उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
विश्व मानक दिवस 2025
सरकार ने एमएसएमई को समर्थन देने और निम्न-स्तरीय उत्पादों पर अंकुश लगाने के लिए क्यूसीओ ढांचे में सुधार किया: केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्री
बीआईएस को उपभोक्ता पहल और आउटरीच को मजबूत करना चाहिए: श्री प्रल्हाद जोशी
Posted On:
14 OCT 2025 4:57PM by PIB Delhi
सरकार घरेलू एमएसएमई क्षेत्र की आवश्यकताओं के प्रति विचारशील रहते हुए निम्न-स्तरीय उत्पादों के प्रचलन पर अंकुश लगाने के लिए अनिवार्य प्रमाणीकरण हेतु गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के दायरे को सुसंगत बना रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा आयोजित विश्व मानक दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित समारोह में यह बात कही। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बीआईएस को इन दोनों उद्देश्यों के बीच एक स्थायी संतुलन बनाना होगा।
श्री जोशी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 11 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 10वें स्थान से बढ़कर चौथे स्थान पर पहुँच गई है, जो सरकार के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन की नीति से प्रेरित एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि भारत अब 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर पूरे आत्मविश्वास से बढ़ रहा है। बीआईएस ने राष्ट्रीय मानकों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाकर इस विज़न को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि मानक एक सुचारु रूप से कार्य करने वाले समाज की रीढ़ हैं, जो उत्पादों, सेवाओं और प्रणालियों में सुरक्षा, गुणवत्ता और विश्वास सुनिश्चित करते हैं। ये मानक निर्बाध घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाते हैं, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाते हैं और उपभोक्ता हितों की रक्षा करते हैं। मानकों का पालन करके, भारत अपने उत्पादों की विश्वसनीयता और वैश्विक बाज़ारों में अपनी स्थिति को मज़बूत करता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस वर्ष का विषय, बेहतर विश्व के लिए साझा दृष्टिकोण, एसडीजी-17 (सतत विकास लक्ष्य 17) - लक्ष्यों के लिए साझेदारी पर केंद्रित है, जो सतत विकास प्राप्त करने में सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालता है। राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में, बीआईएस ने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर उल्लेखनीय प्रगति की है। नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, डिजिटल अवसंरचना और टिकाऊ सामग्री जैसे नए और उभरते क्षेत्रों पर सक्रिय रूप से ध्यान दिया जा रहा है।
श्री जोशी ने विश्व मानक दिवस 2025 के आयोजन के लिए बीआईएस को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत नए उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित, विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो।
केंद्रीय मंत्री ने दोहराया कि प्रधानमंत्री ने शून्य दोष और शून्य प्रभाव के अपने आह्वान के माध्यम से स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, और ऐसे उत्पादों को बढ़ावा दिया है जो गुणवत्ता में दोषरहित हों और पर्यावरण के लिए हानिकारक न हों। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए और भारतीय मानक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के पर्याय बनने चाहिए।
श्री जोशी ने बताया कि वर्तमान में 22,300 से अधिक मानक लागू हैं और 94 प्रतिशत भारतीय मानकों को आईएसओ (अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन) और आईईसी (अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग) मानकों के अनुरूप बनाया गया है। तैयार किए गए नए मानकों की संख्या 2014 में 407 से बढ़कर 2025 में 1,038 हो गई है। अनिवार्य प्रमाणन के अंतर्गत आने वाले उत्पादों की संख्या भी 2014 में 14 क्यूसीओ के अंतर्गत 106 उत्पादों से बढ़कर 2025 में 191 क्यूसीओ तथा दो क्षैतिज क्यूसीओ के अंतर्गत 773 उत्पादों तक हो गई है।