भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में क्षेत्रीय सिनेमा की विविधता और भव्यता की झलक दिखी
सांस्कृतिक स्वीकृति, फिल्म के प्रति समर्पण और टीमवर्क सफल क्षेत्रीय फिल्म के प्रमुख तत्व हैं: निर्देशक राजू चंद्रा
कहानी, निर्देशन और अभिनय में मजबूत होने पर क्षेत्रीय फिल्में असाधारण प्रदर्शन कर सकती हैं: निर्देशक मिलिंद लेले
56वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में भारत के क्षेत्रीय सिनेमा की समृद्ध विविधता का प्रदर्शन किया जा रहा है। इनमें से दो क्षेत्रीय फिल्मों- ‘पिरंथनाल वझथुकल’ (तमिल) और ‘दृश्य अद्रुश्य’ (मराठी) की टीमों ने आज मीडिया से बातचीत की।
निर्देशक राजू चंद्रा ने तमिल फिल्म ‘पिरंथानाल वजथुकल’ के निर्माण के अपने अनुभव साझा करते कहा कि स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित फिल्मों के निर्माण को न केवल अपने समुदाय से, बल्कि अन्य सांस्कृतिक समूहों से भी प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक स्वीकृति, फिल्म के प्रति समर्पण और टीम वर्क एक सफल क्षेत्रीय फिल्म के प्रमुख तत्व हैं। इस फिल्म के मुख्य अभिनेता अप्पुकुट्टी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित थे।

मराठी फिल्म ‘दृश्य अद्रुश्य’ के बारे में बात करते हुए निर्देशक मिलिंद लेले ने कहा कि इस रोमांचक सस्पेंस थ्रिलर की शूटिंग एक अलग रिसॉर्ट में सिर्फ 8-10 सदस्यों की एक छोटी सी टीम के साथ की गई थी। सीमित संसाधनों के बावजूद, टीम के हर सदस्य के समर्पण ने फिल्म को संभव बनाया।

यह फिल्म जनवरी में रिलीज के लिए तैयार है। बड़े बैनर की रिलीज के बीच एक छोटे बजट की फिल्म कैसे टिक पाएगी के सवाल पर लेले ने कहा कि हर फिल्म अपनी कुंडली लेकर आती है। दर्शक ही फिल्म का सफर तय करते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय फिल्में अगर कहानी, निर्देशन और अभिनय में मजबूत हों तो असाधारण प्रदर्शन कर सकती हैं। यह सब टीम वर्क की बात है। उन्होंने आगे कहा कि बड़े बैनर की फिल्मों की भीड़ में, अब क्षेत्रीय सिनेमा को न केवल अच्छा, बल्कि बहुत अच्छा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सिनेमा अपने लोगों और उनकी परंपराओं के सच्चे सांस्कृतिक सार का प्रतिनिधित्व करता है।
‘दृश्य अद्रुश्य’ का सारांश:
‘दृश्य अद्रुश्य’ एक पिकनिक स्थल की शांत लेकिन रहस्यमयी पृष्ठभूमि पर आधारित एक मनोरंजक कहानी है जहां एक छोटी बच्ची के अचानक गायब होने से कई विचलित करने वाली घटनाएं घटित होती हैं। यह फिल्म मानवीय भावनाओं, सामाजिक जटिलताओं और जीवन को प्रभावित करने वाली दृश्य और अदृश्य शक्तियों के बीच के अंतर को गहराई से दर्शाती है। कहानी लड़की के परिवार, स्थानीय अधिकारियों और आसपास के लोगों के दृष्टिकोणों से सामने आती है, जिनमें से हर कोई भय, अनिश्चितता और छिपे हुए सत्य से जूझ रहा है। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है और रहस्य सामने आते हैं, कहानी आस्था, भय और वास्तविकता की एक सशक्त खोज में विकसित होती है। भावनात्मक तीव्रता के साथ कच्चे यथार्थवाद के मेल से यह फिल्म बताती है कि कैसे अदृश्य मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शक्तियां मानवीय कार्यों और निर्णयों को संचालित करती हैं।
पिरांथनाल वाजथुकल (तमिल) का सारांश
गांव के युवकों के समूह का नेतृत्व करने वाले अनपु (अप्पुकुट्टी) शराब और धूम्रपान का आदी है। उसकी पत्नी, पारिवारिक मित्रों और गांव वालों ने उसकी जीवनशैली का विरोध किया और उन्हें अत्यधिक शराब पीने से मना किया। उसकी पत्नी गर्भवती है और बच्चे को जन्म देने वाली है। अनपु का मानना है कि शराब ही जीवन में आनंद का एकमात्र स्रोत है। वह गैर-जिम्मेदाराना जीवन जीता है, परिणामों की परवाह किए बिना मनमानी करता है। एक दिन उसके जीवन ने एक अप्रत्याशित मोड़ लिया और उसने देखा कि समाज उसे, उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों और जीवन के मूल्य को कैसे देखता है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अप्पुकुट्टी अभिनीत यह फिल्म कई मायनों में अनमोल है। "नायक हमें हंसाकर, आंसू बहाकर और गहन चिंतन के लिए प्रेरित करके चकित कर देता है।"
इफ्फी के बारे में
1952 में शुरू हुआ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म महोत्सव है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी) मिलकर इस महोत्सव का आयोजन करते हैं। यह महोत्सव वैश्विक सिनेमा का प्रमुख केन्द्र बन गया है—जहां साहसिक प्रयोगों से क्लासिक फिल्मों का पुनर्निर्माण होता है और महान हस्तियां नये कलाकारों के साथ मंच साझा करती हैं। इफ्फी को जो चीज वास्तव में शानदार बनाती है, वह है-अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, सांस्कृतिक प्रदर्शन, मास्टरक्लास, ट्रिब्यूट और हाई-एनर्जी वेब्स फिल्म बाजार, जहां विचार, समझौते और साझेदारियां उड़ान भरते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा के खूबसूरत तट पर हो रहा 56वां फिल्म महोत्सव कई भाषाओं, फिल्म विधाओं, नवाचार और आवाजों की एक शानदार श्रृंखला प्रस्तुत करता है। यानी वैश्विक मंच पर यह भारत की सृजनात्मक उत्कृष्टता का एक शानदार महोत्सव है।
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