भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
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भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने आईआईटी गुवाहाटी में आयोजित RuTAG 2.0 परियोजनाओं की दूसरी वार्षिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

Posted On: 14 NOV 2025 5:16PM by PIB Delhi

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो. अजय कुमार सूद ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) की पहल, ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह (आरयूटैग) 2.0 की दूसरी वार्षिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक 13 और 14 नवंबर 2025 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी में आयोजित की गई। ओपीएसए के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और ओपीएसए की सलाहकार/वैज्ञानिक 'जी' एवं आरयूटैग समन्वयक डॉ. राकेश कौर भी बैठक में शामिल हुए।

 

बैठक से पहले उद्घाटन सत्र की शुरुआत आईआईटी गुवाहाटी के प्रो. शशिंद्र कुमार काकोटी के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में ग्रामीण प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने और नवाचार के माध्यम से स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने में संस्थान की चल रही पहलों पर प्रकाश डाला। डॉ. कौर ने 2024-25 के दौरान RuTAG(ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह) 2.0 की समग्र प्रगति का संक्षिप्त विवरण दिया, सात केंद्रों की उपलब्धियों और प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए राज्य के विभागों, उद्योगों और समुदाय-आधारित संगठनों के साथ सहयोग का विस्तार किया। इस सत्र में आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रो. देवेंद्र जलिहाल, ओपीएसए के वैज्ञानिक 'डी' डॉ. हफ्सा अहमद और ओपीएसए के तकनीकी कर्मचारी श्री दिबोजीत पाठक भी शामिल हुए।

प्रो. सूद ने अपने मुख्य भाषण में ग्रामीण भारत में जीवन स्तर सुधारने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, "RuTAG हमारे शोध संस्थानों को ग्रामीण समुदायों की ज़रूरतों से जोड़ता है और यह सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक ज्ञान सशक्तिकरण का एक माध्यम बने। जब ग्रामीण भारत स्थानीय स्तर पर विकसित तकनीकों के माध्यम से अपनी चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनता है, तो यह आत्मनिर्भरता की नींव को मज़बूत करता है।" उन्होंने RuTAG केंद्रों में गुणवत्ता, मानकीकरण और सहयोग बनाए रखने के महत्व पर भी ज़ोर दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि तकनीकें विश्वसनीय, मापनीय और प्रभावशाली हों।

डॉ. परविंदर मैनी ने ज़ोर देते हुए कहा, "RuTAG ने दिखाया है कि जब वैज्ञानिक प्रयास स्थानीय ज़रूरतों पर केंद्रित होते हैं, तो वे ग्रामीण आजीविका में बदलाव ला सकते हैं। हमारे काम का अगला चरण यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित होना चाहिए कि RuTAG के तहत विकसित हर तकनीक लोगों तक निरंतर और सार्थक तरीके से पहुँचे।" उन्होंने व्यवहार्य ग्रामीण मूल्य श्रृंखलाएं विकसित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों, सूक्ष्म उद्यमों और स्थानीय नवप्रवर्तकों के साथ जुड़ाव को मज़बूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

प्रो. जलिहाल ने RuTAG 2.0 के लिए उन तकनीकों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जिनमें क्षेत्र में तैनाती और मापनीय प्रभाव की स्पष्ट क्षमता हो। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के परिपक्व होने के साथ, केंद्रों को ऐसे समस्या-विवरणों के चयन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो वास्तविक ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करें और यह सुनिश्चित करें कि समाधान प्रोटोटाइप से आगे बढ़कर सार्थक रूप से अपनाए जाएँ।

पीएसए प्रो. सूद ने RuTAG 2.0 वार्षिक प्रगति रिपोर्ट 2024-25 जारी की, जिसमें कृषि, पशुपालन, कटाई-पश्चात प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, जल शोधन और ग्रामीण शिल्प में ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करने वाली 56 से अधिक चालू परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें से कई प्रोटोटाइप और फील्ड-डिप्लॉयमेंट चरणों में पहुंच चुकी हैं। प्रो. सूद ने आईआईटी गुवाहाटी में कृषि एवं जलीय वोल्टायिक्स में नवाचार केंद्र (CIAAV) और वेलनेस-उत्पाद नवाचार के लिए एकीकृत सुविधा (IFWPI) का भी उद्घाटन किया। इस केंद्र का उद्देश्य कृषि वोल्टायिक्स, जलीय वोल्टायिक्स और वेलनेस-उत्पाद विकास में अंतःविषय अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना, पूर्वोत्तर क्षेत्र में ग्रामीण उद्यमिता और आजीविका सृजन को मजबूत करना है।

RuTAG 2.0 कार्यक्रम के अंतर्गत RuTAG केंद्रों और सहयोगी संगठनों की ओर से विकसित तकनीकों और प्रोटोटाइपों को प्रदर्शित करते हुए एक ग्रासरूट इनोवेशन और स्टार्टअप प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। आईआईटी गुवाहाटी के कृषि एवं ग्रामीण प्रौद्योगिकी विद्यालय (SART) में ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग के लिए विकसित ड्रोन-आधारित अनुप्रयोगों का भी प्रदर्शन किया गया।

 

समीक्षा सत्रों के दौरान, सभी सात RuTAG केंद्रों (IIT गुवाहाटी, SKUAST-कश्मीर, IIT दिल्ली, IIT बॉम्बे, IIT रुड़की, ICAR-NAARM हैदराबाद और IIT मद्रास) ने अपनी वार्षिक प्रगति प्रस्तुत की और क्षेत्रीय कार्यान्वयन से प्राप्त जानकारी साझा की। चर्चाओं में सिद्ध तकनीकों का विस्तार, अंतर-केंद्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और व्यापक रूप से अपनाने के लिए सरकारी विभागों, उद्योग और स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस अवसर पर हितधारकों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग और पहुंच केंद्र (एनईसीटीएआर), असम विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (एएसटीईसी), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एएसआरएलएम) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन सहयोगात्मक विज्ञान, नवाचार और साझेदारी के माध्यम से प्रौद्योगिकी-आधारित ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने के लिए RuTAG 2.0 के रणनीतिक रोडमैप पर विचार-विमर्श के साथ हुआ।

 

पीके/केसी/एनएम


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