विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेशनल क्वांटम मिशन के तहत आईआईटी बॉम्बे में ₹720 करोड़ की क्वांटम फैब्रिकेशन और केंद्रीय सुविधाओं की घोषणा की
आईआईटी बॉम्बे और आईआईएससी बेंगलुरु में स्वदेशी क्वांटम फैब्रिकेशन क्षमता बनाने के लिए ₹720 करोड़ का प्रयास
आईआईटी और आईआईएससी में नए फैब्रिकेशन सेंटर के साथ विदेशी क्वांटम लैब पर भारत की निर्भरता कम होगी: डॉ. जितेंद्र सिंह
आईआईटी बॉम्बे में टीआईएच 50 डीप-टेक स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी की 96 परियोजनाओं का समर्थन कर भारत की नवाचार सुविधा को मजबूत करता है
भारतजेन 22+ भाषाओं में भारत के सॉवरेन मल्टीलिंगुअल ए आई मॉडल देता है: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
24 NOV 2025 7:37PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज चार अत्याधुनिक क्वांटम फैब्रिकेशन और केंद्रीय सुविधाएं स्थापित करने की घोषणा की। इन्हें नेशनल क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) के तहत आईआईटी बॉम्बे, आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी कानपुर और आईआईटी दिल्ली में ₹720 करोड़ की लागत से स्थापित किया जाएगा। आईआईटी बॉम्बे के दौरे पर यह घोषणा करते हुए, मंत्री ने कहा कि ये आधुनिक सुविधाएं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संप्रभुता की ओर भारत की यात्रा में निर्णायक छलांग हैं। यह देश को अगली पीढ़ी की क्वांटम टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने वाले चुनिंदा वैश्विक देशों में स्थान दिलाएंगी।
इस आयोजन में देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें आईआईटी बॉम्बे के निदेशक डॉ. सिरीश; विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर; सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी; जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले; आईआईटी बॉम्बे के सीनियर फैकल्टी मेंबर; रिसर्चर; नवप्रवर्तक; और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के प्रतिनिधि शामिल हुए।
डॉ. सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू करने वाले शुरुआती देशों में से एक के रूप में उभरा है, जो नए विचारों को अपनाने और उन्हें तेजी से राष्ट्रीय पहलों में बदलने की सरकार की इच्छा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि क्वांटम सेंसिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम सामग्रियों से जुड़ी नई निर्माण और विशेषता क्षमताएं देश के भीतर संप्रभु, सुरक्षित, स्केलेबल क्वांटम उपकरणों और प्रणालियों के निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत हार्डवेयर पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में काम करेंगी। उन्होंने कहा कि ये सुविधाएं न केवल एनक्यूएम जांचकर्ताओं के लिए बल्कि पूरे भारत में शिक्षा, उद्योग, स्टार्ट-अप और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए भी खुली रहेंगी।
आईआईटी बॉम्बे को भारत के सबसे पुराने और सबसे सम्मानित विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक के रूप में संदर्भित करते हुए, मंत्री ने कहा कि इस संस्थान ने स्थापना के बाद से लगातार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के साथ भागीदारी की है और डीप टेक क्षेत्र में अग्रणी बन हुआ है। उन्होंने कहा कि आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी कानपुर राष्ट्र की क्वांटम सेंसिंग और मौसम विज्ञान संबंधी अवसंरचना में योगदान देंगे;
आईआईएससी बेंगलुरु और आईआईटी बॉम्बे सुपरकंडक्टिंग, फोटोनिक और स्पिन क्यूबिट का इस्तेमाल करके क्वांटम कंप्यूटिंग फैब्रिकेशन को आगे बढ़ाएंगे; और आईआईटी दिल्ली भारत के क्वांटम मटीरियल और डिवाइस डेवलपमेंट इकोसिस्टम को होस्ट करेगा। उन्होंने बताया कि ये क्षमताएं स्वदेशी क्वांटम डिवाइस के प्रोटोटाइप के लिए नियंत्रित वातावरण बनाएंगी, ट्रांसलेशनल रिसर्च का समर्थन करेंगी और क्वांटम हार्डवेयर विशेषज्ञों की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षण देंगी।
