विद्युत मंत्रालय
सरकार बढ़ती चरम मांग को पूरा करने के लिए विद्युत उत्पादन क्षमता विस्तार की रणनीति बना रही है
व्यापक उत्पादन एवं ट्रांशमिशन योजना के अंतर्गत 2031-32 तक 874 गीगावाट क्षमता का लक्ष्य निर्धारित
प्रविष्टि तिथि:
11 DEC 2025 5:32PM by PIB Delhi
देश में बिजली की चरम मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले पांच वर्षों में देश की चरम मांग तालिका में दी गई है। पिछले वर्षों में बिजली की मांग में लगातार वृद्धि होने के बावजूद, देश की उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण बिजली की मांग एवं उपलब्धता के बीच के अंतर में कमी आयी है।
देश में भविष्य की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
1. उत्पादन योजना:
- राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) के अनुसार, 2031-32 में स्थापित उत्पादन क्षमता 874 गीगावाट होने का अनुमान है। इसमें पारंपरिक स्रोतों, कोयला, लिग्नाइट आदि, नवीकरणीय स्रोतों, सौर, पवन एवं जल विद्युत से प्राप्त क्षमता शामिल है।
- उत्पादन क्षमता को अनुमानित चरम मांग से ज्यादा रखने के उद्देश्य से, सभी राज्यों ने सीईए के परामर्श से अपनी "संसाधन पर्याप्तता योजनाएं (आरएपी)" तैयार की हैं, जो गतिशील 10-वर्षीय आवर्ती योजनाएं हैं और इसमें विद्युत उत्पादन के साथ-साथ विद्युत खरीद योजना भी शामिल है।
- सभी राज्यों को सलाह दी गई है कि वे अपनी संसाधन पर्याप्तता योजनाओं के अनुसार, सभी उत्पादन स्रोतों से उत्पादन क्षमता निर्माण/अनुबंध करने की प्रक्रिया शुरू करें।
- विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने निम्नलिखित क्षमता संवर्धन कार्यक्रम शुरू किया है:
(ए) वर्ष 2034-35 तक अनुमानित तापीय (कोयला एवं लिग्नाइट) क्षमता की आवश्यकता लगभग 3,07,000 मेगावाट होने का अनुमान है, जबकि 31.03.2023 तक स्थापित क्षमता 2,11,855 मेगावाट थी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, विद्युत मंत्रालय ने कम से कम 97,000 मेगावाट की अतिरिक्त कोयला एवं लिग्नाइट आधारित तापीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए कई पहलें शुरू की जा चुकी हैं। अप्रैल 2023 से नवंबर 2025 तक लगभग 16,560 मेगावाट की तापीय क्षमता वाली परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं। इसके अलावा, 40,345 मेगावाट की तापीय क्षमता (जिसमें 4,845 मेगावाट की संकटग्रस्त तापीय ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं) वर्तमान में निर्माणाधीन है। 22,920 मेगावाट के लिए कार्य सौंपे जा चुके हैं और इनका निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है। साथ ही, देश में कोयला एवं लिग्नाइट आधारित 24,020 मेगावाट की संभावित क्षमता की पहचान की गई है, जो योजना के विभिन्न चरणों में है।
(बी) 13,223.5 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, 4,274 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाएं योजना के विभिन्न चरणों में हैं और इन्हें 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
(सी) 6,600 मेगावाट परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है और इसे 2029-30 तक पूरा करने का लक्ष्य है। 7,000 मेगावाट परमाणु क्षमता योजना एवं अनुमोदन के विभिन्न चरणों में है।
(डी) 1,56,900 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जिसमें 69,180 मेगावाट सौर ऊर्जा, 29,650 मेगावाट पवन ऊर्जा और 57,630 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है, निर्माणाधीन है, जबकि 51,420 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जिसमें 36,530 मेगावाट सौर ऊर्जा और 13,090 मेगावाट हाइब्रिड ऊर्जा शामिल है, योजना के विभिन्न चरणों में है और 2029-30 तक पूरा होने का लक्ष्य है।
(ई) ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में, 11870 मेगावाट/71220 मेगावाट/घंटे की पंप स्टोरेज परियोजनाएं (पीएसपी) निर्माणाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, कुल 6580 मेगावाट/39480 मेगावाट/घंटे की पंप स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) के लिए सहमति प्राप्त हो चुकी है और इनका निर्माण कार्य अभी शुरू होना बाकी है। 25,407.54 मेगावाट/77,092.52 मेगावाट/घंटे की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएस) वर्तमान में निर्माण/बोली प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
2. ट्रांशमिशन योजना:
अंतर-राज्य और अंत:राज्य ट्रांशमिशन प्रणाली की योजना बनाई जा चुकी है और उत्पादन क्षमता में वृद्धि की समय-सीमा के अनुरूप इसका कार्यान्वयन किया जा रहा है। राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुसार, 2022-23 से 2031-32 तक 10 वर्षों में लगभग 1,91,474 किलोमीटर ट्रांशमिशन लाइनें और 1,274 जीवीए (220 केवी और उससे ऊपर के वोल्टेज स्तर पर) रूपांतरण क्षमता जोड़ने की योजना है।
3. नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन:
- अंतर-राज्य ट्रांशमिशन प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क को 30 जून 2025 तक चालू किए जाने वाले सौर एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं की अंतर-राज्य बिक्री के लिए, हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिए दिसंबर 2030 तक और समुद्र तट पवन परियोजनाओं के लिए दिसंबर 2032 तक माफ किया गया है।
- ग्रिड से जुड़े सौर, पवन, पवन-सौर हाइब्रिड और फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल (एफडीआरई) परियोजनाओं से विद्युत की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया हेतु मानक बोली दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियां (आरईआईए) नियमित रूप से नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत की खरीद के लिए बोलियां आमंत्रित करती हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100 प्रतिशत तक की अनुमति प्रदान की गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में तीव्र बढ़ोत्तरी के लिए आवश्यक ट्रांशमिशन अवसंरचना को मजबूत करने के लिए, 2032 तक की ट्रांशमिशन योजना तैयार की गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा के परिवहन के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना के अंतर्गत नई अंतरराज्यीय ट्रांशमिशन लाइनें बिछाने और नए उप-स्टेशन क्षमता निर्माण करने के लिए धन उपलब्ध कराया गया है।
- सौर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए योजना लागू की जा रही है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स को बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भूमि और ट्रांशमिशन उपलब्ध कराया जा सके।
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम), पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) के अंतर्गत नई सौर ऊर्जा योजना (जनजातीय और पीवीटीजी बस्तियों/गांवों के लिए) एवं धरती आभा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए जेजीयूए), राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) योजना जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए, नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) और उसके बाद नवीकरणीय उपभोग दायित्व (आरसीओ) की प्रक्रिया 2029-30 तक अधिसूचित की गई है। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अंतर्गत सभी नामित उपभोक्ताओं पर लागू होने वाले आरसीओ का पालन न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
- "अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए रणनीति" जारी की गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए एक्सचेंजों के माध्यम से ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) शुरू किया गया है।
- सौर पीवी मॉड्यूल की आपूर्ति श्रृंखला को स्थानीय बनाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई है।
- पिछले पांच वर्षों में देश में चरम मांग में हुई वृद्धि का विवरण निम्न है:
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वर्ष
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चरम मांग
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चरम मांग
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यह जानकारी विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एके
(रिलीज़ आईडी: 2203173)
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