स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने दूसरे डीएचआर-आईसीएमआर स्वास्थ्य अनुसंधान उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन 2025 में मुख्य भाषण दिया


पिछले एक दशक में भारत स्वास्थ्य अनुसंधान में एक प्रमुख देश के रूप में उभरा है; मेडटेक मित्र जैसी पहलें और रोटावैक एवं कोविड-19 टीके जैसे नवाचार वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान परिदृश्य में भारत के बढ़ते प्रभुत्‍व के प्रमाण हैं: श्रीमती पटेल

डॉ. वी.के. पॉल ने ‘विकसित भारत’ मिशन के तहत भारत की स्वस्थ जीवन प्रत्याशा को 75 वर्ष तक बढ़ाने के विजन की रूपरेखा प्रस्तुत की

Posted On: 13 NOV 2025 4:11PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज दिल्‍ली में आयोजित दूसरे डीएचआर-आईसीएमआर स्वास्थ्य अनुसंधान उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन 2025 में मुख्य भाषण दिया। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में श्रीमती पटेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के स्वास्थ्य अनुसंधान इकोसिस्‍टम में उल्लेखनीय मजबूती आई है। उन्होंने कहा, "पिछले एक दशक में भारत स्वास्थ्य अनुसंधान में एक प्रमुख देश के रूप में उभरा है। मेडटेक मित्र जैसी पहल और रोटावैक एवं कोविड-19 टीके जैसे नवाचार वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान परिदृश्य में भारत के बढ़ते प्रभुत्‍व के प्रमाण हैं।"

केंद्रीय मंत्री ने विज्ञान और अनुसंधान के लाभों को सभी स्तरों पर लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। उन्होंने आगे कहा, "भारत चिकित्सा प्रौद्योगिकी और जैव चिकित्सा नवाचार के क्षेत्रों में तेज़ी से आत्मनिर्भर बन रहा है। देश न केवल नवाचार कर रहा है, बल्कि बड़े पैमाने पर समाधान प्रदान करने की क्षमता भी प्रदर्शित कर रहा है।"

श्रीमती पटेल ने आगे कहा कि साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत बना हुआ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि हर नागरिक के लिए किफायती और न्‍यायसंगत स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए नैदानिक ​​दिशानिर्देश और गुणवत्ता मानक सभी स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए सुलभ होने चाहिए।

आंतरिक, बाह्य और नैदानिक ​​अनुसंधान के क्षेत्र में प्राप्त सफलता पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय को एआई-संचालित सटीक स्वास्थ्य सेवा और उन्नत जीनोमिक्स जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित किया। अपने संबोधन के समापन पर उन्होंने सभी शोधकर्ताओं और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा, "भारत को न केवल वैश्विक विज्ञान में योगदान देना चाहिए, बल्कि उसका नेतृत्व भी करना चाहिए।"

अपने संबोधन में डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि भारत में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा वर्तमान में 60 वर्ष है और इस बात पर बल दिया कि आईसीएमआर के लिए विकसित भारत विजन का लक्ष्य नवीन हस्तक्षेपों, समाधानों और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाकर इसे 75 वर्ष से ऊपर ले जाना है।

डॉ. पॉल ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) से गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), उच्च रक्तचाप और आघात देखभाल जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दस प्रमुख कारकों की रूपरेखा प्रस्तुत की:

  1. डीएचआर और केन्‍द्र सरकार की सहायता से आईसीएमआर को विश्व स्तर पर शीर्ष तीन स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों में स्थान दिलाना।
  2. आईसीएमआर के आंतरिक संस्थानों को उनके संबंधित क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व के स्‍तर तक ले जाना।
  3. विश्व की सबसे बड़ी बाह्य अनुसंधान प्रणाली विकसित करना।
  4. ज्ञान, हस्तक्षेप, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
  5. राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ मजबूत संबंध बनाना।
  6. कैंसर, उच्च रक्तचाप, ओरल स्वास्थ्य आदि के लिए व्यापक पैकेज प्रदान करने वाले 1.8 लाख पूर्णतः कार्यात्मक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को सशक्‍त बनाना।
  7. भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  8. विश्व स्तरीय स्वास्थ्य अनुसंधान कार्यबल का विकास करना।
  9. नवीन स्वास्थ्य समाधानों के लिए एआई और रोबोटिक्स जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना।
  10. भविष्य की महामारियों सहित जैव सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए व्यापक स्वास्थ्य रणनीति विकसित करना।

