पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने चंडीगढ़ में 6 दिसंबर से शुरू होने वाले 4 दिवसीय भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2025 के पूर्वावलोकन (कर्टेन रेजर) का अनावरण किया, इसे विज्ञान और नवाचार का उत्सव बताया
आईआईएसएफ 2025 'विज्ञान से समृद्धि - आत्मनिर्भर भारत' पर केंद्रित होगा, जिसमें भारत के नवाचार, आत्मनिर्भरता और ज्ञान परंपराओं को प्रदर्शित किया जाएगा
आईआईएसएफ 2025 आत्मनिर्भर भारत से लेकर जैव-अर्थव्यवस्था तक पांच विषयों पर प्रकाश डालेगा; क्षेत्र-विशिष्ट नवाचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी के हर बड़े संबोधन - स्वतंत्रता दिवस के भाषणों से लेकर नीतिगत घोषणाओं तक - ने राष्ट्रीय विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए एक मजबूत संदेश दिया है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) जैसी पहल राज्यों के विश्वविद्यालयों और संस्थानों को सहायता प्रदान करके अनुसंधान निधि का लोकतंत्रीकरण करेगी
Posted On:
17 OCT 2025 5:24PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2025 का कर्टेन रेजर लॉन्च किया। उन्होंने इसे "विज्ञान का उत्सव" बताते हुए कहा कि यह देश की बढ़ती वैज्ञानिक खोज और नवाचार की भावना का पूरक है। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह महोत्सव भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा और विज्ञान-आधारित प्रगति में अधिक जन भागीदारी को प्रेरित करेगा।
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में 6 से 9 दिसंबर, 2025 तक आयोजित होने वाला यह महोत्सव वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए एक साथ लाएगा। इस वर्ष के संस्करण का विषय "विज्ञान से समृद्धि - विज्ञान से समृद्धि" होगा, जिससे सरकार के राष्ट्रीय विकास और आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान पर जोर का पता चलता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत वैज्ञानिक रचनात्मकता और तकनीकी नवाचार में अपने सबसे गतिशील चरण का गवाह बन रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री के हर बड़े संबोधन - स्वतंत्रता दिवस के भाषणों से लेकर नीतिगत घोषणाओं तक - ने राष्ट्रीय विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए एक मजबूत संदेश दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान से समृद्धि” विषय भारत के अगले विकास चरण का सार प्रस्तुत करता है, जो प्रौद्योगिकी, नवाचार और स्थिरता द्वारा संचालित होगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की ओर भारत की प्रगति आयात पर निर्भरता को कम करने और जीवन विज्ञान, कृषि, ईंधन और ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में घरेलू क्षमता को मजबूत करने पर निर्भर करती है।
आईआईएसएफ 2025 पांच व्यापक विषयों पर केंद्रित होगा - विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उत्तर-पश्चिम भारत एवं हिमालयी क्षेत्र का पारिस्थितिकी; समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान; विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत; जैव प्रौद्योगिकी और जैव-अर्थव्यवस्था; और आधुनिक विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान का एकीकरण। डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, यह आयोजन ऐसे क्षेत्र-विशिष्ट नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए जम्मू, चंडीगढ़ और हिमालयी क्षेत्र के संस्थानों को एक साथ लाएगा, जो सतत विकास को बढ़ावा देते हैं।
एक अन्य आगामी सम्मेलन ईएसटीआईसी कॉन्क्लेव के लिए हाल में हुए कर्टेन रेजर का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह कॉन्क्लेव विज्ञान के अध्ययन पर केंद्रित था, आईआईएसएफ खोज और प्रेरणा के आनंद का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "दोनों आयोजन एक-दूसरे के पूरक हैं - आप यह जानने के लिए अध्ययन करते हैं कि किसका जश्न मनाना है, और आप और अधिक अध्ययन करने के लिए प्रेरित होने के लिए जश्न मनाते हैं।"
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) जैसी पहल राज्यों के विश्वविद्यालयों और संस्थानों को समर्थन देकर अनुसंधान निधि का फायदा व्यापक रूप से उपलब्ध कराएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि नवाचार अब पारंपरिक उत्कृष्टता केंद्रों तक ही सीमित न रहे। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को अत्याधुनिक आधुनिक विज्ञान के साथ मिश्रित करने की भारत की अद्वितीय क्षमता पर भी जोर दिया और कहा कि यह तालमेल देश की सबसे बड़ी वैज्ञानिक शक्तियों में से एक है।
छात्रों, स्टार्ट-अप्स और नागरिकों से चार दिवसीय कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस महोत्सव में वैज्ञानिक प्रदर्शनियां, व्यावसायिक बैठकें, प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जो प्रयोगशालाओं और समाज के बीच की दूरी को पाटेंगे। उन्होंने कहा, "यह आयोजन भारत के वैज्ञानिक संदेश को प्रयोगशाला से भूमि तक और नवाचार से आत्मनिर्भरता तक पहुंचाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।"
इस उद्घाटन समारोह में वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिनमें पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेनू विज; जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. राजेश एस. गोखले; सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी; पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन; परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती; आईआईटीएम पुणे के निदेशक डॉ. ए. सूर्यचंद्र राव; और विज्ञान भारती के राष्ट्रीय आयोजन सचिव डॉ. शिव कुमार शर्मा आदि शामिल थे।
2015 में शुरू किया गया भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव, वैज्ञानिक सोच और विज्ञान में जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए देश के सबसे बड़े मंचों में से एक बन गया है। 2025 के संस्करण का उद्देश्य यह प्रदर्शित करके इस दृष्टिकोण को और मजबूत करना है कि कैसे विज्ञान और नवाचार भारत की सतत समृद्धि की यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं।



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