रक्षा मंत्रालय
चाणक्य रक्षा संवाद 2025 का समापन
परिवर्तन के लिए सुधार - सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत
प्रविष्टि तिथि:
28 NOV 2025 6:02PM by PIB Delhi
भारतीय सेना द्वारा सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज के सहयोग से आयोजित चाणक्य रक्षा संवाद आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दो दिवसीय यह महत्वपूर्ण आयोजन नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित किया गया। समापन दिवस पर माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
यह संवाद सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत की राष्ट्रीय आकांक्षा का सशक्त प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है। कार्यक्रम ने तेजी से जटिल होती वैश्विक व्यवस्था के बीच भारत के सामने उभर रही नई सुरक्षा चुनौतियों, चल रहे रक्षा सुधारों और युद्धक्षेत्र को बदल रही आधुनिक तकनीकी प्रगतियों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया।
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर मुख्य हरित एवं डिजिटलीकरण गतिविधियों का अनावरण किया और सशक्त, सुरक्षित व विकसित भारत के लिए जारी रक्षा सुधारों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चाणक्य रक्षा संवाद एक ऐसा महत्वपूर्ण मंच है, जहां भारतीय सेना का परिचालन, अनुभव और रणनीतिक सोच एक साथ आकर भविष्यन्मुखी नीतियों को आकार देते हैं। उन्होंने बदलते वैश्विक शक्ति केंद्रों, शांति एवं संघर्ष के बीच धुंधली होती सीमाओं तथा साइबर, अंतरिक्ष, सूचना और संज्ञानात्मक प्रभाव जैसे युद्ध के उभरते आयामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन परिवर्तनों के बीच व्यापक रक्षा सुधार एक रणनीतिक अनिवार्यता हैं। श्री सिंह ने आर्थिक मजबूती, तकनीकी क्षमता और सैद्धांतिक विदेश नीति द्वारा संचालित भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सुधार, लचीलापन और आधुनिकीकरण न केवल देश की रक्षा संरचना बल्कि अर्थव्यवस्था और समाज को भी सुदृढ़ करेंगे। इस संदर्भ में रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों को राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के सबसे मज़बूत स्तंभ बताया। उन्होंने क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचे के विकास, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों, आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने तथा सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों के कल्याण को सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि एक सशक्त, सुरक्षित व विकसित भारत वैश्विक स्थिरता, उभरती प्रौद्योगिकियों के नैतिक उपयोग और मूलभूत मानवीय मूल्यों के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अंत में उन्होंने संवाद में हुए समृद्ध विचार-विमर्श की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे मंच राष्ट्र की रणनीतिक दूरदृष्टि को और गहरा करते हैं तथा भारत को एक आत्मविश्वासी, सक्षम एवं भविष्य के लिए तैयार राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने की दिशा प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य राजदूत डी. बी. वेंकटेश वर्मा ने “2047 में सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा” विषय पर एक महत्वपूर्ण विशेष व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता तभी सार्थक हो सकती है जब देश में स्वतंत्र रूप से सोचने, निर्णय लेने व आवश्यक होने पर स्वयं लड़ने की इच्छाशक्ति तथा क्षमता मौजूद हो और कोई भी बाहरी साझेदारी हमारी कमजोरी में न बदल पाए। वेंकटेश वर्मा ने एक ऐसे संचालनात्मक रूप से सक्षम सैन्य सिद्धांत की आवश्यकता रेखांकित की, जिसे बिना बाहरी हस्तक्षेप के प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। इसके लिए उन्होंने सशक्त रक्षा-औद्योगिक आधार, विश्वसनीय और सुरक्षित तकनीकी विकल्प तथा कम आर्थिक निर्भरताएं विकसित करने पर बल दिया। राजदूत वर्मा ने कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता केवल रक्षा ढांचों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के राष्ट्रीय आत्मविश्वास, रक्षा निवेश की राजनीतिक-सामाजिक इच्छा और आधुनिक युद्ध के अनुरूप प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने की क्षमता पर भी निर्भर करती है। उन्होंने उत्पादकता, सुरक्षा और कल्याणकारी शक्ति के बीच संतुलन को अनिवार्य बताते हुए तेज व व्यापक सुधारों, उच्च रक्षा व्यय, सशक्त अनुसंधान एवं विकास तथा एकीकृत संयुक्त सैन्य संरचनाओं के निर्माण का आह्वान किया। राजदूत वर्मा ने कहा कि भारत का दीर्घकालिक रणनीतिक लचीलापन और 2047 तक एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उसका उदय, इस बात पर निर्भर करेगा कि देश उच्च आर्थिक विकास दर को बनाए रखे और यह सुनिश्चित करे कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय या तकनीकी निर्भरता राष्ट्रीय स्वायत्तता को निर्बल न करे।
पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजदूत पंकज सरन ने “प्रौद्योगिकी के माध्यम से पारंपरिक युद्ध रणनीतियों का पुनर्परिभाषीकरण” विषय पर एक गहन और विचारोत्तेजक व्याख्यान दिया। उन्होंने आधुनिक युद्धकला में सैद्धांतिक बदलावों, प्रौद्योगिकी-संचालित तत्परता और रणनीतिक पुनर्परिभाषा की अनिवार्यता पर विशेष बल दिया।
पंकज सरन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की केंद्रीय भूमिका अब निर्विवाद है। पारंपरिक युद्धों में इसका प्रभाव न केवल बढ़ा है बल्कि यह ऐतिहासिक रूप से संघर्ष के विकास और सैन्य सोच के परिवर्तन के साथ गहराई से जुड़ा रहा है। उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राजदूत के रूप में अपने समृद्ध अनुभव का उल्लेख करते हुए पंकज सरन ने बताया कि भारत के रणनीतिक संस्थान अब प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय सुरक्षा के एक प्रमुख एवं स्थायी स्तंभ के रूप में देखने लगे हैं। उन्होंने विशेष रूप से 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों का उल्लेख किया, जिनके तहत एक समर्पित प्रौद्योगिकी प्रभाग की स्थापना की गई। यह कदम न सिर्फ प्रशासनिक बदलाव था बल्कि मानसिकता और दृष्टिकोण में बड़े परिवर्तन का संकेत भी था। पंकज सरन ने कहा कि भारत को इस मजबूत नींव पर आगे निर्माण करते हुए पिछले दशकों से सीख लेकर, नई सोच और नवाचार-आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सशस्त्र बलों की व्यावसायिक क्षमता और चाणक्य रक्षा संवाद जैसे मंचों की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित किया। पंकज सरन ने कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को प्रौद्योगिकी के निरंतर एकीकरण, संस्थागत सुधार, और दूरदर्शी रणनीतिक सोच पर एकसमान गति से आगे बढ़ना होगा।
आज के सत्रों में बैटलफील्ड इक्वलाइजर्स पर गहन विचार-विमर्श किया गया, जहां विश्वभर से आए विशेषज्ञों ने एआई, स्वायत्त प्रणालियों, हाइपरसोनिक हथियारों और उन्नत साइबर क्षमताओं जैसी विनाशकारी एवं परिवर्तनकारी तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की। सत्रों में यह भी रेखांकित किया गया कि भारत की सेनाओं को एकीकृत, चुस्त, संयुक्त और तकनीक-संचालित बनाने के लिए किस प्रकार के संरचनात्मक एवं परिचालनिक बदलाव आवश्यक हैं। प्रतिष्ठित सैन्य नेताओं व विशेषज्ञों ने भविष्य की लड़ाइयों में ज्वाइंटनेस, अनुकूली सैन्य संरचनाएं, द्वीप एवं समुद्री सुरक्षा की समग्र रणनीति तथा उभरते युद्धक्षेत्र में सूचना-युद्ध, संज्ञानात्मक सुरक्षा और रणनीतिक संचार की बढ़ती निर्णायक भूमिका पर प्रकाश डाला।
उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र पाल सिंह ने संवाद के समापन भाषण में इस बात पर बल दिया कि भारत के बदलते सुरक्षा परिवेश में चुस्त, तकनीकी रूप से सशक्त और संचालनात्मक रूप से एकीकृत सेनाओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि दो दिनों के दौरान उभरती प्रौद्योगिकियों, युद्धक्षेत्र के बदलते समीकरण, ज्वाइंटनेस, नवाचार और रक्षा सुधारों पर प्राप्त महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टियां भारतीय सेना के परिवर्तन रोडमैप के लिए ठोस एवं कार्रवाई योग्य इनपुट प्रदान करेंगी। लेफ्टिनेंट जनरल ने आत्मनिर्भरता, भविष्य-उन्मुख सैन्य संरचनाओं, तथा मिशन-संचालित क्षमता विकास को भारतीय सेना की शक्ति-सिद्धि के मुख्य स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि सेना युद्ध के सभी क्षेत्रों में चल रहे सुधारों को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है, ताकि भारत की समग्र तैयारियों व प्रत्युत्तर क्षमता को पहले से भी सुदृढ़ किया जा सके। अंत में लेफ्टिनेंट जनरल ने एक सार्थक, ठोस और दूरदर्शी विचार-विमर्श में योगदान देने के लिए माननीय राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, विशिष्ट वक्ताओं, वैश्विक साझेदारों और सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
अपने दो दिवसीय कार्यकाल के दौरान चाणक्य रक्षा संवाद 2025 ने भारत की भावी रक्षा स्थिति और रणनीतिक दिशा को आकार देने के लिए एक सशक्त एवं विश्वसनीय मंच प्रदान किया। माननीय राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व तथा वैश्विक विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आयोजित इस संवाद में न केवल उभरती चुनौतियों और अवसरों पर गहन विमर्श किया गया, बल्कि भारत की रक्षा तैयारी के लिए दूरदर्शी सोच और सामूहिक संकल्प को भी मजबूती प्रदान की।



12XK.jpeg)
***
पीके/केसी/एनके/एसएस
(रिलीज़ आईडी: 2196076)
आगंतुक पटल : 40