डॉ. पॉल ने भारत के स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान परिदृश्य को आगे बढ़ाने हेतु उनके समर्पण के लिए डीएचआर और आईसीएमआर टीमों के साथ-साथ सभी पुरस्कार विजेताओं और शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की सराहना की।

इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा डीएचआर-आईसीएमआर की कई प्रमुख पहलों का शुभारंभ किया गया:

  • मेडटेक मित्र की इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) चिकित्सा उपकरणों के लिए इनोवेटर गाइडबुक
  • 3 कंपनियों को 11 नई प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण
  • नवीनीकृत एवं उन्नत मानक उपचार कार्यप्रवाह का अनावरण
  • सहायक प्रौद्योगिकी दिशानिर्देश और किट, जिनमें शामिल हैं:
    • आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली में उन्नत अनुसंधान एवं उत्कृष्टता केंद्र – दिव्‍यांगता एवं सहायक प्रौद्योगिकी (केयर-डीएटी) द्वारा ऊपरी अंगों के कार्यों के मूल्यांकन के लिए एक असेस्‍मेंट किट विकसित की गई है।
    • आईसीएमआर और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित आवश्यक सहायक उत्पादों की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएपी) के मानक तैयार किए गए हैं।
  • आईसीएमआर पेंशनर्स पोर्टल का शुभारंभ

 

इस कार्यक्रम में डीएचआर के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, डीएचआर की संयुक्त सचिव श्रीमती अनु नागर, आईसीएमआर की वरिष्ठ डीडीजी (प्रशासन) श्रीमती मनीषा सक्सेना और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि:

  1. इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स मेडिकल डिवाइस (आईवीडी) के लिए मेडटेक मित्र की इनोवेटर्स गाइडबुक  

आईसीएमआर और सीडीएससीओ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह इनोवेटर गाइडबुक इनोवेटर्स को नैदानिक ​​नमूना रणनीतियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके अपने प्रदर्शन मूल्यांकन को समझने और उसकी योजना बनाने में मदद करने के लिए एक संरचित मार्ग प्रदान करती है। नवाचार जीवनचक्र में प्रमुख क्षेत्रों और अपेक्षाओं का मानचित्रण करके यह गाइडबुक शोधकर्ताओं को आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने, नियामक और नैतिक मानदंडों के साथ तालमेल बिठाने तथा अपने उत्पाद की सुरक्षा और प्रभावकारिता का समर्थन करने के लिए ठोस नैदानिक ​​साक्ष्य तैयार करने में सक्षम बनाती है।

2. हस्तांतरित की जाने वाली नई प्रौद्योगिकियां:

क्रम..सं.

प्रौद्योगिकी का नाम

कहां विकसित हुई

प्रौद्योगिकी का संक्षिप्त विवरण

1

निपाह वायरस का पता लगाने के लिए आरटी-एलएएमपी एएसएसएवाई

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

स्वदेशी रूप से विकसित लूप मीडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन (एलएएमपी) एएसएसएवाई विशेष रूप से निपाह वायरस के दो जीनों (एन और एम जीन) का पता लगाती है। परिणामों की व्याख्या रंग परिवर्तन को देखकर की जाती है। किसी परिष्कृत रीडिंग उपकरण की आवश्यकता नहीं है।

2

मंकीपॉक्स वायरस का पता लगाने के लिए आरटी-एलएएमपी एएसएसएवाई

 

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

यह एएसएसएवाई का उपयोग मंकीपॉक्स के निदान के लिए किया जा सकता है, जहाँ मात्रात्मक पहचान आवश्यक नहीं है। ये एएसएसएवाई विशेष रूप से मंकीपॉक्स वायरस के दो जीनों (जीनस-विशिष्ट बी6आर जीन और प्रजाति-विशिष्ट एफ3एल जीन) का पता लगाती है।

3

एसएआरएस-सीओवी-2 का पता लगाने के लिए आरटी-एलएएमपी एएसएसएवाई

 

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

त्‍वरित एसएआरएस-सीओवी -2 डिटेक्‍शन एएसएसएवाई एलएएमपी का उपयोग करके बिना किसी थर्मल साइक्लर के 65 ± 10°सी पर ई और एन जीन को लक्षित करता है। परिणाम 40 मिनट के भीतर दृष्टिगत रूप से समझे जा सकते हैं, जिसके लिए न्यूनतम उपकरण और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।

