अंतरिक्ष विभाग
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संसद प्रश्न: भारतीय स्वदेशी अंतरिक्ष केंद्र

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 5:28PM by PIB Delhi

इसरो ने पांच मॉड्यूल वाले स्वदेशी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की पूरी आकृति तैयार कर ली है। इसके 2035 तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है। इसकी पूरी आकृति की समीक्षा एक राष्ट्रीय स्तरीय समीक्षा समिति ने की है। सितंबर 2024 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस-01) के पहले मॉड्यूल के विकास और प्रक्षेपण को मंज़ूरी दी थी। बीएएस-01 मॉड्यूल की समग्र प्रणाली इंजीनियरिंग और विभिन्न उप-प्रणालियों की प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियां अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं।

विभिन्न पूर्ववर्ती मिशनों, बीएएस-1 के विकास और प्रक्षेपण के लिए बजटीय आवंटन को गगनयान कार्यक्रम के संशोधित दायरे में शामिल किया गया है। इसे सितंबर, 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुमोदन के आधार पर पहले से स्वीकृत गगनयान कार्यक्रम में अतिरिक्त धनराशि के साथ बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

पहले मॉड्यूल अर्थात बेस मॉड्यूल (बीएएस-01) का विकास और प्रक्षेपण 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तथा पांच मॉड्यूलों के साथ बीएएस का पूर्णतः परिचालन 2035 तक पूरा होने की उम्मीद है।

इसरो, बीएएस-01 उप-प्रणालियों के डिज़ाइन में आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय मानकों को शामिल कर रहा है ताकि अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की प्रदत्त प्रणालियों के साथ बीएएस-01 की अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ वर्तमान में कार्यरत सहयोग उपकरणों के माध्यम से, भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास और विशिष्ट परीक्षण सुविधाओं के उपयोग हेतु समर्थन सहित सहयोग के संभावित क्षेत्रों की भी खोज की जा रही है। 

गगनयान पहला मानवयुक्त प्रदर्शन मिशन है जो पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) तक सुरक्षित मानव परिवहन और पृथ्वी पर वापसी की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) निरंतर भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम में अगला तार्किक कदम है। यह अंतरिक्ष अन्वेषण के और नए रास्ते खोलेगा, जिससे एलईओ में अद्वितीय सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण वातावरण का उपयोग उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों के लिए संभव होगा। साथ ही, इससे भारत के अंतरिक्ष विजन 2047 में परिकल्पित भारतीय मानव अन्वेषण मिशनों (अर्थात, चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग) को भी सहायता मिलेगी।  

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पीके/केसी/एके/वाईबी


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