इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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भारत दूसरे क्षेत्रीय मुक्त डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन (आर ओ डी एच एस) 2025 मेजबानी कर रहा है


यह सम्मेलन दक्षिण पूर्व एशिया में डिजिटल स्वास्थ्य के भविष्य को बनाने में डीपीआई, ओपन स्टैंडर्ड्स और टेक्नोलॉजी की भूमिका पर चर्चा करेगा

Posted On: 20 NOV 2025 12:27PM by PIB Delhi

क्षेत्रीय मुक्त डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2025 (आर डी एच एस 2025) 19 नवंबर को नई दिल्ली में शुरू हुआ। इसमें पूरे दक्षिण पूर्व एशिया श्रेत्र के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, इंटरनेशनल डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन और हेल्थ टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स एक साथ आए।

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (एनईजीडी), नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एन एच ए), विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय और यूनिसेफ द्वारा आयोजित तीन दिन के शिखर सम्मेलन में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, मालदीव और दूसरे देशों के प्रमुखों शामिल हो रहे है इसमें यह पता लगाया जाएगा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई), ओपन स्टैंडर्ड और जेनरेटिव आई जैसी तकनीक  यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) और क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों को कैसे बढ़ावा दे सकती हैं।

शुरुआती सेशन ने एक ज़बरदस्त माहौल बनाया गया। इसमें स्पीकर्स ने सस्टेनेबल डिजिटल हेल्थ ट्रांसफॉर्मेशन के पिलर के तौर पर सहयोग, समानता और इंटरऑपरेबिलिटी पर बल दिया।

सहयोग केवल वांछनीय ही नहीं, बल्कि अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच एक संयुक्त शासन मॉडल राष्ट्रीय डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जरूरी है। यह सहयोग इसलिए आवश्यक है ताकि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम), कोविन, आधार और यू पी आई जैसी राष्ट्रीय प्रणालियाँ सुरक्षित और इंटरऑपरेबल बनी रहें,” नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (एनईजीडी) के सीओओ श्री रजनीश कुमार ने संस्थागत बाधाओं को समाप्त करने की तत्परता पर बल दिया।

“यह शिखर सम्मेलन क्षेत्रभर में तकनीकी कौशल को सशक्त बनाएगा। इससे प्रतिभागी इंटरऑपरेबल डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म्स को लागू कर सकें। भरोसा, स्थिरता और इंटरऑपरेबिलिटी अपनाने और विस्तार की नींव हैं,” डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ के निदेशक (यूएचसी /हेल्थ सिस्टम्स) श्री मनोज झलानी ने क्षेत्रीय तकनीकी क्षमता को मजबूत करने पर शिखर सम्मेलन के फोकस को रेखांकित किया।

यूनिसेफ इंडिया के डिप्टी रिप्रेजेंटेटिव श्री अर्जन डे वाग्ट ने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य को आगे बढ़ाते समय केवल तकनीक पर नहीं, बल्कि समुदायों, स्वास्थ्यकर्मियों, परिवार और बच्चों पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है। तकनीक हमें प्रत्येक बच्चे—विशेष रूप से सबसे कमजोर बच्चों—तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने में मदद करेगी।” उन्होंने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य, यदि सोच-समझकर और समान रूप से लागू किया जाए, तो स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और बेहतर सेवाएँ देने का बड़ा अवसर प्रदान करता है।”

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ डॉ. सुनील कुमार बर्नवाल ने कहा, “भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर—आधार, यू पी आई, कोविन, एबीडीएम —दिखाता है कि स्केलेबल डिजिटल पब्लिक गुड्स समाज को कैसे लाभ पहुंचाते हैं। एनईजीडी के साथ मिलकर हमने प्रदाताओं और क्षेत्रों के बीच एक सुरक्षित स्वास्थ्य डेटा ढांचा बनाया है।”

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव श्रीमती पुन्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा, “स्वास्थ्य परिणाम केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर नहीं करते; वे शिक्षा, स्वच्छता, पोषण, जल सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे कारकों पर भी आधारित होते हैं। इसलिए मंत्रालयों के बीच डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स का एकीकरण बेहद आवश्यक है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्लूप्रिंट 2019 और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 तकनीकी मानकों और इंटरऑपरेबिलिटी के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) की नींव रखते हैं।”

पूर्ण सत्र “ओपन स्टैंडर्ड्स, फुल-स्टैक और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को कैसे तेज़ करते हैं” विषय पर आयोजित सत्र में एनईजीडी के सीईओ श्री नंद कुमारम, एबीडीएम (एन एच ए) के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक श्री किरण गोपाल वास्का, यूनिसेफ की क्षेत्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुश्री मेरिडिथ डाइसन, और डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ के डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्रीय सलाहकार डॉ. कार्तिक आदपा ने इस बात पर सहमति जताई कि पायलट परियोजनाओं से आगे बढ़कर बड़े पैमाने पर, समावेशी डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियाँ बनाना समय की मांग है। वक्ताओं ने कहा कि ओपन स्टैंडर्ड्स, फुल-स्टैक ढाँचे और डीपीआई  न्यायसंगत विस्तार के लिए अनिवार्य हैं।