4

खसरा रोधी आईजीएम ईएलआईएसए

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

यह ईएलआईएसए निष्क्रिय खसरा प्रतिजन का उपयोग करता है और मानव सीरम में खसरा विशिष्ट आईजीएम का गुणात्मक निर्धारण प्रदान करेगा। जिसका उपयोग खसरे के शीघ्र निदान के लिए किया जा सकता है।

5

जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) एंटीजन कैप्चर ईएलआईएसए

 

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

रोगी के सीरम/सीएसएफ (यदि मौजूद हो) में मौजूद आईजीएम एंटीबॉडी और पॉजिटिव कंट्रोल से प्राप्त आईजीएम को ठोस सतह (वेल्स) पर लेपित एंटी-ह्यूमन आईजीएम (µ चेन विशिष्ट) द्वारा कैप्चर किया जाता है। अगले चरण में जेई एंटीजन (निष्क्रिय जेई वायरस) मिलाया जाता है जो कैप्चर किए गए मानव जेई विशिष्ट आईजीएम से जुड़ जाता है। अपेक्षित उपयोग: आईसीएमआर-एनआईवी द्वारा विकसित जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) आईजीएम कैप्चर ईएलआईएसए जेई के अनुरूप नैदानिक ​​​​संकेतों और लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले रोगियों के सीरम/सीएसएफ में जेई वायरस विशिष्ट आईजीएम एंटीबॉडी के गुणात्मक निर्धारण के लिए है।

6

एसएआरएस-सीओवी2, इन्फ्लूएंजा ए और बी का एक साथ पता लगाने के लिए सिंगल ट्यूब मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

टैकमैन आधारित रियल टाइम पीसीआर, सिंगल ट्यूब मल्टी वायरस डिटेक्शन एएसएसएवाई (फोर प्लेक्स) इच्छित उपयोग: एसएआरएस-सीओवी2  और इसके वेरिएंट (आज तक एसएफजी) का सटीक पता लगाना, साथ ही इन्फ्लूएंजा ए उपप्रकार H1N1/pdm09 और H3N2, साथ ही इन्फ्लूएंजा B वंश यामागाटा और विक्टोरिया का पता लगाना

7

श्वसन नमूनों से एसएआरएस-सीओवी2 का पता लगाने के लिए सिंगल ट्यूब मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

मानव श्वसन नमूनों से एसएआरएस-सीओवी2 का पता लगाने के लिए सिंगल ट्यूब मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर एएसएसएवाई। 10 वीआरडीएल/सरकारी प्रयोगशालाओं द्वारा 75 एसएआरएस-सीओवी2 पॉजिटिव, जिनमें निम्न मध्यम और उच्च सीटी मान शामिल हैं तथा 85 एसएआरएस-सीओवी2 नेगेटिव नमूनों का उपयोग करके सत्यापित किया गया।

8

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस का पता लगाने के लिए सीआरआईएसपीआर -आधारित आणविक निदान किट

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआईआरटी)

यह सीआरआईएसपीआर -Cas13a डायग्नोस्टिक, गाइड आरएनए और एक फ्लोरोसेंट ssRNA रिपोर्टर का उपयोग करके माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के rpoB जीन को लक्षित करता है, जिससे त्वरित, दृश्य पहचान होती है। यह उपकरण जटिल उपकरणों के बिना संवेदनशील एमटीबी पहचान को सक्षम बनाता है, जो भारत में अपनी तरह का पहला विकास है।

9

शुरुआती टीबी निदान के लिए प्‍लाजमा में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस-व्युत्पन्न परिसंचारी कोशिका-मुक्त डीएनए (सीसीएफडीएनए) पता लगाना

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआईआरटी)

अनुकूलित दोहरे लक्ष्य वाली ड्रॉपलेट डिजिटल पीसीआर एएसएसएवाई, एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी का शीघ्र निदान, लक्षणहीन/सबक्लिनिकल टीबी, लक्षणयुक्त नैदानिक ​​रूप से निदान/संभावित टीबी, टीबी संक्रमित होने के उच्च जोखिम वाले व्यक्ति

10

एंटी-केएफडी हयूमन आईजीएम ईएलआईएसए

 

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

यह एएसएसएवाई एंटी-ह्यूमन-आईजीएम एंटीबॉडी का उपयोग करके एक माइक्रोटिटर प्लेट पर आईजीएम एंटीबॉडी को कैप्चर करने पर आधारित है। अनबाउंड सामग्री को धोकर हटा दिया जाएगा। एंटी-आईजीएम एंटीबॉडी कॉम्प्लेक्स के निर्माण का पता केएफडी एंटीजन, एंटी केएफडी बायोटिनाइलेटेड आईजीजी और एविडिन हॉर्सरैडिश पेरोक्सीडाइज़ (एवी-एचआरपी) प्रणाली का उपयोग करके लगाया जाएगा।

