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भारत अंतर्राष्ट्रीय नौसैन्य बेड़ा समीक्षा 2026, मिलन 2026 और आईओएनएस प्रमुखों के सम्मेलन के साथ ऐतिहासिक समुद्री एकत्रीकरण कार्यक्रम की मेजबानी करेगा


यह ऐतिहासिक आयोजन माननीय प्रधानमंत्री के महासागर के विजन को मूर्त रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा। साथ ही, यह भारत की उन्नत स्वदेशी नौसैनिक क्षमताओं और क्षेत्रीय स्तर पर विश्वसनीय सुरक्षा साझेदार के रूप में उसकी बढ़ती भूमिका को भी उजागर करेगा

Posted On: 31 OCT 2025 6:05PM by PIB Delhi

भारत फरवरी 2026 में विशाखापत्तनम में तीन प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कार्यक्रमों अर्थात अंतर्राष्ट्रीय नौसैन्य बेड़ा समीक्षा (आईएफआर) 2026, बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास मिलन 2026 और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (आईओएनएस) प्रमुखों के सम्मेलन की मेजबानी करेगा। ये कार्यक्रम 15 से 25 फरवरी 2026 तक आयोजित किए जाएंगे। यह पहली बार है जब भारत इन तीनों प्रतिष्ठित समुद्री आयोजनों की एक साथ मेजबानी कर रहा है, जो वैश्विक समुद्री सहयोग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण होगा।

यह आयोजन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2025 में घोषित महासागर विजन (क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

महासागर भारत के सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास) दृष्टिकोण को हिंद महासागर से आगे बढ़ाते हुए वैश्विक स्तर तक विस्तारित करता है। यह सोच समुद्री संसाधनों की स्थिरता, लचीलापन और सामूहिक जिम्मेदारी पर विशेष बल देती है। फरवरी 2026 का यह एकत्रीकरण इस दूरदर्शी विचार का एक प्रमुख परिचालन प्रकटीकरण है, जो भारत की इस प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि वह सभी मित्र देशों और सहभागी राष्ट्र के लिए ‘पसंदीदा सुरक्षा साझेदार’ बने।

भारत के पूर्वी समुद्री प्रवेशद्वार और पूर्वी नौसेना कमान के मुख्यालय विशाखापत्तनम में आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भागीदारी के लिए विश्वभर की नौसेनाओं को निमंत्रण भेजा गया है। यह आयोजन मुक्त, खुले और समावेशी समुद्र के प्रति भारत की अटूट वचनबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा, जो महासागर, एक्ट ईस्ट नीति, हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी तथा हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) जैसे रणनीतिक ढांचों पर आधारित है।

इस प्रतिष्ठित आयोजन के दौरान भारत की माननीय राष्ट्रपति समुद्र में राष्ट्रपति बेड़े की समीक्षा करेंगी। इस अवसर पर भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के साथ-साथ विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक, नीलगिरि श्रेणी के अत्याधुनिक मारक क्षमताओं से लैस जहाज और अर्नाला श्रेणी के पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों सहित अत्याधुनिक स्वदेशी नौसैनिक प्लेटफार्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। यह भव्य आयोजन भारत के “निर्माता की नौसेना” के रूप में रूपांतरण का सशक्त प्रतीक होगी। भारतीय नौसेना के इन जहाजों के साथ मित्र देशों की नौसेनाओं, भारतीय तटरक्षक बल तथा व्यापार, परिवहन एवं आपूर्ति के विविध पोत भी इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लेंगे।

अभ्यास मिलन 2026 के समुद्री और बंदरगाह चरण का उद्देश्य सहभागी नौसेनाओं के बीच आपसी सहभगिता को सुदृढ़ करना होगा। इसके साथ ही समुद्री क्षेत्र जागरूकता, पनडुब्बी रोधी युद्ध, वायु रक्षा और खोज एवं बचाव अभियानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय सिटी परेड में भाग लेने वाली नौसेनाओं के साथ-साथ भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की टुकड़ियां विशाखापत्तनम के प्रतिष्ठित आर.के. बीच से मार्च करती हुई समक्ष समुद्री कूटनीति तथा वैश्विक मित्रता का जीवंत प्रदर्शन प्रस्तुत करेंगी।

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी में विश्वभर के समुद्री रणनीतिकार, रक्षा अधिकारी, शिक्षाविद और उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्ति एक साथ जुटेंगे। संगोष्ठी में समुद्री सहयोग, उन्नत प्रौद्योगिकी, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) जैसे समकालीन विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसी क्रम में आयोजित आईओएनएस प्रमुखों के सम्मेलन के दौरान भारतीय नौसेना वर्ष 2025 से 2027 तक दूसरी बार अध्यक्षता ग्रहण करेगी। इस सम्मेलन में 25 सदस्य राष्ट्र, 9 पर्यवेक्षक देशों और विशेष रूप से आमंत्रित देशों के नौसेना प्रमुख भाग लेंगे, जो समुद्री सुरक्षा, एचएडीआर तथा सूचना साझाकरण के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा करेंगे।

भारत की अंतर्राष्ट्रीय नौसेना समीक्षा (आईएफआर) की परंपरा 2001 में मुंबई में आयोजित पहले संस्करण से आरंभ हुई, जिसमें 20 देशों की नौसेनाओं ने भाग लिया था। यह परंपरा 2016 में विशाखापत्तनम में आयोजित भव्य आईएफआर के साथ नई बुलंदियों पर पहुंच गई, जिसमें विश्वभर की नौसेनाओं की अभूतपूर्व भागीदारी देखने को मिली। इसी प्रकार, 1995 में पोर्ट ब्लेयर में मात्र चार नौसेनाओं की भागीदारी से आरंभ हुआ ‘मिलन’ अभ्यास 2024 तक विकसित होकर दुनिया भर की साझेदार नौसेनाओं को जोड़ने वाला एक प्रमुख बहुपक्षीय नौसैन्य अभ्यास बन चुका है। भारत की आगामी आईओएनएस अध्यक्षता तथा ‘ओशन विजन’ पहल, क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग में भारत की सक्रिय नेतृत्वकारी भूमिका को और सुदृढ़ करती है।

विशाखापत्तनम का सुदृढ़ बुनियादी ढांचा, सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति और समृद्ध समुद्री विरासत इसे इस प्रतिष्ठित आयोजन का आदर्श मेजबान बनाते हैं। इस ऐतिहासिक आयोजन की सफल मेजबानी के लिए भारतीय नौसेना, राष्ट्रीय स्तर पर रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के साथ-साथ राज्य स्तर पर आंध्र प्रदेश सरकार तथा स्थानीय प्रशासन के साथ घनिष्ठ समन्वय में व्यापक तैयारियां कर रही है। यह बहुआयामी सहयोग न केवल आयोजन के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करेगा, बल्कि आतिथ्य, पर्यटन और सेवा क्षेत्रों की गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

यह एकत्रीकरण नौसैनिक परंपरा को रणनीतिक सहयोग और समुद्री साझेदारी के सशक्त मंच में परिवर्तित करता है, जिससे यह भव्य आयोजन केवल एक दृश्य उत्सव न रहकर सार्थक कूटनीति तथा प्रभावी परिचालन समन्वय का प्रतीक बन जाता है। यह भारत की उस छवि को और सुदृढ़ करेगा, जो पारस्परिक प्रगति, समग्र समुद्री सुरक्षा तथा सभी के लिए सतत विकास के प्रति वचनबद्ध एक जिम्मेदार व विश्वसनीय समुद्री शक्ति के रूप में उभर रही है।

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पीके/केसी/एनके


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