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खगोलविदों ने तारों के उद्भव के दौरान अप्रत्याशित रासायनिक संबंध का पता लगाया

Posted On: 14 NOV 2025 3:37PM by PIB Delhi

हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप और अन्य अभिलेखीय आंकड़ों का उपयोग करते हुए, एक नए अध्ययन ने लिथियम-समृद्ध विशालकाय लाल तारों और उनमें बढ़ी हुई हीलियम प्रचुरता के बीच संबंध का पता लगाया है। यह अध्ययन विशालकाय लाल तारों के चरण के साथ-साथ ठंडे विशालकाय तारों के उद्भव के बारे में एक नई जानकारी देता है।

हाइड्रोजन के बाद सबसे प्रचुर तत्व, हीलियम, अन्य प्रमुख तत्वों की प्रचुरता को सटीक रूप से मापने और तारों की संरचना एवं विकासमूलक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तारों में हीलियम की प्रचुरता अप्रत्यक्ष विधियों का उपयोग करके मापी जाती है क्योंकि इसे तारे की सतह से प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा जा सकता। विशेष रूप से ठंडे तारों, जैसे हमारे सूर्य और अन्य दूसरे विशालकाय तारों में, सतह का तापमान हीलियम को सक्रिय करके अवलोकन करने योग्‍य स्‍पेक्‍ट्रल लाइन्‍स उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इसलिए, किसी तारे की संरचना, विकास और अन्य अवलोकन योग्‍य तत्वों तथा अणुओं पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करके हीलियम की प्रचुरता का अनुमान लगाया जाता है।

हाइड्रोजन और हीलियम की प्रचुरता में परिवर्तन सापेक्षिक है। यदि हाइड्रोजन में कमी होती है, तो हीलियम आनुपातिक रूप से बढ़ता है।

चित्र 1. एचई-संवर्धित (एचई/एच > 0.1) तारों के लिए एमजीएच बैंड का प्रेक्षित और संश्लेषित स्पेक्ट्रा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों द्वारा किए गए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन की प्रचुरता और इसके मानक मूल्य से किसी भी विचलन को, इसके परमाणु बनाम आणविक स्‍पेक्‍ट्रल लाइन्‍स से प्राप्त मैग्नीशियम की प्रचुरता की तुलना करके मापा।

हाइड्रोजन की प्रचुरता में इस अंतर को हाइड्रोजन से हीलियम अनुपात (एचई/एच अनुपात) के विभिन्न मानों के लिए कंप्‍युटेड मॉडल वायुमंडल का उपयोग करके संगत हीलियम प्रचुरता में परिवर्तित किया गया। इस पद्धति का उपयोग टीम द्वारा पहले के एक शोध कार्य में सूर्य की हीलियम प्रचुरता निर्धारित करने के लिए भी प्रभावी ढंग से किया गया था।

अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (एएएस) के एस्ट्रोफिजिकल जर्नल (एपीजे) में प्रकाशित स्‍टडी के प्रमुख लेखक बीपी हेमा ने कहा, "हमने लिथियम और हीलियम की प्रचुरता के बीच संबंध का अध्ययन करने के लिए इस पद्धति को कई ठंडे विशालकाय तारों पर लागू किया। 18 लाल विशालकाय तारों और 2 अति विशालकाय तारों वाले इस नमूने का अध्ययन मुख्य रूप से आईआईए द्वारा संचालित लद्दाख के हानले स्थित हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप और विश्‍व भर के विभिन्न दूरबीनों के अभिलेखों से प्राप्त उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्पेक्ट्रा का उपयोग करके किया गया था।"

चित्र 2. प्रोग्राम तारों बनाम (एचई/एच) के लिए लिथियम-प्रचुर, एलओजी ε(लिथियम)। ओपन ब्‍लू स्‍क्‍वॉयर सामान्य एचई/एच अनुपात वाले तारे हैं (एचई/एच = 0.1) और भरे हुए लाल सर्किल वाले एचई-संवर्धित तारे (एचई/एच > 0.1) हैं।

ऑटोमिक लाइन्‍स और मॉलेकुलर बैंडों का विश्लेषण करके 23 विभिन्न तत्वों के प्रभावी तापमान, सतही गुरुत्वाकर्षण और प्रचुरता की गणना की गई। ये विश्लेषण उपयुक्त एचई/एच अनुपातों के साथ निर्मित मॉडलों को अपनाकर किए गए, जो एमजीएच और एमजी I लाइन्‍स से समान एमजी प्रचुरता दर्शाते हैं। 20 प्रोग्राम स्‍टार्स में से, छह में एचई/एच अनुपात (हीलियम में वृद्धि) 0.1 के मानक मान से अधिक पाया गया। इन छह विशालकाय तारों में से, पांच लाल विशालकाय तारे हैं, और एक सुपर‍-विशालकाय तारा है।

सह-लेखक और आईआईए के प्रोफ़ेसर गजेंद्र पांडे ने बताया, "इस शोध का मुख्य परिणाम यह है कि सभी हीलियम-संवर्धित लाल विशालकाय तारे अति-लिथियम-समृद्ध पाए गए, केवल सुपर विशालकाय तारा इसका अपवाद है। लेकिन सभी लिथियम-समृद्ध विशालकाय तारे हीलियम-संवर्धित नहीं हैं। इससे संकेत मिलता है कि फोटो स्‍फेरिक हीलियम संवर्धन विशालकाय तारों में लिथियम प्रचुरता के साथ भी संयोजित रहता है, जैसी कि हमने परिकल्‍पना की थी।"

यह सामान्य और लिथियम-समृद्ध प्रक्षेत्र विशालकाय तारों में फोटो स्‍फेरिक हीलियम प्रचुरता का पहला स्पेक्ट्रोस्कोपिक माप है। लिथियम संवर्धन दर्शाने वाले हीलियम-समृद्ध विशालकाय लाल तारों को उद्भव के सभी चरणों में देखा गया है, जो इस शोध कार्य का एक और परिणाम है।

यह पेपर https://iopscience.iop.org/article/10.3847/1538-4357/adea40 से डाउनलोड किया जा सकता है

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