11

डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस का एक साथ पता लगाने के लिए सिंगल-ट्यूब मल्टीप्लेक्स रियल-टाइम आरटी-पीसीआर विधि

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी

आरएनए अखंडता और सटीक प्रवर्धन सुनिश्चित करने के लिए एक्टिन नियंत्रण के साथ अनुकूलित प्राइमर और प्रोब। अनुकूलित मल्टीप्लेक्स सेटअप न्यूनतम अभिकर्मक उपयोग के साथ सह-परिसंचारी अर्बोवायरस का त्वरित और संवेदनशीलता के साथ पता लगाने में सक्षम बनाता है।

 

3. सहायक प्रौद्योगिकी दिशानिर्देश और किट

) एक्शन रिसर्च आर्म टेस्ट (एआरएटी) किट

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस इन डिसेबिलिटी एंड असिस्टिव टेक्नोलॉजी (केयर-डीएटी) के माध्यम से रिसर्च आर्म टेस्ट (एआरएटी) किट विकसित की है , जो पुनर्वास और सहायक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इस स्वदेशी रूप से विकसित एआरएटी किट का लॉन्च पूरे भारत में साक्ष्य-आधारित पुनर्वास प्रथाओं को मजबूत करने और नैदानिक ​​मूल्यांकन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

एआरएटी एक सुस्थापित, मानकीकृत नैदानिक ​​मूल्यांकन उपकरण है जिसे ऊपरी अंगों के कार्य —विशेष रूप से बाँह और हाथ—का मूल्यांकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है , उन व्यक्तियों में जिन्हें तंत्रिका संबंधी विकार या स्ट्रोक, मस्तिष्क की चोट, या रीढ़ की हड्डी की चोट जैसी स्थितियाँ हुई हैं। आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट और व्यावसायिक चिकित्सकों द्वारा प्रशासित एआरएटी दैनिक जीवन और स्वतंत्रता के मुख्य घटकों— पकड़, ग्रिप, चुटकी और हाथ की पूरी गति— से जुड़े कार्यात्मक कार्यों को करने की रोगी की क्षमता का एक विश्वसनीय मापक है।

ऊपरी अंग के कार्य का आकलन करने के लिए एक वस्तुनिष्ठ और व्यवस्थित विधि प्रदान करके एआरएटी पुनर्वास पेशेवरों को निम्नलिखित में सक्षम बनाता है:

  • प्रत्येक रोगी की कार्यात्मक क्षमता के लिए बेस लाइन स्थापित करने में।
  • यथार्थवादी चिकित्सीय लक्ष्य निर्धारित करें और समय के साथ प्रगति की निगरानी करने में।
  • क्षतिग्रस्त मांसपेशी समूहों और गति पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यक्तिगत पुनर्वास कार्यक्रम डिजाइन करने में।
  • एक व्यापक, समन्वित पुनर्वास दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए बहु-विषयक टीमों के साथ रोगी की प्रगति और सीमाओं के बारे में प्रभावी ढंग से संवाद करने में।

एआरएटी किट के लाभार्थियों में शामिल हैं:

  1. फिजियोथेरेपिस्ट - मोटर रिकवरी और ताकत का मूल्यांकन करने और बढ़ाने के लिए।
  2. व्यावसायिक चिकित्सक - दैनिक गतिविधियों में सीमाओं की पहचान करना और कार्यात्मक प्रशिक्षण को अनुकूलित करना।
  3. पुनर्वास क्लीनिक और अस्पताल - रोगी प्रबंधन और दस्तावेज़ीकरण प्रणालियों में मानकीकृत परिणाम उपायों को एकीकृत करना।

कम लागत वाली एआरएटी किट के लाभ

अपने अंतर्राष्ट्रीय रूप में एआरएटी की कीमत लगभग 750 अमेरिकी डॉलर है, जिससे यह कई पुनर्वास केंद्रों, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले क्षेत्रों में, के लिए दुर्गम हो जाता है। आईसीएमआर और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित कम लागत वाली स्वदेशी एआरएटी किट इस कमी को दूर करती है और देश भर में पुनर्वास सेवाओं में व्यापक पहुँच और समानता सुनिश्चित करती है।

प्रमुख लाभों में शामिल हैं:

