रक्षा मंत्रालय
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने समन्वय 2025 के दौरान आठ प्रणालियों व उपकरणों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु 12 लाइसेंसिंग समझौते रक्षा उद्योग को सौंपे
Posted On:
29 OCT 2025 8:39PM by PIB Delhi
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बेंगलुरु में आयोजित दो दिवसीय रक्षा उद्योग तालमेल बैठक “समन्वय 2025” के उद्घाटन सत्र के दौरान, आठ उपकरणों की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 29 अक्टूबर, 2025 को रक्षा उद्योग भागीदारों को 12 लाइसेंसिंग समझौते (एलएटीओटी) सौंपे। यह कार्यक्रम डीआरडीओ के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार प्रणाली (ईसीएस) क्लस्टर द्वारा आयोजित किया गया था। प्रौद्योगिकी हस्तांतरित प्रणालियों व उपकरणों की सूची इस प्रकार है:
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क्रम संख्या
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प्रयोगशाला
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टीओटी साझेदारों के साथ तकनीकी विवरण
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लड़ाकू विमान प्रणाली विकास एवं एकीकरण केंद्र
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- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बेंगलुरु को डी-29 इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट
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रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोग प्रयोगशाला
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- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, पंचकुला के लिए नैटसैट-हैंडहेल्ड और नैटसैट-मिनी टर्मिनल
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रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला
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- सारंग इलेक्ट्रॉनिक सहायता माप प्रणाली कार्यक्रम समुद्रिका भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बेंगलुरु को
- डॉल्फिन-II भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बेंगलुरु को
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उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान
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- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, पुणे और भारत डायनामिक्स लिमिटेड, हैदराबाद को नेत्र-सुरक्षित लेजर रेंज फाइंडर के साथ लेजर बीम राइडर गाइडेंस सिस्टम
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, पुणे को एथर्मल लेजर टारगेट डिज़ाइनर
- लेजर फोटोएकॉस्टिक स्पेक्ट्रोस्कोपी, डीएच लिमिटेड, गाजियाबाद, एनरटेक इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद, बीम इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव और निबे लिमिटेड, पुणे को
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माइक्रोवेव ट्यूब अनुसंधान एवं विकास केंद्र
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- एम-टाइप डिस्पेंसर कैथोड, पैनेसिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, मालुर, कर्नाटक को
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इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 150 से अधिक औद्योगिक साझेदार भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य रक्षा उद्योगों विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स को ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप डीआरडीओ की विभिन्न उद्योग-अनुकूल नीतियों, गतिविधियों एवं सहयोग अवसरों के बारे में जानकारी देना तथा उन्हें नवीनतम सूचनाओं से अवगत कराना है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने वर्चुअल माध्यम से इस बैठक का उद्घाटन किया। उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि “डीआरडीओ, नवाचार और रक्षा उद्योग के समन्वय के माध्यम से भारतीय रक्षा विनिर्माण को सशक्त बनाते हुए आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में अग्रसर है।” डॉ. समीर ने कहा कि डीआरडीओ अनुसंधान प्रयोगशालाओं में विकसित प्रौद्योगिकियों को वास्तविक सैन्य क्षमताओं में रूपांतरित करने के लिए औद्योगिक जगत के साथ निकट साझेदारी कर रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि संगठन ‘मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को साकार करने हेतु सशस्त्र बलों के लिए उन्नत, स्वदेशी एवं व्यवहारिक समाधान विकसित करने के उद्देश्य से प्रतिबद्ध है।

डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि संगठन ने उद्योगों के बीच डीआरडीओ की नीतियों और प्रक्रियाओं की समझ को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अपनी सभी प्रयोगशालाओं, केंद्रों, प्रतिष्ठानों तथा मुख्यालयों में उद्योग संपर्क समूह की स्थापना की है।
इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने वाले पद्म विभूषण डॉ. आर.ए. माशेलकर, पूर्व महानिदेशक, सीएसआईआर ने “नवोन्मेषी भारत का पुनरुत्थान: चुनौती और रणनीति” विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस पर प्रकाश डाला कि नवाचार, उद्योग एवं अनुसंधान संस्थान परस्पर सहयोग व समन्वय के माध्यम से देश को प्रौद्योगिकी और औद्योगिक उत्कृष्टता के अगले स्तर तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
ईसीएस के महानिदेशक डॉ. बी.के. दास ने रक्षा उद्योग जगत को उनकी सक्रिय और व्यापक भागीदारी के लिए बधाई दी तथा स्टार्ट-अप्स से आग्रह किया कि वे बड़ी प्रणालियों के विकास हेतु नवीन एवं व्यावहारिक विचारों के साथ आगे आएं। उन्होंने सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन देते हुए प्रमुख उद्योगों से स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को मार्गदर्शन तथा सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया।
समन्वय 2025 में कुल 10 सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका केंद्रबिंदु रक्षा उद्योग, एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स तथा विकास और उत्पादन साझेदारी जैसे विषय हैं। इन सत्रों में रक्षा अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के उपायों, रक्षा उद्योग को सक्षम बनाने हेतु डीआरडीओ की नीतियों एवं हालिया सुधारों तथा भविष्य की चुनौतियों व अवसरों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जाएगा।
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