औषधि विभाग
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घरेलू एपीआई विनिर्माण को मजबूती

प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025 10:40PM by PIB Delhi

औषधि विभाग द्वारा कार्यान्वित उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के अंतर्गत सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (एपीआई) पार्कों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, औषधि विभाग 3,000 करोड़ रुपए के बजटीय परिव्यय के साथ बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की अन्‍य एक योजना का कार्यान्वयन कर रहा है। इसके अंतर्गत तीन बल्क ड्रग पार्कों को मंजूरी दी गई है और वे आंध्र प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अपने-अपने राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इन पार्कों की कुल परियोजना लागत 6,306.68 करोड़ रुपए से अधिक है जिसमें सामान्य अवसंरचना सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रत्येक को 1,000 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता शामिल है। इन पार्कों में स्थापित इकाइयों के लिए बल्क ड्रग या एपीआई निर्माताओं को रियायती दर पर भूमि और बिजली, पानी, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, भाप, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व गोदाम की सुविधाएं प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। संबंधित राज्यों की राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों ने भी स्थायी पूंजी निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी, राज्य माल और सेवा कर प्रतिपूर्ति, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट आदि के रूप में राजकोषीय प्रोत्साहन की पेशकश की है। इसके अलावा, इस योजना में पार्कों में भूमि आवंटन के लिए आवेदकों को बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना में प्राथमिकता वाले उत्पादों के विनिर्माण के लिए इकाइयां स्थापित करने हेतु भूमि आवंटन में प्राथमिकता प्रदान की गई है।

विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही पीएलआई योजनाओं का ब्यौरा इस प्रकार है: (i) भारत में महत्वपूर्ण प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/दवा मध्यवर्ती (डीआई) और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (जिसे थोक दवाओं के लिए पीएलआई योजना के रूप में भी जाना जाता है): इस योजना का उद्देश्य उन महत्वपूर्ण दवाओं को बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण एपीआई की आपूर्ति में व्यवधान को रोकना है। इस योजना का बजटीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपए है। सितंबर 2025 तक, योजना की उत्पादन अवधि के साढ़े तीन वर्षों में 4,763.34 करोड़ रुपए का निवेश पहले ही किया जा चुका है इसके अलावा, 26 केएसएम/डीआई/एपीआई के लिए उत्पादन क्षमताएं बनाई गई हैं, जिन्हें पहले मुख्य रूप से आयात किया जाता था। इस योजना के परिणामस्वरूप सितंबर 2025 तक 2,315.44 करोड़ रुपए की संचयी बिक्री हुई है, जिसमें 508.12 करोड़ रुपए का निर्यात शामिल है। इसके फलस्‍वरूप 1,807.32 करोड़ रुपए के आयात को टाला जा सका। इस योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2029-30 तक है। (ii) फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना: इस योजना का उद्देश्य फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ाकर देश की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में उच्च मूल्य वाली वस्तुओं के लिए उत्पाद विविधीकरण में योगदान देना है और उच्च मूल्य वाली दवाओं जैसे बायोफार्मास्युटिकल्स, जटिल जेनेरिक दवाओं, पेटेंट दवाओं या पेटेंट समाप्ति के करीब दवाओं, ऑटो-इम्यून दवाओं, कैंसर-रोधी दवाओं आदि के उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। इसका बजटीय परिव्यय 15,000 करोड़ रुपए है। सितंबर 2025 तक, योजना की छह साल की अवधि में लक्षित 17,275 करोड़ रुपए का प्रतिबद्ध निवेश, ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड दोनों परियोजनाओं में योजना उत्पादन अवधि के साढ़े  तीन वर्षों में किए गए 40,890 करोड़ रुपए के संचयी निवेश से काफी अधिक हो गया है। इसके अलावा, इस योजना के तहत 726 एपीआई/केएसएम/डीआई का निर्माण किया जा रहा है जिनमें 191 ऐसे हैं जिनका निर्माण इस योजना के तहत पहली बार किया गया है। सितंबर 2025 तक इस योजना के तहत उत्पादित एपीआई/केएसएम/डीआई की संचयी घरेलू बिक्री 26,123 करोड़ रुपए मूल्य की है और इस प्रकार आयात को सीमित करने में भी मदद मिल रही है। इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2028-29 तक है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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पीके/केसी/बीयू/एम


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