  1. व्यापक पहुंच: जिला स्तरीय और ग्रामीण पुनर्वास इकाइयों सहित फिजियोथेरेपी और व्यावसायिक चिकित्सा केंद्रों में मानकीकृत मूल्यांकन के व्यापक उपयोग को सक्षम बनाता है।
  2. स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी: नियमित पुनर्वास में मान्य कार्यात्मक मूल्यांकन उपकरण को एकीकृत करके लागत प्रभावी, उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल को बढ़ावा देता है।
  3. दूरस्थ-पुनर्वास के लिए समर्थन: किट की सरलता और किफायती सुलभता इसे दूरस्थ और घर-आधारित पुनर्वास आकलन के लिए अनुकूल बनाती है, जिससे पुनर्वास सेवाओं की पहुंच बढ़ जाती है।

अपेक्षित प्रभाव

इस कम लागत वाली रिसर्च आर्म टेस्ट (एआरएटी) किट का शुभारंभ भारत के "आत्मनिर्भर भारत" के विजन और सभी के लिए सुलभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण पुनर्वास सुनिश्चित करने के लक्ष्य के अनुरूप है। पुनर्वास पेशेवरों को विश्वसनीय, साक्ष्य-आधारित उपकरणों से सशक्त बनाकर यह पहल:

  • ऊपरी अंग की दिव्‍यांगता वाले रोगियों के लिए नैदानिक ​​परिणामों को बेहतर बनाएगी।
  • पुनर्वास विज्ञान में अनुसंधान और डेटा-आधारित निर्णय लेने को मजबूत करेगी।
  • फिजियोथेरेपिस्ट, व्यावसायिक चिकित्सक और पुनर्वास संस्थानों के बीच क्षमता निर्माण करेगी।

एआरएटी किट भारत में प्रत्येक पुनर्वास केंद्र के लिए मानकीकृत कार्यात्मक मूल्यांकन उपलब्ध कराने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है - यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य लाभ, स्वतंत्रता और गरिमा शारीरिक दिव्‍यांगता वाले सभी व्यक्तियों के लिए प्राप्त करने योग्य लक्ष्य बन जाएं।

ख) आईसीएमआर-बीआईएस द्वारा विकसित आवश्यक सहायक उत्पादों की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएपी) के लिए मानक

सहायक उत्पाद कार्यात्मक रूप से अक्षम व्यक्तियों और वृद्ध व्यक्तियों की कार्यात्मक स्वतंत्रता, गतिशीलता, संचार और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, आवश्यक सहायक उत्पादों की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएपी) में शामिल 21 उत्पादों के लिए मज़बूत राष्ट्रीय मानकों की स्थापना और उनका अनुपालन एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकता है। सभी उपयोगकर्ताओं के लिए गुणवत्ता, सुरक्षा और न्‍यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन, निर्माण, परीक्षण और सेवा वितरण में मानकीकरण आवश्यक है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के सहयोग से एनएलईएपी के अंतर्गत सूचीबद्ध सभी उत्पादों के लिए व्यापक राष्ट्रीय मानकों को सफलतापूर्वक विकसित किया है। इस संयुक्त प्रयास का मुख्य उद्देश्य भारतीय मानकों को वैश्विक मानकों (आईएसओ और डब्ल्यूएचओ-एपी सूची ढांचे सहित) के साथ सामंजस्य स्थापित करना था, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारत में विकसित, प्रमाणित और तैनात सहायक उत्पाद गुणवत्ता और प्रदर्शन मानकों का पालन करें।

यह सहयोग नैदानिक ​​सत्यापन, विनियामक अनुमोदन और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक खरीद के लिए इकोसिस्‍टम को और मजबूत करता है, जिससे भारत सहायक प्रौद्योगिकी प्रो‍वीजनिंग और नवाचार के लिए एक मजबूत, साक्ष्य-आधारित ढांचा स्थापित करने में सक्षम हो जाता है।

आईसीएमआर-बीआईएस समर्थित इन मज़बूत मानकों को अपनाना और लागू करना भारत के "सभी के लिए सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच" के विजन को साकार करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शुभारंभ निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

महत्त्व

विवरण

1. सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करना

मानक उत्पाद के प्रदर्शन, सुरक्षा और विश्वसनीयता के लिए स्पष्ट बेंचमार्क स्थापित करते हैं, नुकसान को न्यूनतम करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद आवश्यक नैदानिक ​​और उपयोगकर्ता आवश्यकताओं को पूरा करे।

