रक्षा मंत्रालय
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भारत रक्षा नवाचार के स्वर्णिम युग में प्रवेश कर रहा है; हमारे युवा उद्यमी राष्ट्र को एक निर्माता, सृजनकर्ता और वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं: स्वावलंबन 2025 में रक्षा मंत्री


“भारत को आज की तेजी से विकसित होती दुनिया में सक्रिय, अग्रणी और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए”

“क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ लागत दक्षता, विश्वसनीयता और रणनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त और आत्मनिर्भर घरेलू आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता है”

श्री राजनाथ सिंह ने निजी क्षेत्र से सिर्फ मौद्रिक लाभ तक सीमित न रहते हुए राष्ट्रवाद, कर्तव्यबोध और रणनीतिक जिम्मेदारी को भी प्राथमिकता देने वाले ‘लाभ-प्लस’ दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान किया

Posted On: 25 NOV 2025 6:52PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 25 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित भारतीय नौसेना के स्वावलंबन सेमिनार के चौथे संस्करण में स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, शिक्षाविदों, उद्योग साझेदारों और उद्यम पूंजीपतियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि “भारत रक्षा नवाचार के स्वर्ण युग में प्रवेश कर रहा है। इसकी मजबूत नींव हमारे नवप्रवर्तकों और युवा उद्यमियों द्वारा रखी जा रही है, जो आर्थिक शक्ति, रणनीतिक दृष्टिकोण और तकनीकी प्रगति को एकीकृत कर रहे हैं।” श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य और अस्थिर भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भारत प्रतिक्रियात्मक रुख अपनाने का जोखिम नहीं उठा सकता; उसे सक्रिय, अग्रदृष्टि संपन्न व भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। रक्षा मंत्री ने नवप्रवर्तकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनके पथ-प्रदर्शक समाधान राष्ट्र को केवल एक खरीदार के रूप में नहीं, बल्कि एक निर्माता, सृजनकर्ता और वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने में सक्षम बना रहे हैं।

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रक्षा मंत्री ने बल देकर कहा कि देश में दिखाई दे रहा स्वदेशीकरण आंदोलन केवल नीतिगत पहलों का परिणाम नहीं है, बल्कि सभी हितधारकों की सतत मेहनत और समर्पण का फल है। इसी सामूहिक प्रयास के कारण भारत अब आयातक से प्रौद्योगिकी निर्यातक बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। उन्होंने कहा, “यदि भारत आज एक उभरती समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है, तो इसका श्रेय भारतीय नौसेना के साथ-साथ हमारे नवप्रवर्तकों के उल्लेखनीय योगदान को भी जाता है।”

रक्षा मंत्री ने रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के उभरते आयामों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए निजी क्षेत्र से ‘लाभ-प्लस’ दृष्टिकोण अपनाने और ऐसी प्रणालियां एवं प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने का आह्वान किया, जो वैश्विक स्तर पर भारत की विश्वसनीयता का प्रतीक बन सकें। उन्होंने कहा, “लाभ-प्लस दृष्टिकोण में केवल मौद्रिक लाभ ही नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद, कर्तव्य-बोध और रणनीतिक ज़िम्मेदारी भी शामिल है। हमारा लक्ष्य मात्र आर्थिक गतिविधि तक सीमित नहीं होना चाहिए; इसे एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में देखा जाना चाहिए।” श्री राजनाथ सिंह ने निजी उद्योग से राष्ट्रीय हितों को केंद्र में रखते हुए उत्पादन, तकनीक, डिजाइन और नवाचार में नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने साथ ही आने वाले वर्षों में रक्षा निर्माण में निजी क्षेत्र के योगदान को 50% या उससे अधिक तक बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

रक्षा मंत्री ने विदेशों से आयातित रक्षा उपकरणों के रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति से उत्पन्न दीर्घकालिक वित्तीय बोझ का उल्लेख भी किया। उन्होंने आयात निर्भरता कम करने और एक बेहतर व आत्मनिर्भर घरेलू आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। श्री सिंह ने कहा, “यदि हम कलपुर्जों और उप-प्रणालियों के स्थानीय विनिर्माण को सुदृढ़ करते हैं, तो हमारे स्वदेशी उपकरणों का उपयोग तेज़ी से बढ़ेगा। इससे न केवल क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि लागत दक्षता, विश्वसनीयता और रणनीतिक स्वतंत्रता भी सुनिश्चित होगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह तभी संभव है जब निजी क्षेत्र, स्टार्ट-अप, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाएं और सरकारी संस्थान साझा दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें।” उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में रक्षा नवाचार, स्वदेशी डिज़ाइन, उन्नत विनिर्माण तथा रणनीतिक स्वायत्तता जैसी बातें रक्षा विकास की प्रमुख प्रेरक शक्तियां बन जाएंगी।

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श्री राजनाथ सिंह ने सशक्त रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए व्यापक सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए निजी उद्योग से आग्रह किया कि वे अगले बड़े प्लेटफार्म, क्रांतिकारी तकनीक या किसी अभूतपूर्व नवाचार की पहचान कर सरकार को अवगत कराएं। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी चुनौती का सामूहिक समाधान खोजने में सरकार और रक्षा संस्थान पूरा सहयोग देंगे। रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत रूपातंरित हो रहा है, रक्षा क्षेत्र परिवर्तित हो रहा है, भू-राजनीतिक परिस्थितियां बदल रही हैं तो हमें भी अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा। हमें अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि यह पीछे हटने का नहीं, बल्कि नए रास्ते बनाकर आगे बढ़ने का समय है।”

इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि स्वावलंबन पहल का दायरा, पैमाना और भागीदारी प्रत्येक नए संस्करण के साथ लगातार बढ़ी है। उन्होंने बताया कि पहले संस्करण में लगभग 800 प्रतिभागी थे, वहीं पिछले वर्ष यह संख्या बढ़कर प्रभावशाली 3,000 तक पहुंच गई। उन्होंने आगे बताया कि अब तक घोषित 565 आई

डेक्स चुनौतियों में भारतीय नौसेना की हिस्सेदारी 35% है, जो इस दिशा में नौसेना की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वावलंबन कार्यक्रम इस उपलब्धि को आगे बढ़ाने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।

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नौसेना प्रमुख ने बताया कि आईडेक्स चुनौतियों के माध्यम से स्टार्ट-अप और एमएसएमई द्वारा विकसित नवाचारों ने न केवल भारतीय नौसेना की क्षमताओं को सशक्त बनाया है, बल्कि सेना, वायु सेना, तटरक्षक बल व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा उनकी सीधी खरीद के अवसरों को भी बढ़ाया है। यह एकीकृत, व्यापक रक्षा दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो सशस्त्र बलों में नवाचार के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करता है।

स्वावलंबन, नौसेना नवाचार एवं स्वदेशीकरण संगठन का वार्षिक कार्यक्रम, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स और डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। यह मंच स्वदेशी तकनीकों के प्रदर्शन के साथ-साथ भारतीय नौसेना और देश के व्यापक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने का एक व्यापक अवसर प्रदान करता है।

 

प्रदर्शनी

सेमिनार के दौरान एक व्यापक प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), स्वायत्त प्रणालियों, संचार तकनीकों, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्टील्थ समाधानों और स्मार्ट ऑर्डिनेंस जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक नवाचारों का प्रदर्शन किया गया। लगभग 80 एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स ने भारतीय नौसेना की परिचालन और रणनीतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किए गए अपने प्रोटोटाइप और समाधान प्रस्तुत किए। इस संस्करण में उन मूर्त उत्पादों को भी प्रदर्शित किया गया जो समय के साथ विकसित होकर अब जल्द ही परिचालन उपयोग के लिए तैनाती के चरण में पहुंच गए हैं। रक्षा मंत्री ने प्रदर्शनी का दौरा किया और स्टॉलों पर प्रदर्शित विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का अवलोकन किया।

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समझौता ज्ञापन-आयुध प्रणालियां

इस अवसर पर रक्षा मंत्री की उपस्थिति में भारतीय नौसेना, आईआईटी मद्रास और अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य आईआईटी मद्रास की शैक्षणिक अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं, भारतीय नौसेना की क्षेत्रीय विशेषज्ञता और परिचालन आवश्यकताओं, तथा अपोलो माइक्रो सिस्टम्स की उन्नत विनिर्माण क्षमताओं को एकीकृत करते हुए अत्याधुनिक आयुध प्रणालियों के स्वदेशी विकास और उत्पादन को सशक्त बनाना है।

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सारथी एप्प

राजनाथ सिंह ने ‘सारथी’ अर्थात आयुध समीक्षा, विश्लेषण, ट्रैकिंग, संचालन और स्वदेशीकरण प्रणाली का भी शुभारंभ किया। यह एक उन्नत विश्लेषणात्मक और ज्ञान-प्रबंधन उपकरण है, जिसे नौसेना आयुध निरीक्षण एवं गुणवत्ता आश्वासन से जुड़े सभी मुद्दों के लिए एक समेकित वन-स्टॉप समाधान के रूप में विकसित किया गया है। यह एप्लिकेशन गोला-बारूद के संपूर्ण जीवन चक्र—विकास, उत्पादन, सेवा-काल उपयोग से लेकर अंतिम निपटान—तक सभी चरणों को कवर करता है। सारथी प्रणाली को उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक), चेन्नई द्वारा पूर्णतः डिजाइन और विकसित किया गया है।

नवाचार

विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों और डेवलपर्स के लिए एक नौसेना हैकाथॉन ‘इनौवेथॉन’ की भी शुरुआत की गई, ताकि वे समुद्री क्षेत्र की वास्तविक परिचालन चुनौतियों के समाधान में अपनी बुद्धिमत्ता तथा रचनात्मकता का योगदान दे सकें। इस पहल के अंतर्गत प्रस्तुत चुनौतियों में स्वार्म एल्गोरिथ्म का विकास, स्केलेबल क्रॉस-प्लेटफॉर्म नेटवर्क ट्रैफिक एन्क्रिप्शन समाधान और उपग्रह-सचेत समुद्री मार्ग खुफिया प्रणाली के डिजाइन तथा विकास जैसी उच्च-स्तरीय तकनीकी आवश्यकताएं शामिल हैं।

संवादात्मक सत्र

इस अवसर पर नौसेना और रक्षा अताशे के साथ एक संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसके बाद प्रौद्योगिकी विकास त्वरण प्रकोष्ठ द्वारा प्रस्तुतियां दीं गईं, जिनमें स्वदेशीकरण एवं प्रौद्योगिकी अनुकूलन पहलों में प्रगति पर प्रकाश डाला गया। 'नवाचार और आत्मनिर्भरता' पर एक गहन चर्चा सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें रक्षा उद्यमिता को बनाए रखने वाले एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर चर्चा की गई।

अन्य मुख्य बातें

इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री द्वारा 10 आईडेक्स विजेताओं को सम्मानित किया गया और प्रमुख दस्तावेजों - भारतीय नौसेना तकनीकी चुनौतियों एवं समस्या विवरणों का संग्रह, स्वावलंबन 4.0 दस्तावेज तथा आयुध स्वदेशीकरण संग्रह - का विमोचन भी किया गया।

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इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत उपस्थित थे।

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