रक्षा मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में अनुसंधान और विकास

प्रविष्टि तिथि: 01 DEC 2025 2:42PM by PIB Delhi

सरकार ने रक्षा विनिर्माण में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए निम्‍न कदम उठाए हैं

  • निजी उद्योगों सहित विकास सह उत्पादन साझेदार (डीसीपीपी)/उत्पादन एजेंसी (पीए): रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को शामिल करते हुए प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से संभावित विनिर्माण एजेंसी की पहचान करने और उत्पादन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विनिर्माण प्रौद्योगिकी को स्थानांतरित करने के लिए डीसीपीपी मॉडल लागू किया है।
  • उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी): डीआरडीओ ने उप-प्रणालियों, प्रणालियों और उपकरणों के निर्माण हेतु 2000 उद्योगों का एक समूह विकसित किया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों की प्रौद्योगिकी, विकास सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी)/उत्पादन एजेंसी (पीए)/विकास भागीदार (डीपी) के लिए शून्य टीओटी शुल्क पर घरेलू उद्योगों को हस्तांतरित की जाती है। इन उद्योगों को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • डीआरडीओ पेटेंट: भारतीय उद्योगों द्वारा डीआरडीओ पेटेंट के मुक्त क्षेत्र की नीति लागू की गई है।
  • प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ): रक्षा मंत्रालय की टीडीएफ योजना को डीआरडीओ द्वारा सार्वजनिक/निजी उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई)/स्टार्ट-अप्स की भागीदारी को प्रोत्साहित करने और मेक-इन-इंडिया पहल के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए क्रियान्वित किया जाता है। टीडीएफ के माध्यम से स्वीकृत परियोजनाओं को भी काफी सफलता मिली है, जिनमें से 26 प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है और दो परियोजना प्रणालियों को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजा गया है। सरकारी आदेश के अनुरूप, डीप-टेक और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए टीडीएफ योजना के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई है।
  • नई स्टार्ट-अप नीति: डीआरडीओ इन उभरते स्टार्ट-अप्स के साथ संपर्क को सुगम बनाने के लिए एक नई नीति ला रहा है। इस नीति का उद्देश्य स्टार्ट-अप्स के साथ जुड़ने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उनके नवीन विचारों का लाभ उठाना है।
  • डेयर टू ड्रीम: चार डेयर टू ड्रीम प्रतियोगिताएं सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी हैं। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसे इकोसिस्‍टम का निर्माण करना है, जिसमें भविष्य में स्टार्ट-अप्स और व्यक्तिगत नवप्रवर्तकों को अनुसंधान एवं विकास में शामिल करके भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस आवश्यकताओं को अपनाने की अच्छी संभावनाएं हैं।
  • उद्योगों को परीक्षण सुविधा सहायता: डीआरडीओ प्रयोगशालाओं में कई विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास परीक्षण सुविधाएं अब उद्योगों के लिए उपलब्‍ध हैं और इनके लिए आवश्यक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार कर ली गई है। डीआरडीओ की 24 प्रयोगशालाओं की परीक्षण सुविधाओं को रक्षा परीक्षण पोर्टल (डीटीपी) पर अपलोड कर दिया गया है। यह पोर्टल मंत्रालय की परीक्षण अवसंरचना रक्षा उद्योगों को पारदर्शी ढंग से उपलब्ध कराता है।
  • उद्योगों के साथ संपर्क: उद्योगों की सुविधा के लिए प्रयोगशालाओं में उद्योग संपर्क समूह (आईआईजी) स्थापित किए गए हैं।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत के लिए खोला गया: वर्ष 2022-23 की बजट घोषणाओं के आधार पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत के लिए खोल दिया गया है।
  • बाह्य अनुसंधान: बाह्य अनुसंधान का उद्देश्य महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में आवश्यक ज्ञान और क्षमताओं का विकास करना, शोधकर्ताओं के साथ संपर्क स्थापित करना, कुशल मानव संसाधन विकसित करना और देश में विकसित हो रहे रक्षा अनुसंधान एवं विकास इको सिस्‍टम का समर्थन करने के लिए भारतीय शैक्षणिक संस्थानों/अनुसंधान केंद्रों में अनुसंधान अवसंरचना को बढ़ावा देना है।
  • डीआरडीओ-उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई): डीआरडीओ के पास डीआरडीओ उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) के एक नेटवर्क के माध्यम से रक्षा और सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण और भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकियों के विकास में सहयोगात्मक निर्देशित अनुसंधान हेतु नीति और तंत्र मौजूद है। इसके तहत कुल 15 डीआईए-सीओई स्थापित किए गए हैं जो लगभग 82 चिन्हित अनुसंधान क्षेत्रों में अनुवादात्मक अनुसंधान गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं।
  • रक्षा उद्योग गलियारे: डीआरडीओ उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे को ज्ञान भागीदार के रूप में उद्योगों के साथ सहयोग करके सहायता प्रदान कर रहा है। इन गलियारों की स्थापना 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने और 'मेक इन इंडिया' के लक्ष्य को साकार करने के लिए की गई है।
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स): माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने  अप्रैल 2018 को रक्षा के लिए नवाचार इको सिस्‍टम आईडीईएक्स की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य स्टार्ट-अप्स/एमएसएमई/व्यक्तिगत इनोवेटर्स, अनुसंधान और विकास  संस्थानों और शिक्षाविदों सहित उद्योगों को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है। आईडीईएक्स स्टार्ट-अप्स/एमएसएमई विजेताओं को अनुसंधान और विकास करने के लिए अनुदान/वित्त पोषण और अन्य सहायता प्रदान करता है, जिनमें भविष्य में भारतीय रक्षा और एयरोस्पेस आवश्यकताओं को अपनाने की क्षमता है।
  • डीएपी-2020 के अध्याय- III के अंतर्गत 'मेक' प्रक्रिया में रक्षा उपकरणों का डिज़ाइन, विकास और विनिर्माण शामिल है। पिछले तीन (03) वर्षों (मार्च 2025 तक) में 'मेक' प्रक्रिया की विभिन्न श्रेणियों (मेक-I/II/III) के अंतर्गत कुल 70 परियोजनाओं को सैद्धांतिक स्वीकृति (एआईपी) प्रदान की गई है।

डीआरडीओ ने पिछले 3 वर्षों में कुल 148 नई अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के संबंध में बजट अनुमान (बीई), संशोधित अनुमान (आरई) और वास्तविक आवंटन, पिछले तीन वर्षों के वास्तविक व्यय और वर्ष 2025-26 के बजट अनुमानों के अनुसार आवंटन का विवरण निम्नानुसार है:

(करोड़ रुपये में)

 

वर्ष

अनुमोदित बजट अनुमान

(करोड़ रुपये में)

 अनुमोदित संशोधित अनुमान

(करोड़ रुपये में)

अनुमोदित एमए

(करोड़ रुपये में)

वास्तविक

(करोड़ रुपये में)

2022-23

21,330.20

21,130.20

21,130.20

20,585.78

2023-24

23,263.89

23,691.74

23,195.89

22,927.50

2024-25

23,855.61

24,696.94

24,938.70

24,696.94

2025-26

26,816.82

-

-

-

 

सरकार टीडीएफ, डेयर टू ड्रीम, टीओटी, डीसीपीपी और आईडीईएक्स आदि जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से रक्षा उद्योगों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की साझेदारी को बढ़ावा देती है।

यह जानकारी रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने आज राज्य सभा में श्री एस. सेल्वागणबथी को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।

***

पीके/केसी/जेके/एमपी


(रिलीज़ आईडी: 2197052) आगंतुक पटल : 82
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English , Urdu , Tamil