विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
शोध से बेहतर भविष्य के लिए कुशल ज़िंक-आयन बैटरी (जेडआईबी) का रास्ता साफ
Posted On:
21 NOV 2025 12:07PM by PIB Delhi
बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो अगली पीढ़ी की इको-फ्रेंडली (पर्यावरण के अनुकूल) बैटरी को ताकत दे सकती है। अभी लिथियम बैटरी सबसे ज़्यादा पसंद की जाती है। शोधकर्ताओं ने इससे आगे बढ़ते हुए पर्यावरण के ज़्यादा अनुकूल ज़िंक बैटरी के लिए सही कैथोड मटीरियल डिज़ाइन किया है। इससे मटीरियल का ऊर्जा घनत्व और स्थायित्व बढ़ सकता है, जिससे ज़्यादा कुशल बैटरी बन सकती हैं।
पिछले कुछ दशकों में ऊर्जा भंडारण में हुई बड़ी तरक्की ज़्यादातर लिथियम बैटरी पर ही केंद्रित रही है, क्योंकि उनका कार्य निष्पादन बेहतर होता है - खासकर उच्च ऊर्जा घनत्व, हालांकि उपयोग के दौरान उनके साथ कई पर्यावरण और सुरक्षा जोखिम भी होते हैं। एक विकल्प के तौर पर, हाल ही में, जलीय ज़िंक-आयन-आधारित बैटरी (जेडआईबी) प्रणाली अपनी ज़्यादा ऊर्जा भंडारण क्षमता, सुरक्षा और पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण ध्यान खींच रही हैं।
दुनिया भर के शोधकर्ता अलग-अलग कैथोड मटीरियल बना रहे हैं जो ज़िंक-आयन-आधारित इलेक्ट्रोलाइट सिस्टम के लिए सही हो सकते हैं और ज़्यादा ऊर्जा भंडारण क्षमता के साथ लंबे समय तक चल सकते हैं। इस बारे में कई ऑक्साइड मटीरियल की पहले से ही जांच की जा रही है, लेकिन कई कमियों की वजह से वे जिंक-आयन-आधारित प्रणाली में ज़रूरी कार्य निष्पादन में नाकाम रहे हैं।
इसे हल करने के लिए, केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के डॉ. आशुतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में एक शोध समूह ने कैथोड मटीरियल को थर्मो-इलेक्ट्रोकेमिकल ट्रीटमेंट से सक्रिय करने और उसकी संरचना को बदलने के लिए एक नई आसान रणनीति बनाई है। इससे बैटरी को उच्च ऊर्जा भंडारण कार्य निष्पादन क्षमता पाने में मदद मिल सकती है। यह आम कैथोड मटीरियल के समग्र ऊर्जा घनत्व और स्थायित्व को बढ़ाने का एक सीधा और कुशल तरीका दिखाता है।

चित्र: V2O5 कैथोड मटीरियल का इन-सीटू थर्मो-इलेक्ट्रोकेमिकल एक्टिवेशन
यह नवाचार एक आम बैटरी मटीरियल, वैनेडियम ऑक्साइड (V2O5) के लिए एक आसान "एक्टिवेशन" प्रोसेस में है। इसे हीट और इलेक्ट्रिसिटी के एक खास संयोजन से ट्रीट करके, उन्होंने इसकी संरचना को बदल दिया, और जानबूझकर काम की "कमियां" या डिफेक्ट बनाए। इसे ऐसे समझें जैसे एक ठोस, चिकनी दीवार को छिद्रयुक्त स्पंजी दीवार में बदलना। इस नए इम्परफेक्ट स्ट्रक्चर, जिसे जिंक-वैनेडियम ऑक्साइड (Zn-V2O5) कहते हैं, में छोटी जगहें और रास्ते हैं जो इसे V2O5 की तुलना में कहीं ज़्यादा कुशलता से ऊर्जा भंडारण और रिलीज़ करने देते हैं। जिंक-V2O5 स्ट्रक्चर बैटरी के इलेक्ट्रोलाइट से हाइड्रोजन आयन इंटरैक्शन की भी इजाज़त देता है, जिससे संरचनात्मक स्थायित्व बेहतर होता है और बैटरी चार्जिंग/डिस्चार्जिंग प्रक्रिया के दौरान जिंक आयन गति के लिए बाधक कम होता है।
एक्टिवेटेड मटीरियल जिंक-आयन बैटरी (जेडआईबी) को बहुत ज़्यादा ऊर्जा घनत्व और अविश्वसनीय तौर पर लंबे समय तक कार्य लायक बनाए रखने में मदद करता है। यह बहुत ज़्यादा ऊर्जा भंडारण कर सकता है और बिना किसी खास गिरावट के हज़ारों बार रिचार्ज किया जा सकता है।
डॉ. आशुतोष कुमार सिंह और उनकी टीम के ये नतीजे हाल ही में एडवांस्ड एनर्जी मटीरियल्स में पब्लिश हुए हैं, जो जिंक-आयन बैटरी शोध में एक लंबे समय से चली आ रही चुनौती से निपटते हैं।
शोध के सह-लेखक श्री राहुलदेब रॉय ने कहा, “कैथोड मटीरियल को स्थायित्व प्रदान करने और बेहतर कार्य निष्पादन पाने के लिए संरचनात्म बदलाव करने में आने वाली मुश्किल को समझते हुए, हमने जिंक-आयन बैटरी के लिए इस्तेमाल होने वाले आम कैथोड मटीरियल को सक्रिय करने के लिए एक बहुत आसान लेकिन नई स्ट्रेटेजी चुनी।”
उन्होंने यह भी बताया कि यह शोध न सिर्फ जेडआईबी के फील्ड को आगे बढ़ाती है, बल्कि इस खास तकनीक को भंडारण कार्य निष्पादन को बेहतर बनाने के लिए दूसरे कैथोड मटीरियल पर भी लागू किया जा सकता है। इससे ग्रीन फ्यूचर के लिए सतत और कुशल ऊर्जा भंडारण तकनीक विकसित करने की और कोशिशें हो सकती हैं।
पब्लिकेशन का लिंक: DOI: 10.1002/aenm.202502262.
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पीके/ केसी/ एके/ डीके
(Release ID: 2192717)
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