महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
भारत में महिला-केंद्रित विकास की ओर तेजी से बदलाव हो रहा है
सरकार द्वारा उठाए गए कदम महिला सशक्तिकरण के प्रति व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं
प्रविष्टि तिथि:
12 DEC 2025 4:37PM by PIB Delhi
केंद्र सरकार देश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। सरकार ने महिलाओं के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि उनकी शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण से संबंधित बाधाओं को दूर किया जा सके। परिणामस्वरूप, भारत महिला-प्रधान विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे नए भारत का निर्माण करना है जहां महिलाएं तीव्र गति से और सतत राष्ट्रीय विकास में अग्रणी भूमिका निभाएं।
महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम "नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023" (संविधान का एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम 2023 के लागू होने से उठाया गया, जिसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं, जिनमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी विधानसभा भी शामिल है, में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गईं।
महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए, चार श्रम संहिताएं - मजदूरी संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियां संहिता, 2020 - 21 नवंबर 2025 से लागू की गई हैं, जिनमें 29 पूर्ववर्ती श्रम कानूनों का युक्तिकरण किया गया है। इन सुधारों के अंतर्गत, संहिताएं लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करती हैं, समान वेतन अनिवार्य करती हैं और महिलाओं के लिए अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में हर समय काम करने के द्वार खोलती हैं, जिनमें भूमिगत खनन और भारी मशीनरी से संबंधित कार्य और रात्रि शिफ्ट शामिल हैं। उनकी सहमति और नियोक्ताओं द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपायों के अधीन।
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के जीवन स्तर को सुगम बनाने और उनकी कठिनाइयों को कम करने के उद्देश्य से, स्वच्छ भारत मिशन के तहत 11.8 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। उज्ज्वला योजना के तहत 10.3 करोड़ से अधिक परिवारों को महिलाओं के नाम पर स्वच्छ गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं और जल जीवन मिशन के तहत 15 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वच्छ और पीने योग्य नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी का उद्देश्य सभी बेघर परिवारों और कच्चे एवं जर्जर मकानों में रहने वाले परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्के मकान उपलब्ध कराकर 'सभी के लिए आवास' प्रदान करना है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों सहित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी आवास प्रदान करना है।
सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं ने लड़कियों के भविष्य में वित्तीय निवेश को प्रोत्साहित किया है। समग्र शिक्षा जैसी योजनाएं, स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था, विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत किफायती और गुणवत्तापूर्ण सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता आदि ने भी व्यवहारिक बदलाव लाने में योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत, सरकार 1200 से अधिक चिकित्सा पैकेजों के माध्यम से 55 करोड़ से अधिक नागरिकों को निःशुल्क उपचार प्रदान कर रही है। इनमें से 141 से अधिक चिकित्सा पैकेज विशेष रूप से महिलाओं की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत सात प्रकार की जांच (टीबी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मुख कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और मोतियाबिंद) उपलब्ध हैं, जिनसे करोड़ों महिलाओं को लाभ हुआ है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 150,000 से अधिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी), जिन्हें आयुष्मान आरोग्य मंदिर भी कहा जाता है, स्वास्थ्य सेवा को समुदायों के करीब ले जा रहे हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसका विशेष ध्यान गरीब और वंचित महिलाओं पर है। देशभर में 16,000 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) कार्यरत हैं। पीएमबीजेके किफायती दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के अलावा, जिनमें लगभग 40 महिला-विशिष्ट वस्तुएं शामिल हैं, 'सुविधा सैनिटरी नैपकिन' नामक सैनिटरी नैपकिन की बिक्री भी करते हैं, जिनकी कीमत मात्र 1 रुपये प्रति पैड है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के माध्यम से बीमा कवरेज और पेंशन द्वारा सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु सरकार ने स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत देश भर में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए गए हैं। महिलाओं के प्रशिक्षण और शिक्षुता के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा तैयार करने पर विशेष जोर दिया गया है। इसी प्रकार, ग्रामीण आबादी को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) चला रही है। इन योजनाओं से महिलाओं और लड़कियों को रोजगार और उद्यमिता के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने में भी सहायता मिली है।
