सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
एमओएसजेई- डीडब्ल्यूबीडीएनसी और एमओआरडी डीएवाई-एनआरएलएम ने विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (डीएनटी) को सशक्त बनाने के लिए ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
Posted On:
24 NOV 2025 8:52PM by PIB Delhi
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई) ने विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए विकास एवं कल्याण बोर्ड (डीडब्ल्यूबीडीएनसी) के माध्यम से, तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के द्वारा हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए समावेशी विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए आज एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन पर श्री वी. अप्पाराव, सीईओ डीडब्ल्यूबीडीएनसी, एमओएसजेई, और श्री टीके अनिल कुमार, अतिरिक्त सचिव, एमओआरडी ने हस्ताक्षर किए, जो डीएनटी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को डीएवाई-एनआरएलएम पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पीढ़ियों से, विमुक्ति प्राप्त समुदायों को सामाजिक बहिष्कार, सीमित वित्तीय पहुँच और आजीविका की बाधाओं का सामना करना पड़ा है। यह साझेदारी निम्नलिखित तरीकों से नए अवसरों को खोलने का प्रयास करती है:
- डीएनटी एसएचजी को एनआरएलएम ग्राम संगठनों (वीओ), क्लस्टर स्तरीय फेडरेशन (सीएलएफ) और आजीविका मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल करना।
- क्षमता निर्माण, ऋण संपर्क और विविध आजीविका अवसर प्रदान करना।
- निरंतर सहायता के लिए डीडब्ल्यूबीडीएनसी और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के बीच समन्वय सुनिश्चित करना।
- समतापूर्ण विकास के लिए राष्ट्रीय मिशनों के साथ अभिसरण को मजबूत करना।
अगले तीन वर्षों में, डीडब्ल्यूबीडीएनसी के अंतर्गत गठित 5,000 से अधिक डीएनटी स्वयं सहायता समूहों को डीएवाई-एनआरएलएम ढांचे में समाहित कर लिया जाएगा और उन्हें इसकी सभी सेवाओं तक पहुँच प्राप्त होगी। इस सहयोग की एक अनूठी विशेषता एक समर्पित कैडर - डीएनटी सखी - की शुरुआत है। समुदाय के भीतर से चुनी गई, प्रत्येक सखी तीन स्वयं सहायता समूहों में संगठित लगभग 30 परिवारों का समर्थन करेगी।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के डीडब्ल्यूबीडीएनसी के सीईओ श्री वी. अप्पाराव ने कहा: "डीडब्ल्यूबीडीएनसी एक वर्ष के लिए डीएनटी स्वयं सहायता समूहों के निर्माण और पोषण के लिए प्रतिबद्ध है। 12 महीने के मार्गदर्शन के बाद, एनआरएलएम पारिस्थितिकी तंत्र में उनके शामिल होने से उन्हें ऋण, संस्थागत सहायता और समर्पित मार्गदर्शन तक पहुँच प्रदान करके और अधिक मजबूती मिलेगी।"
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव, श्री टीके अनिल कुमार ने कहा, "हाशिए पर पड़े समूहों का सशक्तिकरण एक लंबी यात्रा है जिसके लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता है। एनआरएलएम शुरुआती वर्ष के बाद, अगले 3-5 वर्षों तक, विमुक्त परिवारों का पोषण करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि उन्हें गरीबी से बाहर निकलने और स्थायी आजीविका बनाने में मदद मिल सके।"
अधिकारियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह समझौता ज्ञापन सिर्फ़ एक समझौता नहीं है, बल्कि सम्मान, अवसर और सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता है। यह प्रत्येक डीएनटी परिवार को विकास और आत्मनिर्भरता के स्थायी संस्थानों से जोड़ने के साझा दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। डीडब्ल्यूबीडीएनसी और डीएवाई-एनआरएलएम मिलकर भारत भर के डीएनटी परिवारों के लिए विश्वास, सहयोग और बदलाव भरे जीवन की आशा करते हैं।


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