सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
सावधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) त्रैमासिक बुलेटिन जुलाई-सितंबर, 2025
महिला एलएफपीआर में तेजी देखी गई
बेरोजगारी दर में गिरावट
शहरी तृतीयक सेक्टर और नियमित वेतन/वेतनभोगी रोजगार में मामूली वृद्धि
Posted On:
10 NOV 2025 4:00PM by PIB Delhi
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स्नैपशॉट:
- जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए समग्र श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) मामूली रूप से बढ़कर 55.1 प्रतिशत हो गई, जबकि पिछली तिमाही में यह 55.0 प्रतिशत थी।
- श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी अप्रैल-जून, 2025 में 33.4 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर, 2025 में 33.7 प्रतिशत हो गई।
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) अप्रैल-जून, 2025 के 52.0 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर, 2025 में 52.2 प्रतिशत हो गया।
- महिला डब्ल्यूपीआर में अप्रैल-जून, 2025 की तुलना में जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान सभी सेक्टरों - ग्रामीण, शहरी और समग्र - में वृद्धि दर्ज की गई।
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में बेरोजगारी दर (यूआर) जुलाई-सितंबर, 2025 में पिछली तिमाही के 5.4 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत हो गई।
- जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान कृषि क्षेत्र में ग्रामीण रोजगार की हिस्सेदारी 53.5 प्रतिशत से बढ़कर 57.7 प्रतिशत हो जाने का श्रेय खरीफ कृषि कार्यों को दिया जा सकता है।
- शहरी तृतीयक सेक्टर में कार्यरत श्रमिकों की हिस्सेदारी जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान मामूली रूप से बढ़कर 62.0 प्रतिशत हो गई, जो पिछली तिमाही में 61.7 प्रतिशत थी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-नियोजित श्रमिकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अप्रैल-जून, 2025 के 60.7 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान 62.8 प्रतिशत हो गई है।
- शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतन/वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान मामूली सुधार दर्ज किया गया, जो पिछली तिमाही के 49.4 प्रतिशत से बढ़कर 49.8 प्रतिशत हो गया।
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प्रस्तावना
एनएसओ और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा किया जाने वाला सावधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), जनसंख्या की गतिविधि भागीदारी और रोज़गार-बेरोज़गारी की स्थिति पर आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत है। देश के लिए सीडब्ल्यूएस ढांचे के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी भारत, दोनों के लिए श्रम बल संकेतकों के मासिक और त्रैमासिक अनुमान प्रदान करने हेतु पीएलएफएस सर्वेक्षण पद्धति को जनवरी 2025 से संशोधित किया गया है।
व्यापक कवरेज के साथ उच्च आवृत्ति वाले श्रम बल संकेतक तैयार करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, सावधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की नमूना पद्धति को जनवरी 2025 से नया रूप दिया गया। पुन: डिज़ाइन किए गए पीएलएफएस का लक्ष्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:
- वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) के तहत अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए प्रत्येक महीने प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतक - श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) - सृजित करना।
- तिमाही पीएलएफएस परिणामों को ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करना, जिससे सीडब्ल्यूएस ढांचे के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी भारत दोनों के लिए श्रम बाजार संकेतकों के तिमाही अनुमान तैयार किए जा सकें।
- ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के लिए सामान्य स्थिति (पीएस+एसएस) तथा वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) दोनों में प्रमुख रोजगार तथा बेरोजगारी संकेतकों के वार्षिक अनुमान उपलब्ध कराना।
इससे पूर्व, दिसंबर 2024 तक जारी किए गए पीएलएफएस तिमाही बुलेटिनों में केवल शहरी क्षेत्रों के लिए श्रम बाजार संकेतक प्रस्तुत किए गए थे। अप्रैल-जून 2025 का बुलेटिन ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए अनुमान प्रदान करने वाला श्रृंखला का पहला बुलेटिन था और जुलाई-सितंबर 2025 का वर्तमान बुलेटिन श्रृंखला का दूसरा बुलेटिन है। इस तिमाही बुलेटिन में, श्रमिकों की संख्या का पूर्ण रूप से अनुमान प्रदान करने का प्रयास किया गया है ।
यह त्रैमासिक बुलेटिन अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग, वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) में प्रमुख श्रम बल संकेतकों—श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), बेरोजगारी दर (यूआर) और व्यापक रोजगार स्थिति एवं कार्य उद्योग के अनुसार श्रमिकों के वितरण—के अनुमान प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त, चयनित राज्यों के लिए सीडब्ल्यूएस में एलएफपीआर, डब्ल्यूपीआर और यूआर के राज्य-स्तरीय अनुमान भी प्रदान किए गए हैं ।
सीडब्ल्यूएस के बाद 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए मुख्य निष्कर्ष:
- श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में मामूली सुधार हुआ: 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के बीच समग्र एलएफपीआर जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान 55.1 प्रतिशत पर स्थिर रही, जबकि पिछली तिमाही में यह 55.0 प्रतिशत थी। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मामूली वृद्धि देखी गई - ग्रामीण एलएफपीआर 57.1 प्रतिशत से बढ़कर 57.2 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी एलएफपीआर में भी इसी अवधि में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जो 50.6 प्रतिशत से बढ़कर 50.7 प्रतिशत हो गई।