2. नैदानिक ​​सत्यापन और विनियमन को सुगम बनाना

परिभाषित मानक उत्पादों के व्यवस्थित मूल्यांकन और नैदानिक ​​सत्यापन को सक्षम बनाते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल किए जाने से पहले चिकित्सकों, उपयोगकर्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच विश्वास बढ़ता है।

3. स्वदेशी विनिर्माण और नवाचार का समर्थन

अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के साथ संरेखण स्थानीय उद्योगों और स्टार्ट-अप्स को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी सहायक उत्पादों को डिजाइन और निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो महत्वपूर्ण घरेलू जरूरतों को पूरा करते हैं।

4. किफायती सुलभता और पहुंच को बढ़ावा देना

मानकीकृत स्‍पेसीफिकेशन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के अंतर्गत स्‍केलेबल उत्पादन और खरीद की अनुमति देते हैं, जिससे सभी इलाकों में लागत प्रभावशीलता और एक समान गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

5. नीति और खरीद को सक्षम बनाना

स्पष्ट तकनीकी मानक सार्वजनिक खरीद, बीमा कवरेज और सरकारी लाभ योजनाओं के अंतर्गत समावेशन में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए आवश्यक आधार प्रदान करते हैं।

आईसीएमआर-बीआईएस द्वारा विकसित एनएलईएपी मानकों का औपचारिक शुभारंभ उपयोगकर्ताओं के कल्‍याण की रक्षा और सहायक प्रौद्योगिकियों के नवाचार, विनिर्माण और न्‍यायसंगत वितरण हेतु भारत के इकोसिस्‍टम को निर्णायक रूप से सुदृढ़ करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस फ्रेमवर्क को पूरे देश में संस्थागत रूप देने के लिए इसके तत्काल शुभारंभ हेतु स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वीकृति अपेक्षित है।

  1. नवीनीकृत और उन्नत मानक उपचार कार्यप्रवाह का अनावरण

जटिल दिशानिर्देशों को डिकोड करके रोग प्रबंधन प्रोटोकॉल और पूर्व-निर्धारित रेफरल तंत्र के साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के समग्र लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्राथमिक, द्वितीय और तृतीयक देखभाल चिकित्सकों/शल्य चिकित्सकों को सशक्त बनाना।

प्राथमिक उद्देश्य: स्वास्थ्य सेवाओं की न्‍याय पहुंच और वितरण के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तरों पर ओपीडी और आईपीडी प्रबंधन दोनों के लिए सामान्य और गंभीर चिकित्सा/शल्य चिकित्सा स्थितियों के लिए नैदानिक ​​निर्णय लेने के प्रोटोकॉल तैयार करना, जो स्थानीय रूप से प्रासंगिक हों।

द्वितीयक उद्देश्य: आयुष्मान भारत की पीएमजेएवाई शाखा को योजना के अंतर्गत कवर की गई सभी शल्य चिकित्सा और चिकित्सा स्थितियों के द्वितीयक और तृतीयक स्तर के प्रबंधन को सुगम बनाना।

आईसीएमआर ने मानक उपचार कार्यप्रवाह (एसटीडब्ल्यू) वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन को विकसित किया है, जो चिकित्सकों के लिए एक आधुनिक, सहज और आसानी से सुलभ प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है। उन्नत डिजिटल इंटरफ़ेस साक्ष्य-आधारित उपचार कार्यप्रवाह तक त्वरित पहुँच सुनिश्चित करता है, सूचित नैदानिक ​​निर्णयों का समर्थन करता है और स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों पर मानकीकृत देखभाल प्रदान करना सुदृढ़ करता है।

  1. आईसीएमआर पेंशनभोगियों के लिए पोर्टल

आईसीएमआर द्वारा विकसित आईसीएमआर पेंशनभोगियों के लिए पोर्टल (https://pensioners.icmr.org.in/) लॉन्च के लिए तैयार है। इस पोर्टल का उद्देश्य आईसीएमआर पेंशनभोगियों को उनकी पेंशन संबंधी लेन-देन के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान करना है। इसमें पेंशनभोगियों की सामान्य आवश्यकताओं जैसे आश्रितों का विवरण, पेंशन पर्ची, शिकायत निवारण तंत्र, सीजीएचएस, चिकित्सा बिल आदि के लिए विस्तृत प्रावधान हैं। अब जीवन प्रमाण (https://jeevanpramaan.gov.in/v1.0/) के माध्यम से ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने की सुविधा भी सक्रिय कर दी गई है।

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