संस्‍कृति मंत्रालय
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भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास गज-लोक: एशिया में हाथियों की जमीन और उनके कल्चरल सिंबॉलिज्म लॉन्च करेगा


अंतरराष्ट्रीय संस्कृति-प्रकृति कार्यक्रम

प्रविष्टि तिथि: 19 NOV 2025 9:30PM by PIB Delhi

भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास को ‘गज-लोक: एशिया में हाथियों की जमीन और उनके कल्चरल सिंबॉलिज़्म’ लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है। यह एक ऐसी पहल है जिसका मकसद एशियाई हाथियों के अंतरराष्ट्रीय संबंध का दस्‍तावेजीकरण करना व अन्वेषण करना है और एशिया में हाथी वाले देशों में आपस में जुड़े सांस्‍कृतिक, ऐतिहासिक, पारिस्थितिकीय और जलवायु लचीलापन को रेखांकित करना है।

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गज-लोक प्रदर्शनी शिक्षाविदों, सांस्कृतिक विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों को एक मंच पर लाकर और गोलमेज सम्मेलन एक बहु-देशीय संवाद की शुरुआत का प्रतीक है जो हाथी को सांस्कृतिक और पारिस्थितिक लचीलेपन के जीवित प्रतीक के रूप में स्थापित करता है।

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यह प्रदर्शनी छह विषयगत पैनल प्रस्तुत करती है जो मानव-हाथी के स्थायी संबंधों को प्रदर्शित करती है। इसमें प्रागैतिहासिक कला और प्राचीन व्यापार मार्गों से लेकर हाथियों की कल्पना और पवित्र परंपराओं तक दिखाया गया है कि हाथियों ने पूरे एशिया में विश्वास, शक्ति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को कैसे आकार दिया है। यह केरल स्थित रोबोटिक मंदिर के हाथियों की ऐतिहासिक निरंतरता और आधुनिक नवाचारों दोनों पर प्रकाश डालती है। यह प्रदर्शनी दर्शकों को करुणा, विरासत और सह-अस्तित्व की संभावनाओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है।

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गज-लोक परियोजना और उससे जुड़ी प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल करेंगे। इस मौके पर भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के चेयरमैन श्री अशोक जयराज सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के सदस्य सचिव श्री रवींद्र सिंह (रिटायर्ड) और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के इनटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज डिवीजन की प्रधान निदेशक सुश्री नेरुपमा वाई. मोडवेल, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के नेचुरल हेरिटेज डिवीजन के प्रधान निदेशक श्री मनु भटनागर और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास के अन्‍य अधिकारी और आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहेंगे।

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गज-लोक गोलमेज सम्मेलन में प्रतिष्ठित विद्वान और संरक्षणवादी शामिल हो रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं-प्रोफेसर रमन सुकुमार, प्रोफेसर, पारिस्थितिकी विज्ञान केंद्र, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु; श्री विवेक मेनन, अध्यक्ष, आईयूसीएन प्रजाति संरक्षण आयोग और संस्थापक और ईडी, वन्यजीव ट्रस्ट ऑफ इंडिया; डॉ विनोद माथुर, पूर्व अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और पूर्व निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान; डॉ खालिद पाशा, आईयूसीएन एशिया क्षेत्रीय समन्वयक, बैंकॉक; श्री रवि सिंह, महासचिव और सीईओ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया; डॉ. शशि बाला, डीन, सेंटर ऑफ इंडोलॉजी, भारतीय विद्या भवन; सुश्री सुजाता शंकर, वास्तुकार और संयोजक, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास चेन्नई चैप्टर; डॉ. नंदिता कृष्णा, अध्यक्ष, सी.पी. रामास्वामी अय्यर फाउंडेशन, चेन्नई; प्रो. अर्चना शास्त्री, पूर्व निदेशक, मेकांग गंगा कोऑपरेशन एशियन ट्रेडिशनल टेक्सटाइल म्यूज़ियम, सिएम रीप, कंबोडिया; डॉ. एन.वी.के. अशरफ, वाइल्डलाइफ़ ट्रस्ट ऑफ इंडिया; डॉ. अरुण वेंकटरमन, टेक्निकल कंसल्टिंग डायरेक्टर, ईआरएम; प्रो. महेश रंगराजन, इतिहासकार, अशोक विश्‍वविद्यालय; सुश्री इना पुरी, लेखिका, बायोग्राफर और आर्ट क्यूरेटर; प्रो. अली अनूशहर, इतिहासकार, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया; और डॉ. सुमन जैन, इतिहासकार, बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय।

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इन सत्रों में एशियाई हाथी के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय और संरक्षण पर चर्चा की जाएगी। इन चर्चाओं से मिली जानकारी गज-लोक डॉसियर में मदद करेगी जो हाथी से जुड़ी विरासत को दुनिया भर में पहचान दिलाने में मदद करने वाला एक बहुविषयक अनुसंधान और दस्तावेजीकरण पहल है।

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गज-लोक सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है। यह इंसानों और हाथियों के बीच हमेशा रहने वाले रिश्ते की स्‍वीकृति है। कला, पर्यावरण, स्कॉलरशिप और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को जोड़कर, यह पहल पूरे एशिया में संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत और पारिस्थितिकी के देखभाल के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को प्रेरित करती है।

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पीके/केसी/बीयू/वाईबी


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