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने स्वर्ण आभूषणों की हॉलमार्किंग में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एचयूआईडी-चिह्नित आभूषणों की शुरुआत ने उपभोक्ता संरक्षण और विश्वास के नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने उद्योग जगत को मानकों को अधिक व्यावहारिक, गतिशील और भविष्य के लिए तैयार बनाने हेतु मानकीकरण प्रक्रिया में अधिक सक्रियता से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बीआईएस गुणवत्ता, सुरक्षा और स्थिरता के क्षेत्र में मानक स्थापित करते हुए दुनिया के अग्रणी राष्ट्रीय मानक निकायों में से एक के रूप में उभरेगा। उन्होंने बीआईएस से आग्रह किया कि वह मानकों के विकास में तेज़ी लाए, विशेष रूप से राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में, ताकि तेज़ी से हो रही तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखा जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने बीआईएस से अपने उपभोक्ता संपर्क और प्रचार पहलों को मज़बूत करने का भी आह्वान किया ताकि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के नागरिक मानकों के महत्व से अवगत हों। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विज़न को प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही नवाचार, स्वदेशी तकनीक और सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया। उन्होंने सभी हितधारकों को स्वदेशी अभियान अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और बीआईएस की निरंतर उत्कृष्टता के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं।
उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने भारत के मानकीकरण आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले विशेषज्ञों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह दिवस उन लोगों के अथक प्रयासों का जश्न मनाता है जो उद्योगों और अर्थव्यवस्था का मार्गदर्शन करने वाले वैश्विक मानकों को आकार दे रहे हैं। विकास और सहयोग को बढ़ावा देने में वैश्विक मानकीकरण के महत्व पर ज़ोर देते हुए, श्री वर्मा ने मानकों और प्रमाणन के संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिए "भारत के मानकीकरण नायकों" की सराहना की। उन्होंने आईएसओ और आईईसी में बीआईएस की सक्रिय भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसने भारत की वैश्विक स्थिति को मज़बूत किया है और राष्ट्रीय मानकों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाया है।
इस अवसर पर बीआईएस के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी, उपभोक्ता मामले विभाग के अपर सचिव श्री भरत खेड़ा, बीआईएस के ओएसडी श्री संजय गर्ग तथा ब्यूरो के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
भारत के गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र में मानकीकरण, पारदर्शिता और डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहलों को भी इस कार्यक्रम में लॉन्च किया गया, जिसमें नेशनल लाइटिंग कोड ऑफ इंडिया: 2025 का विमोचन भी शामिल है । पहली बार 2010 में प्रकाशित, नेशनल लाइटिंग कोड (एनएलसी) इनडोर और आउटडोर दोनों स्थानों में प्रकाश व्यवस्था के डिजाइन, चयन, स्थापना और रखरखाव के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को समेकित करता है। तब से, प्रकाश परिदृश्य में काफी विकास हुआ है। वैज्ञानिक अनुसंधान से पता चला है कि प्रकाश का मानव मनोदशा, दैनिक लय, व्यवहार और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। डिजिटल लाइटिंग, IoT-सक्षम स्मार्ट सिस्टम और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने से अद्यतित दिशानिर्देश अनिवार्य हो गए हैं, जबकि अत्यधिक या खराब तरीके से डिज़ाइन की गई कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था के बारे में पारिस्थितिक चिंताएं अब और अधिक गंभीर हो गई हैं। इन विकासों को मान्यता देते हुए, बीआईएस की इल्युमिनेशन इंजीनियरिंग और ल्यूमिनेयर्स अनुभागीय समिति (ईटीडी 49) ने एनएलसी का व्यापक संशोधन किया। संशोधित संहिता, जिसे अब सोलह भागों में विभाजित किया गया है, प्रमुख प्रगतियों जैसे फ्लोरोसेंट और हैलोजन जैसे पारंपरिक स्रोतों से एलईडी और सॉलिड-स्टेट प्रकाश व्यवस्था में परिवर्तन, IoT द्वारा सक्षम स्मार्ट, कनेक्टेड प्रणालियों का उदय, तथा नवीकरणीय ऊर्जा के साथ प्रकाश व्यवस्था का एकीकरण आदि को संबोधित करती है। इसमें सुरंगों, विरासत स्थलों, स्वास्थ्य देखभाल, बागवानी और रोगाणुनाशक उपयोगों के लिए विशेष प्रकाश अनुप्रयोगों को भी शामिल किया गया है, साथ ही मानव-केंद्रित प्रकाश व्यवस्था, यूवी-आधारित कीटाणुशोधन और सौर ऊर्जा संचालित प्रणालियों जैसे नए क्षेत्रों की खोज भी की गई है।
