जल शक्ति मंत्रालय
अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग और नदी पुनरुद्धार
प्रविष्टि तिथि:
04 DEC 2025 6:15PM by PIB Delhi
नदियों की सफाई और उनका पुनरुद्धार एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों (यूटी), स्थानीय निकायों और औद्योगिक इकाइयों की यह प्राथमिक ज़िम्मेदारी है कि वे नदियों, अन्य जल निकायों, तटीय किनारों अथवा भूमि में छोड़ने से पहले सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों का निर्धारित मानक के अनुसार उपचार सुनिश्चित करें ।
सीवेज उपचार में कमी को पूरा करने के लिए, जल शक्ति मंत्रालय गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के लिए नमामि गंगे की केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत और अन्य नदियों के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) की केन्द्र प्रायोजित योजना के माध्यम से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्मार्ट सिटीज़ मिशन जैसे कार्यक्रम के तहत सीवरेज अवसंरचना बनाया जाता है।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के माध्यम से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी)/ प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) द्वारा औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन की निगरानी की जाती है तथा उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों /स्थानीय निकायों और औद्योगिक इकाइयों को सीवेज एवं अपशिष्ट उपचार संयंत्र स्थापित करने और निर्धारित मानकों का पालन करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, उद्योगों को उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपने अपशिष्ट जल के उत्पादन को कम करने, अपशिष्ट जल को पुन: उपयोग/पुन: चक्रण करने और जहां तक हो सके शून्य तरल निर्वहन बनाए रखने के लिए बढ़ावा दिया जाता है।
सीपीसीबी के अनुसार, अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) की कुल संख्या 4493 है। इनमें से 3633 उद्योग संचालन में हैं और 860 उद्योग अपने आप बंद हो गए हैं। संचालित उद्योगों में से, 3031 उद्योगों को पर्यावरणीय मानकों का पालन करते हुए पाया गया है, जबकि 572 उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, अनुपालन न करने वाले 29 उद्योगों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं और एक इकाई को निर्देश जारी किया गया है।
जल शक्ति मंत्रालय ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में विकास गतिविधियों को विनियमित करने और उससे जुड़े खतरों को कम करने के लिए राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण पर तकनीकी दिशानिर्देश जारी किया है।
अक्टूबर, 2025 में 'जल गुणवत्ता की बहाली हेतु प्रदूषित नदी खंड' के संबंध में प्रकाशित सीपीसीबी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषित नदी खंडों (पीआरएस) की कुल संख्या वर्ष 2018 में 351 से घटकर वर्ष 2025 में 296 तक हो गई है। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में प्रदर्शित किया गया है कि 22 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में 149 पीआरएस को सूची से हटा दिया गया है और 20 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में स्थित 71 पीआरएस में वर्ष 2018 और वर्ष 2025 के बीच नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्ष 2018 और वर्ष 2025 की रिपोर्ट में कुछ नदी खंडों के प्रदूषण स्तर में सुधार दिखाने वाले राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, हिमाचल, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पुदुचेरी, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने उपचारित जल के पुन: उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बनाया है, जो राज्यों को उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग हेतु राज्य की नीति बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करता है। अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग बढ़ाने हेतु व्यय के राज्य-वार ब्यौरे का रखरखाव नहीं किया जाता है।
