जनजातीय कार्य मंत्रालय
पूरे देश में सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियों के साथ जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा का आयोजन जारी
Posted On:
11 NOV 2025 7:18PM by PIB Delhi
जनजातीय गौरव वर्ष (जेजेजीवी) पखवाड़ा समारोह 1 से 15 नवंबर 2025 तक मनाया जा रहा है, इस सिलसिले में, भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय अपने जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई), एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) और सहयोगी संस्थानों के माध्यम से पूरे देश में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है। जनजातीय गौरव वर्ष के बैनर तले आयोजित ये गतिविधियाँ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। इनका उद्देश्य जनजातीय समुदायों में जागरूकता, सांस्कृतिक गौरव और समावेशिता को प्रोत्साहन देना है।
ओडिशा में, जनजातीय अनुसंधान संस्थान ने जनजातीय विद्यार्थियों के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें भगवान बिरसा मुंडा के योगदान और विरासत पर प्रकाश डाला गया। युवाओं को जनजातीय पहचान और सशक्तिकरण पर चर्चा में भी शामिल किया गया। ओडिशा राज्य जनजातीय संग्रहालय ने स्कूली विद्यार्थियों के लिए चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं भी आयोजित कीं।


झारखंड में, तीन स्कूलों के 500 से अधिक विद्यार्थियों के लिए 11 नवंबर 2025 को रांची के जनजातीय अनुसंधान संस्थान परिसर में स्थित जनजातीय संग्रहालय के भ्रमण हेतु एक शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया गया। इस भ्रमण ने विद्यार्थियों को एक गहन शिक्षण अनुभव प्रदान किया, जिससे उन्हें क्षेत्र के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक कलाकृतियों और ऐतिहासिक योगदान से परिचित कराया गया। इस पहल का उद्देश्य युवा विद्यार्थियों में अपनी स्वदेशी जड़ों के प्रति जागरूकता और गौरव को प्रोत्साहन देना था।


अरुणाचल प्रदेश में, राजीव गांधी विश्वविद्यालय टीआरआई ने जनजातीय गौरव दिवस की पूर्व संध्या पर जनजातीय इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलनों पर केंद्रित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया। ईएमआरएस, तिजित के विद्यार्थियों ने पारंपरिक जनजातीय परिधानों के जीवंत प्रदर्शन में भाग लिया, जिसका उद्देश्य उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करना था। उत्सव की भावना को बढ़ाते हुए, पश्चिम सियांग जिले की गालो महिला समूह ने जनजातीय एकता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का उत्सव मनाते हुए एक भावपूर्ण पारंपरिक लोक गीत प्रस्तुत किया।
लद्दाख में, लद्दाख विश्वविद्यालय के करगिल परिसर स्थित जनजातीय अनुसंधान संस्थान ने पाबू बनाने की पारंपरिक कला पर एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। पाबू एक सदियों पुराना शिल्प है जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक ताने-बाने में गहराई से निहित है। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प कौशल को पुनर्जीवित करना और लद्दाख की स्वदेशी विरासत को बनाए रखने में इसकी भूमिका को उजागर करना था।
गोआ राज्य ने दो प्रमुख कार्यक्रमों—संवोर्देम में जनजातीय सांस्कृतिक सम्मेलन और क्यूपेम में जनजातीय खेल उत्सव के माध्यम से जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा मनाया। इन कार्यक्रमों में पारंपरिक जनजातीय संगीत, नृत्य, खेल और सामुदायिक भागीदारी का प्रदर्शन किया गया तथा गोआ की जीवंत जनजातीय संस्कृति का उत्सव मनाया गया।


आंध्र प्रदेश में, विशाखापत्तनम स्थित गीतम विश्वविद्यालय में राज्य स्तरीय जनजातीय खेलकूद और खेलों का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में जनजातीय युवाओं और खिलाड़ियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिसमें जनजातीय समुदायों की शारीरिक फिटनेस, खेलकूद कौशल और सांस्कृतिक गौरव पर बल दिया गया।


नागालैंड के जनजातीय गाँव टेमी तारकू में एक समुदाय-आधारित पर्यटन पहल का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय आजीविका को प्रोत्साहन देने, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और स्वदेशी संस्कृति का उत्सव मनाने में सतत पर्यटन की क्षमता पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, स्थानीय युवाओं में सामुदायिक भावना, भागीदारी और खेल भावना को प्रोत्साहन देने के लिए एक पारंपरिक रस्साकशी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआरआईएसटी) ने भी मानसिक स्वास्थ्य पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर इस समारोह में योगदान दिया। इस सम्मेलन में जनजातीय समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए पारंपरिक उपचार पद्धतियों और समुदाय-आधारित दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें आधुनिक शोध को स्वदेशी ज्ञान के साथ मिश्रित किया गया।
तेलंगाना में, राजस्व संभागीय अधिकारी द्वारा मुलुगु जिले के तहसीलदारों के साथ क्षेत्र में जनजातीय विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा हेतु आईटीडीए हॉल, एतुरुनगरम में एक बैठक आयोजित की गई। इसके अतिरिक्त, जनजातीय युवाओं को स्व-रोज़गार, कौशल विकास और आजीविका सृजन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु जागरूकता सत्र आयोजित किए गए, जो मंत्रालय की सशक्तिकरण पहलों के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप थे।


जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित ये कार्यक्रम, जनजातीय पहचान का उत्सव मनाने, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, जनजातीय कार्य मंत्रालय भगवान बिरसा मुंडा की विरासत का सम्मान करता है और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की भावना को बनाए रखता है।

इन प्रयासों के एक भाग के रूप में, 13 नवंबर 2025 को पूरे देश के 56,000 से अधिक आदि सेवा केंद्रों पर एक राष्ट्रव्यापी "जन सुनवाई" आयोजित की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य शिकायत निवारण, बहु-विभागीय सेवा वितरण और स्थानीय विकास में सामुदायिक भागीदारी के लिए एक मंच प्रदान करना है। यह ग्राम दृष्टिकोण योजना की प्रगति की समीक्षा भी करेगा और प्रत्येक क्षेत्र तक सेवा वितरण सुनिश्चित करने में आदि साथियों और आदि सहयोगियों की भागीदारी को मज़बूत करेगा। नागरिकों को अपने निकटतम आदि सेवा केंद्र पर जाने और आदि प्रसार पोर्टल के माध्यम से अपनी भागीदारी के चित्र और वीडियो अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे जनजातीय कल्याण और सशक्तिकरण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।
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