वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता; शुल्क में कटौती और जीएसटी में कमी से नागरिकों को लाभ: केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल
स्वास्थ्य सेवा एक समृद्ध समाज की आधारशिला है; विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका है: श्री गोयल
भारत किफायती एवं उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सीय महत्व वाले पर्यटन की दृष्टि से दुनिया का अग्रणी गंतव्य बनने की ओर अग्रसर: श्री गोयल
Posted On:
11 NOV 2025 5:28PM by PIB Delhi
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में 22वें सीआईआई वार्षिक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को किफायती बनाने पर सरकार द्वारा निरंतर ध्यान दिए जाने - जैसे कि नागरिकों के लिए उपचार को अपेक्षाकृत अधिक सुलभ और सस्ता बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 0 प्रतिशत करने तथा चिकित्सा उपकरणों, कैंसर की देखभाल से संबंधित दवाओं एवं कई आवश्यक दवाओं पर शुल्क कम करने - से लाभ हुआ है।
श्री गोयल ने कहा कि सरकार आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उत्पादों पर शुल्कों या उपकरों में और कटौती करने पर विचार कर रही है ताकि अधिक दवाइयां किफायती दामों पर उपलब्ध हों। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार को उन दवाओं और उत्पादों के बारे में उद्योग जगत से विशिष्ट सुझाव प्राप्त करने में खुशी होगी जिन्हें शुल्कों में और कमी से लाभ हो सकता है। उन्होंने उद्योग जगत को आश्वस्त किया कि यह सरकार सुनने वाली है, प्रतिक्रिया, सुझावों एवं विचारों को स्वीकार करती है और घरेलू स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति तथा चिकित्सीय महत्व वाली यात्रा को मजबूत करने हेतु संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री गोयल ने कहा कि सरकार, चिकित्सा पेशेवरों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग द्वारा किए गए ऐसे सभी सामूहिक प्रयास देश के लोगों को बेहतर सेवा प्रदान करने और देश को चिकित्सीय उपचार एवं कल्याण की दृष्टि से वैश्विक स्तर पर एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायक साबित होंगे।
केन्द्रीय मंत्री ने जन औषधि केन्द्रों की सफलता का भी उल्लेख किया, जिनकी संख्या 10,000 को पार कर गई है और जो किफायती जेनेरिक दवाइयां और सैनिटरी उत्पाद नाममात्र की कीमतों पर उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपायों से ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमज़ोर नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा की सुलभता काफी बेहतर हुई है और जमीनी स्तर पर किफायती दाम सुनिश्चित हुए हैं।
श्री गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के स्वास्थ्य सेवा के मॉडल को समावेशी और समतामूलक बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसी ढर्रे वाली व्यवस्था नहीं अपना सकते जहां स्थानीय नागरिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से वंचित रहें और केवल अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा आधारित पर्यटन पर ही ध्यान केन्द्रित किया जाए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के लिए एक मजबूत आधार वाली घरेलू स्वास्थ्य सेवा आवश्यक है ताकि वह चिकित्सीय महत्व वाली यात्रा की दृष्टि से दुनिया के एक पसंदीदा केन्द्र के रूप में उभर सके।
अपने संबोधन के दौरान, श्री गोयल ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि “अच्छा स्वास्थ्य एक समृद्ध समाज की आधारशिला है,” जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है। उन्होंने कहा कि अब जबकि भारत 2047 तक विकसित भारत बनने की दिशा में अग्रसर है, एक स्वस्थ एवं उत्पादक राष्ट्र के निर्माण में डॉक्टरों और संपूर्ण चिकित्सा इकोसिस्टम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
श्री गोयल ने कहा कि भारत के चिकित्सा जगत ने निरंतर नेतृत्व, प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है और भारत को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा का वैश्विक मानक बनाने के लिए इससे बेहतर कोई टीम नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने क्षमता और गुणवत्ता, दोनों के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तब देश में केवल 7 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और 387 मेडिकल कॉलेज थे। पिछले दस वर्षों में, यह संख्या बढ़कर 23 एम्स और 706 मेडिकल कॉलेज हो गई है, जो चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की सुलभता बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह विस्तार भारत में डॉक्टरों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगा और साथ ही वैश्विक श्रमबल में विश्वस्तरीय चिकित्सा पेशेवरों के एक भंडार का योगदान देगा।
