आयुष
आयुष मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित राष्ट्रव्यापी समारोह में हिस्सा लिया
वंदे मातरम राष्ट्रीय जागरण का एक कालातीत प्रतीक है : श्री प्रतापराव जाधव
इस कालजयी रचना का हर शब्द मातृभूमि के प्रति हमारे नागरिकों के गहरे प्रेम और समर्पण को दर्शाता है : आयुष मंत्री श्री प्रतापराव जाधव
Posted On:
07 NOV 2025 3:54PM by PIB Delhi
आयुष मंत्रालय ने आज आयुष भवन के केंद्रीय प्रांगण में आयोजित एक सामूहिक गायन कार्यक्रम के साथ भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का स्मरण किया। यह कार्यक्रम इस ऐतिहासिक उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की राष्ट्रव्यापी पहल के अनुरूप आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए तथा मंत्रालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ वंदे मातरम गीत के सामूहिक गायन में शामिल हुए।

इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा, “वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए हम उस गीत का सम्मान कर रहें हैं जो राष्ट्रीय जागरण का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया था और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में एक ज्वलंत नारा बना। देशभक्ति की वह भावना, जो बाद में "वंदे मातरम" में अभिव्यक्त हुई, वही भावना थी जिसने 1857 के विद्रोह के दौरान राष्ट्र को सर्वप्रथम प्रज्वलित किया था। इस कालजयी रचना का हर शब्द मातृभूमि के प्रति हमारे नागरिकों के गहरे प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। जैसा कि हम देश भर में इस वर्षगांठ को मना रहे हैं—सामुहिक गायन और सभाओं से लेकर सेमीनार तथा हमारे विधानमंडलों में विशेष सत्रों तक हम इस बात को दोहराते हैं कि भारत की प्रगति हमारी विरासत के संरक्षण के साथ-साथ होनी चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया है कि विकास के साथ-साथ हमारी विरासत का भी संरक्षण होना चाहिए; राष्ट्र प्रगति करेगा, लेकिन हमारी विरासत को भी इसके साथ आगे बढ़ना चाहिए। मुझे विश्वास है कि देश भर के लोगों की सक्रिय भागीदारी हमारे सामूहिक संकल्प को मज़बूत करेगी, क्योंकि हम 2047 तक एक विकसित भारत के विजन की दिशा में एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।”

इस गायन ने एक एकजुटताभरा माहौल बनाया, जो वंदे मातरम के भारत के राष्ट्रनिर्माण की यात्रा में मौजूद स्थायी भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।
गायन समारोह के बाद प्रतिभागियों ने कौटिल्य सम्मेलन कक्ष में एकत्रित होकर वंदे मातरम की विरासत और ऐतिहासिक यात्रा पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक विशेष प्रस्तुति देखी। कार्यक्रम का समापन प्रधानमंत्री के संबोधन के सीधे प्रसारण के साथ हुआ, जिसमें राष्ट्रव्यापी स्मरणोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया गया। इस संबंध में संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक समर्पित अभियान वेबसाइट https://vandemataram150.in/ का भी शुभारंभ किया गया है।

दशकों के दौरान वंदे मातरम अपने साहित्यिक उदभव ‘आनंदमठ’ से आगे बढ़ते हुए राष्ट्रीय चेतना की एक सशक्त अभिव्यक्ति बन गया है। जैसे-जैसे भारत में महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए, इस गीत में मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के रूप में देखने की भावना देश भर के गहराई से प्रतिध्वनित हुई। इसकी एकता और आत्मसम्मान की भावना ने स्वतंत्रता आंदोलन में व्यापक जनसहभागिता को प्रेरित किया, जिससे यह राष्ट्र की सामूहिक स्मृति और सार्वजनिक जीवन का स्थायी अंग बन गया।
आयुष मंत्रालय की भागीदारी ने राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजनों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और देशभक्ति की सामूहिक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने में उसकी भूमिका को रेखांकित किया। यह आयोजन मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को देश के सबसे प्रिय प्रतीकों में से एक को सार्थक रूप से सम्मान देने का एकत्रित करने वाला अवसर बना।
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