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कुल मिलाकर, एलएफपीआर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जो जुलाई-सितंबर 2025 में 55.1 प्रतिशत तक पहुंच गई।
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- श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि जारी: 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में कुल श्रम बल भागीदारी अनुपात (एलएफपीआर) जुलाई-सितंबर, 2025 में बढ़कर 33.7 प्रतिशत हो गया, जो पिछली तिमाही में 33.4 प्रतिशत था। यह श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी में निरंतर लेकिन मामूली वृद्धि को दर्शाता है। यह सुधार मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम बल भागीदारी अनुपात (एलएफपीआर) में अप्रैल-जून 2025 तिमाही के 37.0 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर 2025 में 37.5 प्रतिशत हो जाने के कारण हुआ।

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महिला एलएफपीआर में वृद्धि देखी गई, जो अप्रैल-जून 2025 में 33.4 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर 2025 में 33.7 प्रतिशत हो गई।
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- महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से कार्यबल में वृद्धि: कुल श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) जुलाई-सितंबर 2025 में मामूली रूप से बढ़कर 52.2 प्रतिशत हो गया, जबकि अप्रैल-जून 2025 में यह 52.0 प्रतिशत था। यह वृद्धि मुख्यतः विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कारण हुई। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए कुल डब्ल्यूपीआर में तिमाही के दौरान सुधार जारी रहा, जो कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
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जुलाई-सितंबर 2025 में समग्र महिला डब्ल्यूपीआर बढ़कर 32.0 प्रतिशत हो गई, जो पिछली तिमाही में 31.6 प्रतिशत थी।
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- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर (यूआर) में भिन्न रुझान: ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की बेरोज़गारी दर जुलाई-सितंबर 2025 में पिछली तिमाही के 4.8 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत हो गई, जो ग्रामीण पुरुषों और महिलाओं दोनों के यूआर में आई कमी का परिणाम है।
इसके विपरीत, शहरी बेरोज़गारी दर में मामूली वृद्धि हुई और इसी अवधि के दौरान पुरुषों के लिए यह दर 6.1 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 9.0 प्रतिशत हो गई।


- समग्र बेरोजगारी दर (यूआर) में गिरावट : 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में यूआर पिछली तिमाही के 5.4 प्रतिशत से घटकर जुलाई-सितंबर, 2025 में 5.2 प्रतिशत हो गई।
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- ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार की, जबकि शहरी क्षेत्रों में नियमित वेतन/वेतनभोगी रोजगार की प्रधानता रही: ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के स्व-रोजगार वाले व्यक्तियों की संख्या जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान बढ़कर 62.8 प्रतिशत हो गई, जो पिछली तिमाही अप्रैल-जून, 2025 में दर्ज 60.7 प्रतिशत से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में, नियमित वेतन/वेतनभोगी रोजगार की हिस्सेदारी में भी मामूली सुधार हुआ है, जो अप्रैल-जून, 2025 में 49.4 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई-सितंबर, 2025 में 49.8 प्रतिशत हो गई।


- ग्रामीण कार्यबल कृषि सेक्टर में,जबकि शहरी कार्यबल तृतीयक क्षेत्र में केंद्रित: ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही पैटर्न देखने को मिला, जहां अधिकांश श्रमिक जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान 57.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए थे, जो पिछली तिमाही के 53.5 प्रतिशत से अधिक है। कृषि क्षेत्र में ग्रामीण रोज़गार की हिस्सेदारी में यह वृद्धि मौसमी कृषि कार्यों के कारण हो सकती है। शहरी क्षेत्रों में, तृतीयक सेक्टर प्रमुख रहा, जिसमें जुलाई-सितंबर, 2025 के दौरान 62.0 प्रतिशत श्रमिक जुड़े रहे, जो अप्रैल-जून, 2025 के 61.7 प्रतिशत से मामूली रूप से अधिक है।


स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुमानित जनसंख्या आंकड़ों का उपयोग करते हुए, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के श्रमिकों की पूर्ण संख्या का अनुमान लगाया गया है। जुलाई-सितंबर 2025 की तिमाही के दौरान देश में औसतन 56.2 करोड़ व्यक्ति (15 वर्ष और उससे अधिक आयु के) कार्यरत थे, जिनमें से 39.6 करोड़ पुरुष और 16.6 करोड़ महिलाएं थीं।
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अखिल भारतीय स्तर पर, तिमाही अनुमान सर्वेक्षण में शामिल कुल 5,64,828 व्यक्तियों से एकत्रित जानकारी पर आधारित हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण किए गए व्यक्ति
3,22,992
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शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण किए गए व्यक्ति
2,41,836
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जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के लिए त्रैमासिक बुलेटिन मंत्रालय की वेबसाइट (https://www.mospi.gov.in ) पर उपलब्ध है।
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