केंद्र सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन है, जिसके तहत लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूह, जिनमें लगभग 10 करोड़ सदस्य हैं, रोजगार/स्वरोजगार के लिए ग्रामीण परिदृश्य को बदल रहे हैं। सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए नमो द्रोण दीदी, लखपति दीदी, बैंक सखी, बीमा सखी जैसी महिला-विशिष्ट योजनाएं भी लागू की हैं।
मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि), सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधि योजना (सीजीएमएसई), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) जैसी योजनाएं रोजगार/स्वरोजगार के अवसर और ऋण सुविधाएं प्रदान करती हैं। इन योजनाओं के लाभार्थियों में अधिकांश महिलाएं हैं।
भारत सरकार ने सार्वजनिक खरीद नीति के माध्यम से सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे अपनी वार्षिक खरीद का कम से कम 3% हिस्सा महिला स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से प्राप्त करें।
भारत सशस्त्र बलों में लड़कियों की भूमिका को बढ़ावा दे रहा है। सरकार ने भारतीय वायु सेना में लड़ाकू पायलट, कमांडो, केंद्रीय पुलिस बल, सैनिक विद्यालयों में प्रवेश, एनडीए में लड़कियों का प्रवेश आदि जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को सक्षम बनाने के लिए भी प्रावधान किए हैं।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईएनएएम) कृषि उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन व्यापार मंच है, किसानों के प्रश्नों का उनकी अपनी बोली में फोन पर उत्तर देने के लिए "किसान कॉल सेंटर" योजना है और किसान सुविधा, कृषि बाजार, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल, उमंग (नए युग के शासन के लिए एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन) जैसे मोबाइल एप्लिकेशन हैं। ये डिजिटल नवाचार महिलाओं को बाजारों तक पहुँचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या उनकी भरपाई करने में मदद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदि जैसी किसान कल्याणकारी योजनाएं महिला किसानों के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा दे रही हैं। इन पहलों के माध्यम से सरकार कृषि विस्तार सेवाओं सहित उत्पादक संसाधनों तक महिला किसानों की पहुँच में सुधार कर रही है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में समग्र सुधार हो रहा है।
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक है आपराधिक न्याय प्रणाली का आधुनिकीकरण और सुधार। सरकार ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय सुरक्षा अधिनियम (बीएसए) लागू किए हैं, जो 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुए हैं। बीएनएस 2023 में, भारतीय दंड संहिता, 1860 में पहले से बिखरे हुए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को अध्याय-V के अंतर्गत समेकित किया गया है। इसमें महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानूनों को मजबूत करने के लिए नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, विशेष रूप से, "संगठित अपराध" से संबंधित धारा 111, विवाह, रोजगार, पदोन्नति के झूठे वादे पर या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाने से संबंधित धारा 69, किसी अपराध को अंजाम देने के लिए बच्चे को काम पर रखने, नियोजित करने या संलग्न करने से संबंधित धारा 95 आदि। वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से बच्चे को खरीदने (धारा 99), सामूहिक बलात्कार (धारा 70) और तस्करी किए गए व्यक्ति के शोषण (धारा 144) से संबंधित अपराधों के संबंध में सजा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ कुछ गंभीर अपराधों जैसे वेश्यावृत्ति के उद्देश्य से बच्चे की खरीद (बीएनएस की धारा 99), संगठित अपराध (धारा 111), भीख मंगवाने के उद्देश्य से बच्चे का अपहरण या उसे अपंग करना (धारा 139) के संबंध में अनिवार्य न्यूनतम दंड निर्धारित किए गए हैं। साथ ही, बीएनएस 2023 की धारा 75 और 79 उत्पीड़न के खिलाफ अतिरिक्त कानूनी सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिनमें अवांछित यौन संबंध बनाने का प्रयास, यौन अनुग्रह की मांग, यौन संबंधी टिप्पणियां और किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से शब्द, हावभाव या कृत्य शामिल हैं। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली महिला इन प्रावधानों के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है।
