पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वच्छता विशेष अभियान 5.0 का सफलतापूर्वक समापन किया
ई-कचरे सहित कबाड़ के निपटान के कारण 41,73,348 रुपये का राजस्व सृजन हुआ तथा 28,074 वर्ग फुट स्थान खाली हुआ; अभियान के दौरान 9,996 भौतिक फाइलें हटाई गईं, 4897 ई-फाइलें बंद की गईं
Posted On:
31 OCT 2025 6:08PM by PIB Delhi
स्वच्छता पर विशेष अभियान 2021 में भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), के निर्देश पर शुरू किया गया था। यह न केवल सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए बल्कि लंबित मामलों को कम करने के लिए भी एक सतत प्रयास है, जिससे नागरिक कल्याण के साथ-साथ व्यवसाय में सुगमता को भी बढ़ावा मिलेगा। इस वर्ष विशेष अभियान 5.0 की शुरुआत स्वच्छता को संस्थागत बनाने और लंबित मामलों को न्यूनतम करने के प्रमुख उद्देश्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता के साथ हुई। ई-कचरे और राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदूषण न्यूनीकरण अभियान (एनपीपीआरसी) पर विशेष जोर दिया गया।
अभियान का प्रारंभिक चरण 15 सितंबर से 30 सितंबर, 2025 तक आयोजित किया गया। कार्यान्वयन चरण की शुरुआत दो अक्टूबर से की गई थी, जो आज 31 अक्टूबर, 2025 को संपन्न हुआ। विशेष अभियान 5.0 को मंत्रालय और उसके अधीनस्थ कार्यालयों तथा स्वायत्त निकायों के सभी 132 चिन्हित स्थलों पर क्रियान्वित किया गया।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री (एचएमईएफसीसी) श्री भूपेंद्र यादव ने बैठकें कीं, विशेष अभियान के कार्यान्वयन की समीक्षा की तथा नई दिल्ली के जोर बाग स्थित इंदिरा पर्यावरण भवन के अभिलेख कक्ष सहित विभिन्न प्रभागों/अनुभागों का दौरा किया। एचएमईएफसीसी से प्राप्त निर्देशों के तहत, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सचिव श्री तन्मय कुमार स्वच्छता के प्रभावी कार्यान्वयन और लंबित मामलों को न्यूनतम करने के लिए विशेष अभियान 5.0 के तहत गतिविधियों की नियमित निगरानी कर रहे थे।
विशेष अभियान 5.0 के विभिन्न मापदंडों के अंतर्गत उपलब्धियों के संबंध में 132 चिह्नित स्थलों की स्वच्छता अभियान, राज्य सरकार के संदर्भ, लोक शिकायत, लोक शिकायत अपील, भौतिक फाइलों और ई-फाइलों की समीक्षा के अंतर्गत 100 प्रतिशत उपलब्धियां हासिल की गई हैं। कुल 9,996 भौतिक फाइलों को हटाया गया और 4897 ई-फाइलें बंद कर दी गईं। ई-कचरे सहित कबाड़ के निपटान से 41,73,348 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ और 28,074 वर्ग फुट जगह खाली हुई।


एनपीपीआरसी के अंतर्गत प्लास्टिक में कमी और पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उपयोग के लिए प्रमुख सर्वोत्तम प्रथाएं निम्नलिखित हैं: -
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कोलकाता ने दो अक्टूबर, 2025 को समर्पित जेडएसआई स्वयंसेवकों के माध्यम से एक समन्वित प्रयास में न्यू अलीपुर, कोलकाता के बाजार में सफाई अभियान चलाया और कोलकाता नगर निगम को 450 किलोग्राम प्लास्टिक सौंपा।

- भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् (आईसीएफआरई) - शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (एएफआरआई), जोधपुर, राजस्थान ने भावाअशिप - शुष्क वन अनुसंधान संस्थान में पर्यावरण स्वच्छता में योगदान के रूप में वृक्षारोपण हेतु प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर एक नवाचार के रूप में ‘नवप्राण’ (न्यूट्रिएंट—रिच, एक्टिव, वाइटल प्लांटेशन रिजेनरेटिव एफॉरेस्टेशन नेस्ट) विकसित किया है। प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर नर्सरी में इसका उपयोग करके नवप्राण पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सशक्त कदम है।

- जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी परिसर (आरटीसी) में चीड़ कांटो का उपयोग करके पर्यावरण-अनुकूल कागज, फ़ाइलें, फ़ोल्डर, कैरी बैग आदि बनाने के लिए एक चीड़ प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है, जो जंगल की आग के प्रति संवेदनशील है। आरटीसी कार्यालय के बेकार कागज का उपयोग नए कागज, फ़ाइलें, फ़ोल्डर आदि बनाने के लिए भी करता है।

- वन शिक्षा निदेशालय, देहरादून ने पांच अप्रयुक्त प्लास्टिक पानी के टैंकों को जैविक अपशिष्ट कंपोस्टर में परिवर्तित किया और 2.5 लाख रुपये की बचत की।

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