सीपीसीबी अपने राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूक्यूएमपी) के माध्यम से नियमित तौर पर नदियों में जल की गुणवत्ता की निगरानी करता है। सीपीसीबी ने सीपीसीबी/एसपीसीबी को स्वत: निगरानी के लिए रियल टाइम डेटा हेतु सभी जीपीआई को ऑनलाइन निरंतर अपशिष्ट निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। यह प्रणाली पूरे देश में लागू है। सीधी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता की नियमित रूप से मैनुअल निगरानी की जा रही है। सरकार अपने विधिक और विनियामक फ्रेमवर्क, बेसिन-वार दृष्टिकोण, प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली और उनकी वित्तीय सहायता आदि के माध्यम से अंतर-राज्यीय समन्वय सुनिश्चित करती है।
जल संरक्षण सरकार की कई प्रमुख योजनाओं/अभियानों का मुख्य घटक है, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए), जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (जेएसए:सीटीआर), अटल भूजल योजना आदि शामिल हैं। इन योजनाओं को अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण के माध्यम से लागू किया जाता है ताकि जल संरक्षण को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, सरकार ने अतिदोहन एवं गंभीर ग्रामीण ब्लॉकों (डार्क ज़ोन) में जल संरक्षण, जल संचयन एवं संबंधित कार्यों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) निधि का न्यूनतम 65% आवंटन अनिवार्य किया है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सिद्धार्थनगर जिले में गंगा और यमुना नदी तथा उनकी सहायक नदियों में कोई जीपीआई नहीं है।
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (गंगा और उसकी सहायक नदियों को छोड़कर) और नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत पंजाब सहित स्वीकृत और जारी की गई धनराशि का राज्य-वार विवरण अनुलग्नक-1 में दिया गया है। जल संचय जनभागीदारी 1.0 पहल के अंतर्गत सृजित कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का विवरण अनुलग्नक-2 में दिया गया है।
नमामि गंगे, एनआरसीपी, अमृत 2.0, स्मार्ट सिटीज मिशन आदि जैसी योजनाओं के तहत नए सीवेज उपचार संयंत्रों के स्थापना के माध्यम से नई उपचार क्षमता के निर्माण सुनिश्चित हुआ है। इसके अलावा, पुराने सीवेज उपचार संयंत्रों की रेट्रोफिटिंग और आधुनिक तथा कुशल प्रौद्योगिकी अपनाकर मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों को अपग्रेड करने, मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों के संचालन और रखरखाव को सुदृढ़ करने और सीवर नेटवर्क में सुधार करने को भी सरकार बढ़ावा दे रही है।
सरकार नदी तटों के संरक्षण के लिए संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय, पारिस्थितिकीय संरक्षण और समन्वित संस्थागत व्यवस्थाएं भी करती है । इसके अलावा, सरकार ने स्टॉर्मवॉटर प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें अमृत और स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत शहरी ड्रेनेज को मजबूत करना, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना के तहत झीलों और वेटलैंड्स का पुनरुद्धार करना और केंद्रीय लोक स्वास्थ्य पर्यावरण इंजीनियरिंग संगठन (सीपीएचईईओ) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा स्टॉर्मवॉटर गाइडलाइंस को लागू करना शामिल है। उपर्युक्त उल्लिखित उपाय मध्य प्रदेश समेत देश के सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र में लागू है।
मध्य प्रदेश से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगरीय विकास विभाग (नगर निगम) ने छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में 28 एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित किया है। भोपाल में, चार प्रमुख तालाबों, अपर लेक, लोअर लेक, कलियासोत और केरवा जलाशय, के जल की गुणवत्ता की मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा नियमित रूप से निगरानी की जा रही है और जल की गुणवत्ता बी श्रेणी में पाई गई है जो कि खुले में स्नान के लिए उपयुक्त है। सीवेज उपचार के लिए सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित किया गया है और नगरीय विकास विभाग द्वारा कार्यान्वित अमृत योजना के अंतर्गत कार्यवाही की जा रही है। सीहोर जिले में, बुधनी शहर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और बुधनी शहर के सीवेज को रोकने के लिए दो सीवरेज उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
***
एनडी
अनुलग्नक-I
(क) राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (गंगा और उसकी सहायक नदियों को छोड़कर) के तहत स्वीकृत लागत और जारी की गई राशि का राज्य-वार ब्यौरा
(रूपए करोड़ में)
|
क्रम सं.