डॉ. सिंह ने पुराने इनवेसिव डायग्नोस्टिक तरीकों से लेकर आज के उभरते हुए नॉन-इनवेसिव, फिजिक्स-ड्रिवन थेराप्यूटिक्स तक, पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान और मेडिकल टेक्नोलॉजी के शानदार विकास को याद किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि क्वांटम टेक्नोलॉजी इस बदलाव को और तेज़ करेंगी, जिससे हेल्थकेयर, डायग्नोस्टिक्स, इमेजिंग, मटीरियल साइंस और एडवांस्ड कंप्यूटिंग में सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के डीप-टेक इनोवेशन के लिए इंटरडिसिप्लिनरी ट्रेनिंग की ज़रूरत बढ़ रही है। डॉक्टर सिंह ने कहा कि भविष्य की मेडिकल एजुकेशन में बहुत जल्द फिजिक्स को मुख्य हिस्सा बनाने की ज़रूरत पड़ सकती है। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी जैसे संस्थानों की प्रशंसा की जो पहले से ही इंटीग्रेटेड मेडिकल-टेक रिसर्च इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं।
मंत्री ने एकेडमिक अनुसंधान और विकास को वास्तविक दुनिया में असरदार बनाने के लिए बड़े संस्थानों के बीच दूरियों को तोड़ने और मल्टीलेटरल सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने आईआईटी, एम्स, आईआईएम, सीएसआईआर लैब और कम्युनिकेशन इंस्टिट्यूट के बीच मल्टी-इंस्टीट्यूशनल समझौते को आसान बनाने में अपनी कोशिशों का ज़िक्र किया, ताकि मज़बूत मार्केट लिंकेज, वैज्ञानिक खोजों का जनता के बीच ज़्यादा से ज़्यादा प्रचार-प्रसार और विद्यार्थियों, किसानों और स्टार्ट-अप जैसे संबंधित पक्षों तक ज़्यादा असरदार पहुंच सुनिश्चित हो सके।
नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम (एनएम-आईसीपीएस) के तहत आईआईटी बॉम्बे के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) के बारे में बात की। डॉ. सिंह ने कहा कि यह हब ट्रांसलेशनल रिसर्च के लिए नेशनल मॉडल बन गया है, जो प्रौद्योगिकी विकास की 96 परियोजनाओं और 50 से ज़्यादा डीप-टेक स्टार्ट-अप की सहायता करता है। इसकी 23 पोर्टफोलियो कंपनियों में से कई पहले से ही राजस्व कमा रही हैं, जिनकी कुल मूल्यन ₹466 करोड़ है। उन्होंने भारत की पहली सॉवरेन मल्टीलिंगुअल और मल्टीमॉडल एआई पहल भारतजेन के नेशनल महत्व पर भी ज़ोर दिया, जिसका मकसद 22+ भारतीय भाषाओं में बड़े लैंग्वेज मॉडल बनाना है। उन्होंने कहा कि भारतजेन के टेक्स्ट, स्पीच और विज़न मॉडल, और कृषि साथी, ई-विक्र एआई और डॉकबोध जैसे एप्लिकेशन, एआई, डेटा सॉवरेनिटी और समावेशी डिजिटल नवाचार में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दिखाते हैं।
डॉ. सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बहुत से किसान और नागरिक अपने फ़ायदे के लिए उपलब्ध वैज्ञानिक खोजों से अनजान हैं, इसलिए उन्होंने संस्थाओं से ज़मीन पर प्रौद्योगिकी को सक्रिय रूप से दिखाने का आग्रह किया। आईएमडी, सीएसआईआर और कृषि मिशन के उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि नवाचार की असली परीक्षा उन लोगों तक इसकी पहुँच और स्वीकृति में है जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे और सभी एनक्यूएम संस्थाओं से किसानों, विद्यार्थियों और शुरुआती दौर के सीखने वालों के लिए डेमो सहित ज़्यादा जागरूकता सुनिश्चित करने का आग्रह किया, ताकि भारत की अगली पीढ़ी अपनी वैज्ञानिक योग्यता को जल्दी पहचान सके।
मंत्री ने कहा कि नया क्वांटम फैब्रिकेशन और सेंट्रलाइज़्ड फैसिलिटीज़ राष्ट्रीय गौरव की परिसंपत्ति बन जाएंगी, ठीक वैसे ही जैसे चंद्रयान जैसी भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों ने भारतीय युवाओं और वैज्ञानिकों की दुनिया भर में इज्जत बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि भारत विज्ञान का लोकतंत्त्रीकरण देख रहा है, जहाँ बिना डिग्री वाले और ग्रामीण नवप्रवर्तक भी लैवेंडर-बेस्ड बायोटेक स्टार्ट-अप्स जैसे सफल टेक्नोलॉजी एंटरप्राइज बना रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि नवाचार अब सिर्फ शीर्ष संस्थानों तक ही सीमित नहीं है।
डॉ. सिंह ने अंत में यह भी कहा कि नेशनल क्वांटम मिशन, एनएम-आईसीपीएस और भारतजेन मिलकर डीप-टेक लीडरशिप, नॉलेज सॉवरेनिटी और आत्मनिर्भर भारत से तय भविष्य की ओर भारत के बड़े कदमों को दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि ₹720 करोड़ की क्वांटम फैसिलिटीज़ भारत के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्वांटम हार्डवेयर बनाने में स्प्रिंगबोर्ड का काम करेंगी और 2047 तक प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के विज़न की ओर देश की प्रगति को तेज़ करेंगी। उन्होंने कहा, “ये फैसिलिटीज़ भारत को अपनी क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ को डिज़ाइन करने, बनाने और स्केल करने में मज़बूत बनाएंगी, जिससे सॉवरेन, सुरक्षित और विश्व स्तरीय वैज्ञानिक नवाचार का दौर शुरू होगा।”




******
पीके/केसी/पीके/डीके
(Release ID: 2193819)
Visitor Counter : 33