पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत तीन प्रमुख बंदरगाहों को हरित हाइड्रोजन केंद्र के रूप में मान्यता
दीनदयाल, वी.ओ. चिदंबरनार और पारादीप बंदरगाहों को रणनीतिक हाइड्रोजन केंद्रों के रूप में विकास हेतु चिन्हित किया गया
“भारत के बंदरगाह वैश्विक व्यापार मार्गों पर अपनी रणनीतिक उपस्थिति के माध्यम से इस क्षेत्र के सतत रसद क्षेत्र में परिवर्तन को गति प्रदान करेंगे:” श्री सर्बानंद सोनोवाल
Posted On:
10 OCT 2025 8:29PM by PIB Delhi
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के अंतर्गत तीन प्रमुख बंदरगाहों - दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (गुजरात), वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह प्राधिकरण (तमिलनाडु) और पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (ओडिशा) को हरित हाइड्रोजन केंद्र के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दी है। यह मान्यता एकीकृत हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत के परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन और उसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। यह मिशन बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन केंद्रों के विकास को बढ़ावा देता है जो उत्पादन और उपभोग के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करेंगे। इससे स्थायी और प्रतिस्पर्धी हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की स्थापना में सहायता मिलेगी।
इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह मान्यता भारत की समुद्री यात्रा में निर्णायक क्षण है क्योंकि हम वैश्विक समुद्री क्षेत्र में आधुनिक, सक्षम और अग्रणी बनने की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हम सतत विकास के पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं जो भारत को 2070 तक नेट जीरो बनने के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा। बंदरगाह इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण नोड हैं। ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में, हमारे बंदरगाह स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे। अग्रणी समुद्री देश के रूप में, भारत के बंदरगाह न केवल अपने देश को सशक्त बनाएंगे बल्कि इस क्षेत्र को स्थायी रसद की ओर ले जाने के लिए पूर्वी और पश्चिमी व्यापार मार्गों पर अपनी रणनीतिक स्थिति का भी लाभ उठाएंगे।
लंबी दूरी के हाइड्रोजन परिवहन से जुड़ी रसद और तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह मिशन क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल अपनाता है। यह दृष्टिकोण प्रारंभिक चरण की परियोजना व्यवहार्यता को बढ़ाता है, बुनियादी ढाँचे के अभिसरण को सक्षम बनाता है, और चिन्हित क्षेत्रों में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने में सहायता करता है।
27 जून 2025 को जारी हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर (एचवीआईसी) और ग्रीन हाइड्रोजन हब स्थापित करने के लिए संशोधित योजना दिशानिर्देश, बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन गतिविधि में सक्षम संभावित क्षेत्रों की पहचान और समर्थन के लिए रूपरेखा प्रदान करते हैं। इन दिशानिर्देशों के घटक B2 के तहत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता के बिना स्थानों को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में मान्यता दे सकता है। इससे अन्य केंद्र या राज्य सरकार की योजनाओं के तहत उपलब्ध प्रोत्साहनों और लाभों तक पहुँच आसान हो जाती है।
इन प्रावधानों के अनुसार, सक्षम प्राधिकारी ने दीनदयाल, वी.ओ. चिदंबरनार और पारादीप बंदरगाह क्षेत्रों को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में मान्यता देने को मंजूरी दे दी है। इन निर्दिष्ट क्षेत्रों में स्थापित परियोजनाएँ केंद्र और राज्य सरकारों की अन्य प्रासंगिक योजनाओं और नीतियों के अंतर्गत उपलब्ध लाभों के लिए पात्र होंगी, जिनमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से जुड़ी योजनाएँ भी शामिल हैं।
इन बंदरगाहों को मान्यता मिलने से औद्योगिक भागीदारी को बढ़ावा मिलने, हरित निवेश आकर्षित होने और स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे 2070 तक ऊर्जा आत्मनिर्भरता और शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण को बल मिलेगा।
यह मान्यता सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी की गई है।
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