भारत के कोविन और एबीडीएम को डीपीआई -आधारित स्वास्थ्य समाधान विकसित करने में भारत के नेतृत्व के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। यूनिसेफ ने बच्चों के अधिकारों और डेटा संरक्षण पर बल  दिया। प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि ग्लोबल साउथ में डिजिटल स्वास्थ्य का भविष्य ओपन, मानक-आधारित, बाल-केंद्रित और डीपीआई -सहायित प्रणालियों पर निर्भर करेगा।

सत्र 2: “मूलभूत डीपीआई और स्वास्थ्य तंत्र में उनकी भूमिका” इस सत्र में डिजिटल पहचान, भुगतान, डेटा एक्सचेंज और रजिस्ट्रियों जैसे मुख्य डीपीआई को लचीली डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों की नींव बताया गया। डब्ल्यू एफ, यूआईडीएआई, एनपीसीआई, ओएनडीसी, एनईजीडी तथा थाईलैंड, मालदीव और नेपाल के प्रतिनिधियों ने निष्कर्ष निकाला कि सफलता केवल डिजिटल अपनाने से नहीं, बल्कि बेहतर स्वास्थ्य परिणामों, लागत में कमी और नागरिकों के सशक्तिकरण से मापी जानी चाहिए।

सत्र 3: “एफएचआईआर की मूल बातें और सदस्य देशों से सीख” एचएल7 इंडिया, सीडीएसी पुणे, स्वास्थ एलायंस, बांग्लादेश डी जी एच एस, और श्रीलंका स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों ने एफएचआईआर को वैश्विक स्वास्थ्य डेटा विनिमय मानक बताया। लेकिन इसके सतत उपयोग के लिए शासन सुधार, इकोसिस्टम सहयोग, कार्यबल विकास और निरंतर निवेश की आवश्यकता है। क्षेत्रीय सहयोग को दक्षिण-पूर्व एशिया में एफएचआईआर को तेजी से आगे बढ़ाने की कुंजी माना गया।

सत्र 4: “हेल्थ सेक्टर डीपीआई – उपयोग के मामले और क्षेत्रीय दृष्टिकोण” भारत, श्रीलंका और थाईलैंड के प्रतिनिधियों ने बताया कि विभिन्न स्वास्थ्य प्रणालियाँ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे विकसित कर रही हैं। डिजिटल परिपक्वता के स्तर भिन्न होने के बावजूद, सभी देशों का फोकस इंटरऑपरेबिलिटी, गोपनीयता, शासन और डेटा-आधारित नवाचार पर था।

सत्र 5: “डिजिटल स्वास्थ्य इंटरऑपरेबिलिटी में उभरते अभ्यास – वैश्विक स्वास्थ्य के लिए जेनएआई” भारत, नेपाल, थाईलैंड और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के विशेषज्ञों ने चर्चा की कि जेनरेटिव एआई डेटा  फ्रैग्मन्टैशन को कैसे कम कर सकता है और न्यायसंगत स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने सहमति जताई कि एआई की क्षमता को खोलने की कुंजी इंटरऑपरेबिलिटी है।

रणनीति में शामिल हैं, स्केलेबल स्वास्थ्य डेटा संरचना बनाना, इंटरऑपरेबिलिटी फ्रेमवर्क अपनाना, समान, रोगी-केन्द्रित सेवा सुनिश्चित करना, साइलो आधारित कार्यक्रमों को समाप्त करना।

सत्र 6: “स्वास्थ्य के लिए जेनएआई – उपयोग मामलों का प्रदर्शन” एकाकेयर, गूगल, निरमएआई, हेल्थ एनालिटिक्स, सुनोहएआई (ईक्लिनिकलवर्क्स) और आईआईटी दिल्ली के नेताओं ने उभरती जेनएआई नवाचारों का प्रदर्शन किया, जो स्वास्थ्य सेवा, डायग्नोस्टिक्स और डेटा प्रणालियों को बदल रहे हैं। लाइव डेमो में शामिल थे: सुनोहएआई का क्लिनिकल स्क्राइब, एका केयर का स्वास्थ्य एआई इकोसिस्टम, निरमएआई का शुरुआती स्तन कैंसर पहचान हेतु थर्मल इमेजिंग डिवाइस, गूगल का मेडजामा एआई  मॉडल, आईआईटी दिल्ली का डायग्नोस्टिक प्लेटफ़ॉर्म, ये समाधान स्वास्थ्य प्रणालियों की दक्षता, सटीकता और समावेशिता बढ़ाने में परिवर्तनकारी सिद्ध हो रहे हैं।

पहला दिन: दक्षिण-पूर्व एशिया की डिजिटल स्वास्थ्य प्रतिबद्धता रिजनल ओपन डिजिटल हेल्थ समिट 2025 के पहले दिन ने डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन के प्रति दक्षिण-पूर्व एशिया की प्रतिबद्धता को प्रमुखता से रेखांकित किया। प्रमुखों , विशेषज्ञों और इनोवेटर्स ने सहयोगात्मक वातावरण बनाया, यूएचसी को आगे बढ़ाने के लिए ओपन स्टैंडर्ड्स, इंटरऑपरेबिलिटी और डिजिटल समानता की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन ने यह भी रेखांकित किया कि लचीली और समावेशी स्वास्थ्य प्रणालियाँ स्केलेबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और जेनरेटिव एआई के माध्यम से ही संभव हैं।   

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पीके/ केसी/ एसके


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