है।
  3. एलओडीआर के विनियमन 17(10) में पूरे बोर्ड के औपचारिक, वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन को अनिवार्य किया गया है, जिसमें शामिल होगा- (ए) निदेशकों का प्रदर्शन; और (बी) इन विनियमों में निर्दिष्ट स्वतंत्रता मानदंडों की पूर्ति और प्रबंधन से उनकी स्वतंत्रता।

उपरोक्त मूल्यांकन में मूल्यांकन के दायरे में आने वाले निदेशक भाग नहीं लेंगे। निदेशक मंडल की नामांकन एवं पारिश्रमिक समिति (एनआरसी) स्वतंत्र निदेशकों और निदेशक मंडल के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए मानदंड तैयार करने के लिए जिम्मेदार है।

इस अधिनियम के तहत, सीएसआर एक बोर्ड द्वारा संचालित प्रक्रिया है और कंपनी के बोर्ड को अपनी सीएसआर समिति की सिफारिशों के आधार पर सीएसआर गतिविधियों की योजना बनाने, निर्णय लेने, उन्हें क्रियान्वित करने तथा उनकी निगरानी करने का अधिकार है।
सीएसआर के लिए पात्र कंपनियों को सीएसआर से संबंधित खुलासे की रिपोर्ट करने के लिए फॉर्म सीएसआर-2 दाखिल करना आवश्यक है। कंपनियों द्वारा एमसीए21 रजिस्ट्री में दर्ज किए गए सीएसआर से संबंधित सभी डेटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं और इन्हें www.csr.gov.in पर देखा जा सकता है।

एमसीए21 वी3 में प्रवर्तन और अनुपालन मॉड्यूल सहित डेटा विश्लेषण-आधारित विशेषताओं को एकीकृत किया गया है।

इनमें प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) और अनुपालन प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) शामिल हैं, जो कंपनियों और फाइलिंग के जोखिम-आधारित वर्गीकरण, चेतावनी और अपवाद रिपोर्ट के स्वत: निर्माण और गैर-अनुपालन के तरीकों के विश्लेषण का उपयोग करते हैं।

यह जानकारी कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री और सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/एसएस


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