इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने 17 अक्टूबर, 2025 को देहरादून में उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 का उद्घाटन किया


उत्तराखंड ने जिम्मेदार और समावेशी एआई विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के लिए पूर्व-शिखर सम्मेलन की मेजबानी की

हम विश्व स्तरीय अभिकलन क्षमता को एक डॉलर प्रति घंटे से भी कम में उपलब्ध करा रहे हैं : श्री जितिन प्रसाद

Posted On: 17 OCT 2025 3:13PM by PIB Delhi

उत्तराखंड सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने केन्द्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंडिया एआई मिशन के सहयोग से 17 अक्टूबर, 2025 को देहरादून के होटल रमाडा में उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 का आयोजन किया। यह इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 का एक आधिकारिक पूर्व-शिखर सम्मेलन है, जो 19-20 फरवरी, 2026 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होने वाला है।

उत्तराखंड सरकार के आईटी विभाग और इंडिया एआई मिशन, एमईआईटीवाई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने किया और इस अवसर पर उत्तराखंड सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री नितेश कुमार झा; इंडिया एआई मिशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निदेशक श्री मोहम्मद वाई सफिरुल्ला; यूसीओएसटी के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत; यूपीईएस, देहरादून के कुलपति प्रो. राम शर्मा; एनआईसी के एसआईओ श्री संजय गुप्ता और एनआईसी मुख्यालय के एआई प्रभाग की डीडीजी और एचओजी श्रीमती शर्मिष्ठा दास भी उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम में बोलते हुए श्री जितिन प्रसाद ने कहा, "पिछली शताब्दी के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी जो मायने रखती थी, वही इस शताब्दी के लिए एआई है, लेकिन इस बार, भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि यह अवसर सभी के लिए हो।

 हम एक डॉलर प्रति घंटे से भी कम की लागत पर विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे अनुसंधान, नवाचार और जन कल्याणकारी बदलाव संभव हो रहा है। कुंभ के एआई प्रबंधन से लेकर शासन और शिक्षा में बदलाव तक भारत यह दिखा रहा है कि जो कभी असंभव लगता था, वह अब संभव है। यही है नया भारत - आत्मविश्वास से भरा, सक्षम और प्रभावकारी प्रौद्योगिकी के उपयोग में दुनिया का नेतृत्व करने वाला।"

उत्तराखंड सरकार के आईटी सचिव श्री नितेश कुमार झा ने इसमें और जोड़ते हुए कहा, "हम नियमित रूप से एआई का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन केन्द्र सरकार और हमारे राज्य का व्यापक उद्देश्य केवल एआई का उपयोग करना नहीं, बल्कि एआई का निर्माण करना है। आइए, हम एआई के निर्माता बनें। हमने एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है और पहला ड्रोन अनुप्रयोग केंद्र भी स्थापित किया है, जहाँ हम ड्रोन प्रौद्योगिकी में एआई को एकीकृत कर रहे हैं। इसके लिए, हमें इस वर्ष माननीय प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।"

शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की, आईआईएम काशीपुर, टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज, यूपीईएस और एसटीपीआई देहरादून जैसे प्रमुख संस्थान एक साथ आए। इसमें आईआईएम काशीपुर और एसटीपीआई देहरादून द्वारा समर्थित एआई-आधारित स्टार्टअप्स द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें शासन, उद्यमिता और सामाजिक प्रभाव में एआई के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला गया।

टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज के कंट्री डायरेक्टर श्री विवेक अग्रवाल द्वारा संचालित एक पैनल चर्चा में श्रीमती शर्मिष्ठा दास, डीडीजी और एचओजी, एआई डिवीजन, एनआईसी मुख्यालय; डॉ. सफल बत्रा, सीईओ, एफआईईडी, आईआईएम काशीपुर; डॉ. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूसीओएसटी, जीओयूयूके; प्रो. राम शर्मा, कुलपति, यूपीईएस, देहरादून और डॉ. आजम अली, सीईओ, टीआईडीईएस, आईआईटी रुड़की शामिल थे। इस सत्र ने एआई के विकसित परिदृश्य का पता लगाया और युवाओं में रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। इसने छात्रों को जमीनी स्तर पर जाने, मूल कारणों को समझने और वास्तविक सामाजिक प्रभाव पैदा करने वाले विचारों को डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। चर्चा में उत्तराखंड में सार्वजनिक हित के लिए जिम्मेदार और कुशल एआई अपनाने को मजबूत करने हेतु शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स और नीति निर्माताओं के बीच गहन सहयोग का भी आह्वान किया गया।

उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 ने इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के लिए मंच तैयार किया, जो ग्लोबल साउथ में आयोजित होने वाला पहला वैश्विक एआई फोरम होगा। वैश्विक एआई एजेंडे को आकार देने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाते हुए यह शिखर सम्मेलन "सभी के लिए एआई" के राष्ट्र के विजन पर आधारित है। इसका उद्देश्य यह सामाजिक समावेशन, नवाचार और बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ावा देने के लिए एआई की शक्ति का उपयोग करने है, जिससे न्यायसंगत, संधारणीय और जन-केंद्रित एआई विकास के लिए एक वैश्विक समर्थक के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हो सके।

 

इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के बारे में

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जाने वाला इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 नई दिल्ली में 19-20 फरवरी, 2026 को आयोजित किया जाएगा। यह वैश्विक मंच समावेशी विकास, स्थिरता और न्यायसंगत प्रगति को सक्षम करने में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। यह शिखर सम्मेलन एक ऐसा मार्ग का निर्धारण करता है जहां एआई मानवता की सेवा करता है, समावेशी विकास को आगे बढ़ाता है, सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है और ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित करता है जो हमारी पृथ्वी की रक्षा करते हैं।

तीन सूत्र

शिखर सम्मेलन तीन मार्गदर्शक सिद्धांतों या सूत्रों पर आधारित होगा:

  • लोग : एआई को अपनी सभी विविधताओं में मानवता की सेवा करनी चाहिए, सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करना चाहिए, गरिमा बनाई रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। फोकस क्षेत्रों में एआई-सक्षम दुनिया में मानव विकास, बहुभाषी और सुलभ प्रणालियां तथा सुरक्षित एवं विश्वसनीय तैनाती शामिल हैं।
  • पृथ्वी : एआई का विकास और तैनाती संसाधन-कुशल होनी चाहिए, साथ ही जलवायु संबंधी मजबूती, पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक खोजों में भी तेज़ी लानी चाहिए। एआई को पृथ्वी प्रबंधन और वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
  • प्रगति : एआई के लाभों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना, डेटासेट, कंप्यूटिंग और मॉडलों तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण करना तथा स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, शासन और कृषि में एआई को लागू करना।

सात चक्र

सूत्रों को सात चक्रों के माध्यम से कार्रवाई में बदला जाता है, जो मूर्त परिणाम देने के लिए डिजाइन किए गए बहुपक्षीय सहयोग के क्षेत्र हैं।

  1. मानव पूंजी - रोज़गार, कौशल विकास और कार्यबल परिवर्तन को संबोधित करें। साक्षरता, पुनः कौशल विकास और भविष्य के कौशलों तक न्यायसंगत पहुंच के लिए वैश्विक ढांचे विकसित करें।
  2. सामाजिक सशक्तिकरण के लिए समावेशन - ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देना जो भाषाओं, संस्कृतियों और पहचानों को दर्शाती हो; दिव्यांगजनों के लिए पहुंच सुनिश्चित करना; लैंगिक और डेटा संबंधी पूर्वाग्रहों को रोकना।
  3. सुरक्षित और विश्वसनीय एआई - सुरक्षा परीक्षण, पारदर्शिता और लेखा परीक्षा उपकरणों तक लोकतांत्रिक पहुंच प्रदान करना; अंतर-संचालनीय शासन और आश्वासन तंत्र का निर्माण करना।
  4. मजबूती, नवाचार और दक्षता - संसाधन-कुशल एआई को बढ़ावा देना, जो स्थानीय वास्तविकताओं के लाइटवेट और अनुकूलनीय हो, जिससे असमानताएं और पर्यावरणीय लागत कम हो।
  5. विज्ञान - अनुसंधान और खोज में तेजी लाने के लिए एआई के जिम्मेदार उपयोग का विस्तार करना; वैश्विक दक्षिण में इकोसिस्टम और साझेदारी को मजबूत करना; ओपन, अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  6. एआई संसाधनों का लोकतंत्रीकरण - डेटा, कंप्यूट, मॉडल और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे तक न्यायसंगत पहुंच के लिए रास्ते तैयार करना, जिससे वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाने वाले विविध एआई समाधान सक्षम हो सकें।
  7. आर्थिक विकास और सामाजिक भलाई के लिए एआई - सार्वजनिक हित के क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों की पहचान और उनका विस्तार करना; ज्ञान और संसाधन साझा करने के लिए मंच बनाना; क्रॉस बार्डर सहयोग को सक्षम बनाना।

जैसे-जैसे दुनिया भर में एआई का उपयोग बढ़ रहा है, एआई इम्पैक्ट समिट एआई के मापनीय प्रभाव पर एक चर्चा का मंच तैयार करता है तथा वैश्विक दक्षिण और उससे आगे के लिए एक वैश्विक संयोजक के रूप में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालता है। विश्व के नेताओं, नवप्रवर्तकों, नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के अग्रदूतों को एक साथ लाकर यह शिखर सम्मेलन एआई के लिए एक साझे विजन को आकार देगा जो वास्तव में केवल कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि अनेक लोगों के लिए उपयोगी होगा।

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पीके/केसी/आईएम/जीआरएस


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