25 परख एवं हॉलमार्किंग केंद्रों (एएचसी) में हॉलमार्क वाले आभूषणों का वजन और फोटोग्राफ लेने के लिए एक पायलट परियोजना भी शुरू की गई। इस पहल का उद्देश्य बीआईएस पोर्टल में प्रत्येक हॉलमार्क वाले आभूषण की तस्वीर और वजन को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करके हॉलमार्किंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना है। सिस्टम के साथ कॉन्फ़िगर किए गए कैमरे आभूषण वस्तु और उसके एचयूआईडी दोनों की अलग-अलग स्पष्ट छवियां कैप्चर करेंगे, जबकि प्रत्येक एएचसी पर तौल तराजू को स्वचालित रूप से वजन डेटा रिकॉर्ड करने के लिए एकीकृत किया जाएगा, जिससे मैनुअल प्रविष्टि त्रुटियां समाप्त हो जाएंगी। उपभोक्ता बीआईएस केयर मोबाइल एप्लीकेशन पर दर्ज फोटोग्राफ और वजन देखकर हॉलमार्क वाली वस्तुओं की प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकेंगे, जिससे पारदर्शिता और सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा मिलेगा। पायलट परियोजना को पूरे भारत में लागू करने से पहले 25 चयनित एएचसी में एक महीने के लिए लागू किया जाएगा।
एक अन्य प्रमुख पहल की शुरुआत की गई, जिसमें प्रयोगशाला उपकरणों को बीआईएस प्रयोगशाला सूचना प्रबंधन प्रणाली (एलआईएमएस) के साथ एकीकृत किया गया। बीआईएस प्रयोगशालाएं, बीआईएस-मान्यता प्राप्त बाहरी और सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर, सभी परीक्षण सुविधाओं में डिजिटल संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए बीआईएस द्वारा विकसित एलआईएमएस का उपयोग कर रही हैं। दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, 180 से अधिक उपकरण और विश्लेषणात्मक प्रणालियां—जिनमें रासायनिक, यांत्रिक, विद्युत, सूक्ष्मजीवविज्ञानी और खाद्य परीक्षण शामिल हैं—अब एलआईएमएस के माध्यम से डिजिटल रूप से आपस में जुड़ गई हैं। यह एकीकरण उपकरणों से सिस्टम में डेटा के स्वचालित हस्तांतरण की अनुमति देता है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम होता है, स्थिरता सुनिश्चित होती है और पता लगाने की क्षमता बढ़ती है। यह विश्लेषण के समय को कम करता है, विश्वसनीयता बढ़ाता है और बीआईएस परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रियाओं में विश्वास को मजबूत करता है, साथ ही सरकार की मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया पहलों का समर्थन करता है।
इस कार्यक्रम में बीआईएस द्वारा लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) का भी शुभारंभ हुआ। एलएमएस भारतीय मानकों और अनुरूपता मूल्यांकन प्रक्रियाओं पर ऑनलाइन, स्व-गति प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिन्हें डिजिटल शिक्षण के माध्यम से उद्योग के पेशेवरों और गुणवत्ता नियंत्रण कर्मियों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रत्येक पाठ्यक्रम में प्रासंगिक मानकों, परीक्षण विधियों, उत्पादन प्रक्रियाओं और विफलता विश्लेषण को कवर करने वाले अनुक्रमिक मॉड्यूल शामिल हैं। शिक्षार्थी वेब या मोबाइल उपकरणों के माध्यम से प्लेटफ़ॉर्म तक पहुँच सकते हैं और विषय विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने के लिए स्पष्टीकरण मंच का उपयोग कर सकते हैं। मॉड्यूल क्विज़ और अंतिम मूल्यांकन के सफल समापन पर, प्रतिभागियों को एक सत्यापन योग्य, बारकोड वाला डिजिटल प्रमाणपत्र प्राप्त होगा। एलएमएस विस्तृत प्रशिक्षण रिकॉर्ड भी रखता है और अनुकूलन योग्य रिपोर्ट प्रदान करता है, जिससे मानकीकरण और गुणवत्ता आश्वासन के क्षेत्र में क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलता है।

***
पीके/केसी/जीके/एसएस
(Release ID: 2179068)
Visitor Counter : 102