बीएनएसएस पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाता है और कानूनी प्रक्रिया के दौरान पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करता है। यह महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों की शिकायतों के त्वरित पंजीकरण को सुगम बनाने और समय पर पुलिस कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर प्रावधान लागू करता है। इसके अतिरिक्त, बीएनएसएस की धारा 398 के तहत गवाह संरक्षण योजनाओं की शुरुआत की गई है, जो गवाहों को धमकियों और डरा-धमकाने से बचाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को स्वीकार करती है। साथ ही, बीएसए की धारा 2(1)(डी) के तहत ईमेल, कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन पर मौजूद दस्तावेज़, संदेश और डिजिटल उपकरणों पर संग्रहीत वॉइसमेल संदेशों जैसे इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड को भी कार्यस्थल पर महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए दस्तावेजों की परिभाषा के अंतर्गत शामिल किया गया है।
कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (एसएच अधिनियम) के विभिन्न प्रावधानों को शामिल करते हुए एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म "एसएचई-बॉक्स पोर्टल" शुरू किया है। यह पोर्टल देश भर में गठित आंतरिक समितियों (आईसी) और स्थानीय समितियों (एलसी) से संबंधित सूचनाओं का एक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध केंद्रीकृत भंडार प्रदान करता है, चाहे वे सरकारी हों या निजी क्षेत्र की हों। यह शिकायतों को दर्ज करने और उनकी स्थिति पर नज़र रखने के लिए एक साझा मंच भी प्रदान करता है। पोर्टल में एक ऐसी सुविधा है जिसके तहत केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और निजी क्षेत्र के संबंधित कार्यस्थलों की आईसी/एलसी को पंजीकृत शिकायतें स्वतः ही भेज दी जाएंगी। पोर्टल प्रत्येक कार्यस्थल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का प्रावधान करता है, जिसे शिकायतों की वास्तविक समय में निगरानी के लिए नियमित रूप से डेटा/सूचना को अद्यतन करना आवश्यक है। यह पोर्टल 22 भाषाओं में उपलब्ध है ताकि दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली कामकाजी महिलाओं को इसका उपयोग करने में सुविधा हो सके।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के लिए "मिशन शक्ति" नामक एक व्यापक योजना लागू की है। इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने हिंसा का सामना कर रही या संकट में फंसी महिलाओं को एकीकृत सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए देश भर में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए हैं। इसके अलावा, 24x7 महिला हेल्पलाइन (टेलीफोन शॉर्ट कोड 181) भी उपलब्ध है, जो जरूरतमंद महिलाओं को उचित अधिकारियों से जोड़कर आपातकालीन और गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों से संबंधित जानकारी भी प्रदान करती है, ताकि वे इनका लाभ उठा सकें। योजना का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) घटक लिंग-भेदभावपूर्ण लिंग-चयन को रोकने और लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा बाल विवाह को हतोत्साहित करने पर केंद्रित है। बीबीबीपी ने बालिका के महत्व को लेकर नागरिकों के मन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शक्ति सदन का घटक संकट में फंसी, बेसहारा और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की शिकार महिलाओं, जिनमें मानव तस्करी की शिकार महिलाएं भी शामिल हैं, उन्हें सहायता और समर्थन प्रदान करता है। सखी निवास कार्यक्रम के तहत कामकाजी महिलाओं और रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं एवं लड़कियों को सुरक्षित एवं किफायती आवास के साथ शिशु देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। पालना कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी-सह-क्रेच में शिशु देखभाल की सुविधा प्रदान की जाती है ताकि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके। राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर स्थापित महिला सशक्तिकरण केंद्र ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में महिलाओं से संबंधित सरकारी योजनाओं के बारे में सूचना विषमता की समस्या का समाधान करते हैं। प्रधानमंत्री वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद लाभ प्रदान किया जाता है।
भाषा को सकारात्मक सांस्कृतिक परिवर्तन की एक मूलभूत शक्ति के रूप में मान्यता देते हुए, एक ऐसे वातावरण को विकसित करने का प्रयास करते हुए जहां विविध दृष्टिकोणों को स्वीकार किया जाता है, महत्व दिया जाता है और सशक्त बनाया जाता है, सरकार ने नवंबर 2023 में लिंग-समावेशी संचार पर एक मार्गदर्शिका शुरू की, जिसका उद्देश्य भाषा में मौजूद गहरे पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और रणनीतियों को बढ़ावा देने और प्रदान करने के लिए स्थापित भाषाई मानदंडों को बदलना है।
ये सभी उपाय मिलकर महिला सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हैं, जो महिला वैज्ञानिक योजना, विज्ञान ज्योति योजना, विदेश छात्रवृत्ति योजना आदि के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने तक भी विस्तारित है।
यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।
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पीके/ केसी/ जेएस
(रिलीज़ आईडी: 2203345)
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