श्रम और रोजगार मंत्रालय
                
                
                
                
                
                    
                    
                        कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ‘रीइमेजिनिंग गवर्नेंस: डिस्कोर्स फॉर एक्सीलेंस’ के 22वें संस्करण में प्रख्यात लेखक और प्रबंधन विचारक गुरचरण दास की मेजबानी की
                    
                    
                        
                    
                
                
                    Posted On:
                30 OCT 2025 7:27PM by PIB Delhi
                
                
                
                
                
                
                कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (पीडीयूएनएएसएस) ने आज ‘रीइमेजिनिंग गवर्नेंस: डिस्कोर्स फॉर एक्सीलेंस’ (आरजीडीई) के 22वें संस्करण की मेजबानी की। इस सत्र में प्रसिद्ध लेखक, सार्वजनिक विचारक और प्रॉक्टर एंड गैंबल इंडिया के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी गुरचरण दास ने भाग लिया।

श्री गुरचरण दास ने “अच्छा होने की कठिनाई – नैतिकता और शासन की कला” विषय पर मुख्य भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने सत्ता और कर्तव्य के साथ उत्पन्न होने वाली नैतिक समस्याओं को समझाने के लिए महाभारत से प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने अधिकारियों को यह स्मरण कराया कि “शासन मूलतः एक नैतिक दायित्व है और अच्छा होना कठिन इसलिए है क्योंकि प्रत्येक निर्णय हमारी सहानुभूति, साहस एवं विवेक की परीक्षा लेता है।”
श्री गुरचरण दास ने अपने कॉर्पोरेट और दार्शनिक अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए करुणा को उस दृष्टि के रूप में परिभाषित किया, जो हर दस्तावेज के पीछे छिपे मानव को देखने की कला सिखाती है। उन्होंने भगवद् गीता के निष्काम कर्म के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए लोक सेवकों से आग्रह किया कि वे निःस्वार्थ भाव से, परिणामों की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करें। श्री दास ने कहा, “हम सर्वोत्तम सेवा तभी कर सकते हैं, जब हम अहंकार या अपेक्षा से मुक्त होकर कार्य करते हैं।”
श्री गुरचरण दास ने अपनी कॉर्पोरेट यात्रा को याद करते हुए रात्रिकालीन सुरक्षा गार्ड कांबले की प्रेरणादायक कहानी साझा की, जो जिज्ञासा, विनम्रता और अपने कार्य के प्रति प्रेम के माध्यम से कंपनी के निदेशक बन गए। उन्होंने कहा, “मायने बुद्धि के नहीं, दृष्टिकोण के हैं अर्थात जिज्ञासा, अपने कार्य के प्रति समर्पण और जिन लोगों की आप सेवा करते हैं, उनके लिए प्रेम, ये सब महत्वपूर्ण हैं। यही सच्ची प्रसन्नता का रहस्य है।” श्री दास ने यह भी कहा कि “कार्यान्वयन करना किसी रणनीति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।” उन्होंने एक ऐसी संस्थागत संस्कृति विकसित करने का आह्वान किया, जो बयानबाजी के बजाय ठोस कार्रवाई और सेवा की भावना को प्राथमिकता देती है।
सीबीटी के सदस्य श्री आशीष विग ने बातचीत के दौरान, यह प्रश्न उठाया कि नैतिक रूप से अस्पष्ट परिस्थितियों में सही निर्णयों का मार्गदर्शन करने वाला आंतरिक दिशासूचक कैसे विकसित किया जाए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरचरण दास ने कहा, “हर परिस्थिति अलग होती है; अच्छाई का कोई निश्चित सूत्र नहीं होता।” उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे “अपने नैतिक दिशा-निर्देशों को परिष्कृत करें, राजधर्म का पालन करें और अपने अंतर्मन की ध्वनि सुनें क्योंकि अक्सर, मन के कोई औचित्य देने से पहले ही अंतरात्मा सही उत्तर दे देती है।”
श्री गुरचरण दास ने ईपीएफओ में जारी सुधारों की सराहना करते हुए कहा कि संगठन प्रक्रियाओं को सरल बनाने और पारदर्शिता, दक्षता तथा नागरिक सुविधा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग की दिशा में प्रशंसनीय कदम उठा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इन प्रयासों को निरंतर गति देते रहें।
केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति ने कहा कि इस सत्र का संदेश सार्वजनिक धन के संरक्षक के रूप में ईपीएफओ के मिशन के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यह निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह बने रहने के उसके दायित्व की पुष्टि करता है।
पीडीएनएएसएस के निदेशक कुमार रोहित ने आरजीडीई को “विराम लेने, आत्मचिंतन करने और शासन की नैतिक दृष्टि से पुनः जुड़ने का एक सशक्त मंच” बताया। उन्होंने कहा कि पिछले सत्रों से कई ठोस परिणाम सामने आए हैं, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के व्याख्यान से प्रेरित करुणा पर प्रशिक्षण मॉड्यूल और नवाचार व सुधार पर चर्चाओं से उत्पन्न डिजाइन-थिंकिंग पहल तक शामिल हैं।
संचालक आरपीएफसी उत्तम प्रकाश ने चर्चा का सार प्रस्तुत करते हुए इसे “लोक प्रशासन के आधुनिक कुरुक्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करने वाला एक नैतिक दिशासूचक” बताया। उन्होंने गुरचरण दास को नैतिकता को व्यावहारिक और गहन व्यक्तिगत अनुभव बनाने के लिए धन्यवाद दिया।
इस सत्र में देशभर से लगभग 800 अधिकारियों ने भाग लिया। यह आयोजन अकादमी की उस मासिक पहल का हिस्सा है, जिसके तहत प्रतिष्ठित विचारकों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है ताकि वे नैतिकता, सार्वजनिक सेवा तथा शासन में उत्कृष्टता जैसे विषयों पर ईपीएफओ अधिकारियों के साथ सारगर्भित संवाद कर सकें।
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पीके/केसी/एनके/डीए
                
                
                
                
                
                (Release ID: 2184373)
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