रक्षा मंत्रालय
हिंद-प्रशांत संवाद 2025 (आईपीआरडी-2025) नई दिल्ली में संपन्न हुआ
Posted On:
30 OCT 2025 9:53PM by PIB Delhi
तीन दिवसीय हिंद-प्रशांत संवाद 2025 (आईपीआरडी-2025) आज नई दिल्ली में संपन्न हुआ। भारतीय नौसेना की वार्षिक उच्च स्तरीय रणनीतिक बातचीत 28 से 30 अक्टूबर, 2025 तक आयोजित हुई। इसमें भारत तथा दुनिया भर में जाने-माने विशेषज्ञ, भारतीय शसस्त्र बल और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, विचारकों एवं आम लोगों ने सक्रियता के साथ हिस्सा लिया।
(पहले और दूसरे दिन की प्रेस रिलीज़ के लिंक: आईपीआरडी 2025 – पहला दिन, आईपीआरडी 2025 – दूसरा दिन।)
‘समग्र समुद्री सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना: क्षेत्रीय क्षमता-निर्माण व कार्यात्मक-वृद्धि’ की अपनी व्यापक विषयवस्तु के साथ आईपीआरडी के सातवें संस्करण ने अपने विविध प्रतिभागियों एवं दर्शकों के बीच गहरी प्रतिध्वनि उत्पन्न की, जो हिंद-प्रशांत तथा उसके बाहर के तीस से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस कार्यक्रम में दिन की शुरुआत ‘ब्लू इकॉनमी (सीबेड इंफ्रास्ट्रक्चर सहित) को विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में’ विषय पर आयोजित सत्र से हुई। इस सत्र में इजराइल, वियतनाम और फिलीपींस के वक्ताओं ने पानी के नीचे के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए। एक तरफ इजराइल के प्रतिनिधि ने पूर्वी भूमध्य सागर में अंडरवाटर इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से कनेक्टिविटी और व्यापारिक प्रवाह पर जोर दिया, वहीं वियतनाम तथा फिलीपींस के वक्ताओं ने साउथ चाइना सी में ग्रे जोन गतिविधियों से उत्पन्न जटिलताओं को रेखांकित किया। सत्र के दौरान भारत की भूमिका एक समन्वयक और साझेदार के रूप में उभरकर सामने आई, जिसमें पश्चिम एशिया के संदर्भ में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईईसी) और दक्षिण-पूर्व एशिया के संदर्भ में आसियान-भारत सहयोग को सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। सत्र का समापन एनएमएफ के ‘मैरीटाइम पर्सपेक्टिव्स: द ब्लू इकॉनमी एंड रेजिलिएंस’ शीर्षक वाले पब्लिकेशन के विमोचन के साथ हुआ।
इसके बाद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य श्री संजीव सान्याल ने एक विशेष संबोधन दिया। उन्होंने अपने विचारों में भारत की समृद्ध समुद्री विरासत पर का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार भारत सरकार शिपबिल्डिंग और शिपिंग जैसे समुद्री क्षेत्रों के पुनर्जीवन के लिए ठोस कदम उठा रही है। श्री सान्याल ने आईएनएसवी कौंडिन्य के निर्माण और परीक्षण चरण में भारतीय नौसेना के अमूल्य सहयोग की सराहना की। यह परियोजना भारत की ऐतिहासिक समुद्री परंपराओं के एक महत्वपूर्ण अध्याय को पुनर्जीवित करते हुए देश में समुद्री चेतना व जागरूकता को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखती है। सत्र के अंत में उन्होंने एनएमएफ द्वारा प्रकाशित ‘ऑपरेशनलाइजिंग प्रोजेक्ट मौसम’ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया।
आईपीआरडी-2025 के अंतिम दिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रशांत द्वीपीय देशों के रणनीतिक महत्व पर चर्चा केंद्रित रही। इस सत्र में फ्रांस, जर्मनी, भारत तथा पापुआ न्यू गिनी के वक्ताओं ने दक्षिणी प्रशांत द्वीप देशों की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और उनके साथ साझेदारी एवं सहयोग को सुदृढ़ करने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।
दिन के अंतिम सत्र, जिसका संचालन इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के महासचिव श्री संजीव रंजन ने किया, में विशेषज्ञों ने आईओआरए, इंडियन ओशन नेवल सिम्पोजियम (आईओएनएस), इंडियन ओशन कमीशन (आईओसी) और आसियान आउटलुक ऑन द इंडो-पैसिफिक (एओआईपी) जैसे क्षेत्रीय तंत्रों के बीच अधिक प्रभावी तालमेल va समन्वय विकसित करने के तरीकों पर गहन चर्चा की।
तीन दिनों तक चला आईपीआरडी-2025 सभी प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक साबित हुआ। इस संवाद से नीति-निर्माताओं और व्यवहारिक विशेषज्ञों को मूल्यवान सीख एवं नए दृष्टिकोण प्राप्त हुए। सम्मेलन के दौरान इस बात पर विशेष चर्चा हुई कि क्षेत्रीय सहयोग को किस प्रकार अनुकूलित किया जा सकता है, ताकि बहुपक्षीय समुद्री सहयोग के क्षेत्र में नई गतिविधियों पहचानने और विकसित करने के मार्ग प्रशस्त हो सकें।
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