रक्षा मंत्रालय
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नई तकनीक के निर्माण और उसे अपनाने को निर्बाध, तीव्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रणालियों और परितंत्र के निर्माण की जरूरत: रक्षा मंत्री


देश को प्रौद्योगिकी निर्माता बनाने के लिए सैनिक, वैज्ञानिक, स्टार्टअप और रणनीतिकार के बीच तालमेल आवश्यक है

श्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता को डिजिटल संप्रभुता यानी प्लेटफॉर्म को शक्ति प्रदान करने वाले एल्गोरिदम, डेटा और चिप्स पर नियंत्रण तक विस्तारित करने का आह्वान किया

सच्ची रणनीतिक स्वायत्तता तभी आएगी जब हमारा कोड हमारे हार्डवेयर की तरह स्वदेशी होगा

जीवन-चक्र लागत की अवधारणा कई उन्नत देशों के खरीद ढांचे में गहराई से समाहित है; अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे शुरुआती चरण में ही इन निर्वाह लागतों का आकलन करें

दिल्ली की दुखद घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा, उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा: रक्षा मंत्री

Posted On: 11 NOV 2025 1:18PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने देश को उपभोक्ता से प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में स्थापित करने के लिए न केवल नए नवाचारों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया है, बल्कि ऐसी परिस्थितियां बनाने पर भी ज़ोर दिया है जहां विशिष्ट उत्पाद सुदृढ़ प्रक्रियाओं, सक्रिय संस्थानों और सहयोग की उस भावना के माध्यम से फल-फूल सकें जिसमें सैनिक, वैज्ञानिक, स्टार्टअप और रणनीतिकार को एकजुट किया जा सके। श्री सिंह ये बातें 11 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) की ओर से आयोजित दिल्ली रक्षा संवाद में उद्घाटन भाषण में कहीं। इस संवाद का विषय - 'रक्षा क्षमता विकास में आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग' था।

रक्षा मंत्री ने ऐसी प्रणालियां और परितंत्र बनाने का आह्वान किया जो नई तकनीक के निर्माण और उसे अपनाने को स्वाभाविक, तीव्र और आत्मनिर्भर बनाएं। उन्होंने कहा कि अगर हमारी नींव मजबूत है, हमारी संस्थाएं सक्रिय हैं, हमारी सोच खुली है और हमारा सहयोग निर्बाध है, तो हर नई तकनीकी लहर हमें अभिभूत नहीं कर पाएगी। यह हमें आगे बढ़ाएगी। हम न केवल कहीं और हुए बदलावों के अनुकूल ढलेंगे, बल्कि यहां हुए बदलावों के निर्माता भी बनेंगे।

श्री राजनाथ सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वार्म टेक जैसी क्रांतिकारी तकनीकों को आत्मसात करने और उनके अनुकूल ढलने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उन्नति की असली परीक्षा इस बात में निहित है कि उपकरण कैसे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक की शक्ति केवल उपकरणों या एल्गोरिदम तक सीमित नहीं है; यह इसकी सर्वव्यापी प्रकृति में निहित है कि किस तरह से यह राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देने वाली हर प्रक्रिया, प्रणाली और निर्णय को पुनर्परिभाषित करती है। तकनीक का उपयोग केवल नए उपकरण जोड़ना नहीं है। यह हमारे संस्थानों को अधिक चुस्त, पूर्वानुमानित और अनुकूलनशील बनाने और एक ऐसी रक्षा संरचना बनाने को लेकर है जो निरंतर सीखती है, तुरंत प्रतिक्रिया देती है और परिवर्तन की गति के साथ निरंतर विकसित होती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि तेज गति वाले डेटा लिंक, एआई-संचालित एल्गोरिथम, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वायत्त प्रणालियां त्वरित आंतरिक प्रक्रियाओं और उन्हें प्रभावी ढंग से आत्मसात करने और लागू करने की मज़बूत मानवीय एवं संस्थागत क्षमता के बिना कम हासिल कर पाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा तैयारियां काफी हद तक अदृश्य तकनीकों पर निर्भर करती हैं जिनमें सुरक्षित डेटा आर्किटेक्चर, एन्क्रिप्टेड नेटवर्क, स्वचालित रखरखाव प्रणालियां और इंटरऑपरेबल डेटाबेस शामिल हैं।

भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज रक्षा औद्योगिक आधार नए आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ विस्तार कर रहा है, डीआरडीओ, सशस्त्र बलों, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच तालमेल से अनुसंधान, परीक्षण, क्षेत्रीय प्रतिक्रिया और नवाचार का एक सकारात्मक चक्र बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल वैश्विक नवाचार के साथ कदमताल मिलाकर संतुष्ट नहीं रह सकता, बल्कि प्रक्रियागत जड़ता के बजाय सहयोग और गति को प्रोत्साहित करके नवाचार की संस्कृति को पोषित करते रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी नेतृत्व किसी विशिष्ट प्रतिभा से नहीं उभरता, बल्कि एक ऐसे राष्ट्रीय परितंत्र से विकसित होता है जो विचारों को पुरस्कृत करता है, असफलताओं को सहन करता है और सफलताओं का जश्न मनाता है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) और प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) जैसी पहलों का विशेष उल्लेख किया, जो नवोन्मेषकों की एक नई पीढ़ी को पोषित कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय रक्षा को राष्ट्रीय सेवा के एक मिशन के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि ये नवोन्मेषक एक ऐसे भविष्य के निर्माता हैं जहां स्वायत्त प्रणालियों और क्वांटम सेंसर से लेकर उन्नत सामग्रियों और अंतरिक्ष-आधारित निगरानी तक अत्याधुनिक तकनीकों में भारतीय प्रतिभा की छाप होगी। उन्होंने कहा कि युवा उद्यमियों, एमएसएमई से लेकर भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों तक, आम लोगों और कंपनियों ने विकसित भारत और आत्मनिर्भरता के मिशन को प्राप्त करने में मदद करने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है।

श्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता को स्वदेशी प्रणालियों के निर्माण से आगे बढ़ाकर डिजिटल संप्रभुता यानी प्लेटफ़ॉर्म को शक्ति प्रदान करने वाले एल्गोरिदम, डेटा और चिप्स पर नियंत्रण तक विस्तारित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, सच्ची रणनीतिक स्वायत्तता तभी आएगी जब हमारा कोड हमारे हार्डवेयर जितना ही स्वदेशी होगा। इसलिए, हम सुरक्षित, स्वदेशी सॉफ़्टवेयर स्टैक, विश्वसनीय सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं और भारतीय डेटा पर प्रशिक्षित स्वदेशी एआई मॉडल को प्रोत्साहित कर रहे हैं। मशीनों और एल्गोरिदम को लेकर भारी उत्साह के बीच, हमें यह याद रखना चाहिए कि तकनीक मानवीय निर्णय को बदलने के लिए नहीं, बल्कि उसे बढ़ाने के लिए है। हमें इन उभरती तकनीकों के नैतिक, मनोवैज्ञानिक और कानूनी आयामों में भी निवेश करना चाहिए। एक सभ्यतागत शक्ति के रूप में, भारत सैन्य तकनीक के ज़िम्मेदार और मानवीय उपयोग पर बातचीत का नेतृत्व कर सकता है और उसे ऐसा करना भी चाहिए।"

श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि तकनीक को न केवल बल गुणक के रूप में, बल्कि संसाधन अनुकूलक के रूप में भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार और प्रत्येक संसाधन का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पूंजीगत खरीद प्रक्रिया में तकनीक और डेटा विश्लेषण का लाभ उठाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘कई उन्नत देशों में, जीवन-चक्र लागत की अवधारणा उनके खरीद ढांचों में गहराई से समाहित है। हाल ही में मैंने निर्देश दिया है कि हमें भी प्रत्येक खरीद प्रस्ताव के आरंभिक चरण से ही इन संपोषण लागतों का आकलन शुरू कर देना चाहिए। इससे हमें पूरी तस्वीर देखने में मदद मिलेगी, न केवल यह कि हम आज क्या निवेश करते हैं, बल्कि यह भी कि हमें कल क्या बनाए रखना है।’

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों से न केवल उपकरणों से संबंधित तकनीक में, बल्कि प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स, योजना और प्रबंधन प्रणालियों से संबंधित क्षेत्रों में भी सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं पर नज़र रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम उपकरणों का आयात करने की तुलना में सर्वोत्तम प्रथाओं का आयात करना कहीं बेहतर है क्योंकि एक बार जब हम प्रक्रिया में निपुण हो जाते हैं और हमारी प्रणालियां मज़बूत, अनुकूलनीय और पारदर्शी हो जाती हैं। ऐसे में हम न केवल विदेशों से उत्कृष्टता खरीदेंगे, बल्कि उसे अपने देश में भी उत्पादित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि एमपी-आईडीएसए ऐसी प्रथाओं का अध्ययन, दस्तावेज़ीकरण और प्रसार करके, और सेनाओं को हमारे राष्ट्रीय संदर्भ में सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को अपनाने में मदद करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

श्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम में अपने संबोधन की शुरुआत 10 नवंबर, 2025 को दिल्ली में हुए दुखद हादसे में मारे गए लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए की। उन्होंने कहा कि देश की अग्रणी जांच एजेंसियां इस घटना की त्वरित और गहन जांच कर रही हैं, जांच के निष्कर्ष जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे। उन्होंने देश को आश्वासन दिया कि इस हादसे के ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, एमपी-आईडीएसए के महानिदेशक राजदूत सुजान चिनॉय, मित्र देशों के राजदूत और नागरिक एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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पीके/केसी/एके/एसके


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