श्री गोयल ने बताया कि पिछले वर्ष लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप, सरकार देश के चिकित्सा शिक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने और बुनियादी ढांचे का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने हेतु 2029 तक मेडिकल की सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी पहलों के माध्यम से लगभग 700 मिलियन लोग मुफ्त स्वास्थ्य सेवा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का संवेदनशील नेतृत्व 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को, चाहे उनकी आय कुछ भी हो, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के निर्णय में परिलक्षित होता है। श्री गोयल ने प्रधानमंत्री के इस दृष्टिकोण को याद किया कि प्रत्येक बुजुर्ग नागरिक सम्मान और सुरक्षा का हकदार है, खासकर ऐसे समय में जब पारंपरिक पारिवारिक देखभाल प्रणालियां बदल रही हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने चिकित्सा पर्यटकों के लिए आगमन पर वीजा और ई-वीजा सुविधाओं से संबंधित सुझावों का स्वागत किया और कहा कि भारत पहले से ही कई देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। श्री गोयल ने कहा कि वैश्विक जनसांख्यिकी की तुलना में भारत की वृद्ध होती जनसंख्या और विदेशों में चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि, भारत को वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में उभरने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। उन्होंने सीआईआई को बुनियादी ढांचे, मरीजों के लिए आवास और चिकित्सा पर्यटकों के समग्र अनुभव को बेहतर बनाने से जुड़े कदमों की रूपरेखा तैयार करने हेतु एक कार्यसूची तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने सुझाव दिया कि अस्पताल 10 प्रतिशत तक विदेशी मरीजों को अनुमति देने पर विचार कर सकते हैं और राजस्व का एक हिस्सा आयुष्मान भारत कार्यक्रम या वंचित वर्गों के लाभ के लिए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक ऐसा संतुलित मॉडल समावेशिता और विकास, दोनों को सुनिश्चित करेगा।
भारत के प्रतिस्पर्धी लाभ पर प्रकाश डालते हुए, श्री गोयल ने कहा कि भारत कई विकसित देशों में इलाज की लागत के एक-तिहाई या एक-चौथाई खर्च पर विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारत की युवा आबादी, कुशल डॉक्टर, तकनीशियन, नर्स और देखभाल करने वालों की वैश्विक स्तर पर अत्यधिक मांग है और ये सभी भारत की स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ हैं।
उन्होंने प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थानों से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों तरह की मांगों को पूरा करने हेतु नर्सों और देखभाल में संलग्न लोगों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने ऐसी नीतियों पर विचार-विमर्श करने के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की जो भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) जैसे पेशेवर निकायों के साथ परामर्श की शर्त पर प्रवासी भारतीय डॉक्टरों को भारतीय स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में योगदान करने में सक्षम बना सकें।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा, पारंपरिक स्वास्थ्य और करुणामयी देखभाल के उपयुक्त मिश्रण में ही भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का लाभ निहित है। उन्होंने सुझाव दिया कि ‘हील इन इंडिया’ में योग, आयुर्वेद, ध्यान और आध्यात्मिक पर्यटन को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि भारत को एक समग्र कल्याण गंतव्य के रूप में पेश किया जा सके।
श्री गोयल ने कहा, “भारत में नैदानिक कौशल, कल्याण की विरासत, प्रतिभा और आतिथ्य की संस्कृति है - जो भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कल्याण गंतव्य बनाने की दृष्टि से सही संयोजन है।”
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पीके/केसी/आर/एसएस
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