विद्युत मंत्रालय
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श्री मनोहर लाल ने कहा: अतिरिक्त हरित ऊर्जा भंडारण में पंप स्टोरेज परियोजनाएं निभा सकती हैं महत्वपूर्ण भूमिका; इन परियोजनाओं के विकास में राज्य सरकारों की भूमिका पर जोर दिया


विद्युत मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति ने पंप स्टोरेज परियोजनाओं पर चर्चा की

पीएसपी की 224 गीगावाट क्षमता की पहचान की गई, परियोजनाएँ विकास के विभिन्न चरणों में

Posted On: 17 NOV 2025 5:25PM by PIB Delhi

विद्युत मंत्रालय ने आज आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पिन्नापुरम में विद्युत मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति  की एक बैठक आयोजित की। पंप स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) पर केंद्रित इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री मनोहर लाल ने की। इस बैठक में विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, लोकसभा और राज्यसभा से विद्युत मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य, विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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सदस्यों को संबोधित करते हुए श्री मनोहर लाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पीएसपी अतिरिक्त हरित ऊर्जा के भंडारण और गैर-सौर ऊर्जा घंटों के दौरान बिजली की माँग को पूरा करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पीएसपी जलाशयों से वाष्पीकरण हानि के मुद्दे पर, मंत्री महोदय ने एक व्यवहार्य समाधान के रूप में फ्लोटिंग सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने समय पर स्थल आवंटन, जल आवंटन और शीघ्र मंज़ूरी के माध्यम से पीएसपी विकास को सुगम बनाने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने समिति के सदस्यों से आग्रह किया कि वे पीएसपी के विकास में तेज़ी लाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर हरित ऊर्जा उपकर, जल कर और जलाशय पट्टा शुल्क जैसे शुल्कों को वापस लेने पर विचार करें।

समिति के सदस्यों को बताया गया कि लगभग 224 गीगावाट की राष्ट्रव्यापी पीएसपी क्षमता की पहचान की गई है। इनमें से, लगभग 7 गीगावाट की कुल क्षमता वाले दस पीएसपी चालू हो चुके हैं, लगभग 12 गीगावाट क्षमता वाले दस अन्य पीएसपी निर्माणाधीन हैं और लगभग 78 गीगावाट क्षमता वाली 56 पीएसपी परियोजनाएं योजना और विकास के विभिन्न चरणों में हैं।

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समिति के सदस्यों को पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास में तेजी लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख नीतिगत पहलों से अवगत कराया गया। इन पहलों में स्थल आवंटन के तरीकों को रेखांकित करते हुए पीएसपी विकास के लिए दिशानिर्देश जारी करना, मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास निधि दायित्वों आदि से छूट और 30 जून 2028 को या उससे पहले प्रदान की गई परियोजनाओं के लिए 25 वर्षों के लिए अंतर-राज्य ट्रांसमिशन (आईएसटीएस) शुल्क की पूर्ण छूट शामिल है। सरकार ने  अवसंरचना के लिए बजटीय सहायता भी बढ़ा दी है, ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए नवीकरणीय उपभोग दायित्वों को अधिसूचित किया है और पीएसपी से भंडारण क्षमता/संग्रहित ऊर्जा की खरीद के लिए शुल्क-आधारित प्रतिस्पर्धी बोलियों के (टीबीसीबी) दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा, ऑफ-स्ट्रीम क्लोज्ड-लूप पीएसपी को सीईए की सहमति की आवश्यकता से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त, जलविद्युत और पीएसपी परियोजनाओं के लिए सीईए सहमति हेतु पूंजीगत व्यय सीमा को संशोधित कर 3,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जबकि पहले यह सीमा प्रतिस्पर्धी बोली वाली परियोजनाओं के लिए 2,500 करोड़ रुपये और एमओयू पर आधारित परियोजनाओं के लिए 1,000 करोड़ रुपये थी।

सलाहकार समिति के सदस्यों ने पीएसपी को दी जा रही व्यापक नीति के लिए विद्युत मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि हाल ही में उठाए गए कदमों जैसे कि ऑफ-स्ट्रीम क्लोज्ड लूप पीएसपी के लिए तकनीकी मूल्यांकन आवश्यकताओं को आसान बनाना, सक्षम बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता के माध्यम से व्यवहार्यता को मजबूत करना और आईएसटीएस शुल्कों में छूट जैसे क़दमों से परियोजना विकास कर्ताओं और राज्यों के बीच भरोसा बढ़ा है।

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समिति के सदस्यों ने देश भर में पीएसपी के विकास को और तेज़ करने के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए। समिति ने पीएसपी और पवन व सौर जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के पर्यावरणीय प्रभावों पर भी चर्चा की। उन्होंने पीएसपी के लाभों पर ज़ोर दिया और इससे पर्यावरण पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ने के बारे में बताया।

विद्युत राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने भी समिति को संबोधित किया और बताया कि 500 ​​मेगावाट टिहरी पीएसपी के साथ-साथ 1680 मेगावाट पिन्नापुरम पीएसपी की सभी आठ इकाइयों का 2025-26 के दौरान सफलतापूर्वक चालू होना एक बड़ी राष्ट्रीय उपलब्धि है जो केंद्र, राज्यों, सीपीएसयू और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत समन्वय को दर्शाता है।

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