|
राज्य
|
स्वीकृत लागत
|
केंद्र सरकार द्वारी जारी की गई राशि
|
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
110.21
|
288.06
|
|
2
|
तेलंगाना
|
345.72
|
|
3
|
जम्मू और कश्मीर
|
342.65
|
169.05
|
|
4
|
झारखंड
|
3.14
|
4.26
|
|
5
|
गुजरात
|
1875.29
|
1052.73
|
|
6
|
गोवा
|
95.23
|
51.43
|
|
7
|
कर्नाटक
|
66.25
|
47.83
|
|
8
|
महाराष्ट्र
|
3109.85
|
940.10
|
|
9
|
मध्य प्रदेश
|
20.16
|
12.46
|
|
10
|
मणिपुर
|
190.12
|
100.93
|
|
11
|
ओडिशा
|
92.74
|
63.40
|
|
12
|
पंजाब
|
774.43
|
516.14
|
|
13
|
राजस्थान
|
172.60
|
25.01
|
|
14
|
तमिलनाडु
|
908.13
|
623.65
|
|
15
|
केरल
|
115.76
|
7.78
|
|
16
|
सिक्किम
|
608.12
|
406.85
|
|
17
|
नगालैंड
|
140.12
|
68.33
|
|
कुल
|
8970.52
|
4378.01
|
(ख) नमामि गंगे कार्यक्रम (गंगा एवं उसकी सहायक नदियां) के अन्तर्गत स्वीकृत लागत एवं जारी की गई राशि का राज्यवार ब्यौरा
(रुपए करोड़ में)
|
क्रम सं.
|
राज्य
|
स्वीकृत लागत
|
केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई राशि
|
|
1.
|
उत्तराखंड
|
1743.00
|
918.00
|
|
2.
|
उत्तर प्रदेश
|
16201.00
|
5553.00
|
|
3.
|
बिहार
|
7752.00
|
3404.00
|
|
4.
|
झारखंड
|
1310.00
|
250.00
|
|
5.
|
पश्चिम बंगाल
|
4657.00
|
1620.00
|
|
6.
|
हरयाणा
|
218.00
|
148.00
|
|
7.
|
दिल्ली
|
1987.00
|
1522.00
|
|
8.
|
हिमाचल प्रदेश
|
12.00
|
4.00
|
|
9.
|
राजस्थान
|
258.00
|
131.00
|
|
10.
|
मध्य प्रदेश
|
670.00
|
-
|
|
|
कुल :
|
34808.00
|
13550.00
|
अनुलग्नक-II
|
जल संचय जन भागीदारी 1.0 के तहत राज्य-वार प्रगति
|
|
(31.05.2025 तक की स्थिति)
|
|
क्र. सं.
|
राज्य
|
पूर्ण कार्य
|
|
1
|
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
|
119
|
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
36338
|
|
3
|
असम
|
1715
|
|
4
|
बिहार
|
134930
|
|
5
|
छत्तीसगढ
|
405563
|
|
6
|
चंडीगढ़
|
11
|
|
7
|
दिल्ली
|
201
|
|
8
|
दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव
|
92
|
|
9
|
गोवा
|
7
|
|
10
|
गुजरात
|
133522
|
|
11
|
हिमाचल प्रदेश
|
148
|
|
12
|
हरियाणा
|
7465
|
|
13
|
झारखंड
|
2798
|
|
14
|
जम्मू और कश्मीर
|
6129
|
|
15
|
कर्नाटक
|
115303
|
|
16
|
केरल
|
5396
|
|
17
|
लद्दाख
|
1
|
|
18
|
महाराष्ट्र
|
7149
|
|
19
|
मेघालय
|
3356
|
|
20
|
मणिपुर
|
34
|
|
21
|
मध्य प्रदेश
|
278852
|
|
22
|
मिजोरम
|
1
|
|
23
|
नागालैंड
|
63
|
|
24
|
ओडिशा
|
101174
|
|
25
|
पंजाब
|
6093
|
|
26
|
पुदुचेरी
|
161
|
|
27
|
राजस्थान
|
364968
|
|
28
|
सिक्किम
|
18
|
|
29
|
तेलंगाना
|
520362
|
|
30
|
तमिलनाडु
|
73394
|
|
31
|
त्रिपुरा
|
12305
|
|
32
|
उत्तराखंड
|
2333
|
|
33
|
उत्तर प्रदेश
|
141055
|
|
34
|
पश्चिम बंगाल
|
27
|
|
कुल
|
2361083
|
(स्रोत: जल संचय जन भागीदारी पोर्टल)
*****
एनडी
(रिलीज़ आईडी: 2200198)
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