नीति आयोग
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नीति आयोग ने भारत के कर परिवर्तन की दिशा पर कर नीति कर नीति कार्य पत्र श्रृंखला का दूसरा दस्तावेज जारी किया जिसका शीर्षक है: डिक्रिमिनलाइजेशन एंड ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस

Posted On: 10 OCT 2025 1:07PM by PIB Delhi

साक्ष्य आधारित कर सुधारों को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए, नीति आयोग ने आज भारत के कर परिवर्तन की दिशा पर कर नीति कार्य पत्र श्रृंखला का दूसरा दस्तावेज जारी किया जिसका शीर्षक है, "टुवर्ड्स इंडिया टैक्स ट्रांसफॉर्मेशन : डिक्रिमिनलाइजेशन एंड ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस"। यह पहले जारी किए गए श्रृंखला के पहले पत्र, “भारत में विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी प्रतिष्ठान और लाभ आवंटन में सुनिश्चितता, पारदर्शिता और एकरूपता को बढ़ाना के बाद आया है।

कार्यपत्रक जारी करते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बी. वी. आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत के कर सुधार अब सरलीकरण, आधुनिकीकरण और कर प्रशासन में विश्वास के एकीकरण द्वारा चिह्नित एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "जैसे-जैसे भारत प्रवर्तन-संचालित अनुपालन से विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ रहा है, ध्यान आनुपातिक, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवर्तन तंत्रों पर केंद्रित होना चाहिए जो राजकोषीय अखंडता की रक्षा करते हुए करदाताओं को सशक्त बनाते हैं।"

इस दृष्टिकोण को दर्शाते हुए, कार्य पत्र आयकर अधिनियम, 2025 के तहत आपराधिक प्रावधानों का एक व्यापक मूल्यांकन करता है, जिसमें उनकी आवश्यकता, आनुपातिकता और सरकार के व्यापक सुधार एजेंडे को साथ लाने का मूल्यांकन किया जाता है। यह दंडों को तर्कसंगत बनाने, छोटे और प्रक्रियात्मक गैर-अनुपालन को गैर-आपराधिक बनाने और न्यायिक विवेक को मजबूत करने के लिए एक सिद्धांत-आधारित ढांचे का प्रस्ताव करता है।

पत्र इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2025 अधिनियम में कई पुराने अपराधों को हटा दिया गया है, लेकिन इसमें 13 प्रावधानों में 35 कार्यों और चूक को आपराधिक श्रेणी में बनाए रखा गया है, जिनमें से अधिकांश अनिवार्य कारावास का प्रावधान निर्धारित करते हैं। एक संरचित, न्यायशास्त्र-आधारित मूल्यांकन को लागू करते हुए, अध्ययन एक कैलिब्रेटेड डिक्रिमिनलाइजेशन रोडमैप की सिफारिश करता है, जिसमें मामूली प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास को खत्म करना, धोखाधड़ी या जानबूझकर चोरी से जुड़े मामलों में आपराधिक दंड को सीमित करना और नागरिक और प्रशासनिक दंड की भूमिका को बढ़ाना शामिल है।

नीति आयोग के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे सुधारों से मुकदमेबाजी कम होगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और एक निष्पक्ष और पूर्वानुमेय कर व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता आगे बढ़ेगी जो वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ मेल खाती है।

विमोचन कार्यक्रम में सीबीडीटी, सीबीआईसी, आईसीएआई, डीपीआईआईटी के प्रतिनिधियों और विधि लीगल लक्ष्मीकुमारन एवं श्रीधरन, डेलोइट, ईवाई तथा अन्य प्रमुख कर विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने नीति आयोग के कर नीति पर परामर्श समूह (सीजीटीपी) के साथ निकट समन्वय में काम किया है, जिसका नेतृत्व नीति आयोग के प्रतिष्ठित फेलो डॉ. पी. एस. पुनिहा और नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक श्री संजीत सिंह कर रहे हैं।

कार्यपत्र में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कर प्रशासन के मूल में निहित विश्वास से स्वैच्छिक अनुपालन मजबूत होगा, प्रवर्तन संसाधनों का अधिकतम उपयोग होगा और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, उच्च-विश्वास वाली अर्थव्यवस्था बनने के भारत के दृष्टिकोण को समर्थन मिलेगा।

नीति कर नीति कार्य पत्र श्रृंखला के अंतर्गत दूसरा पूर्ण कार्य पत्र दस्तावेज “टुवर्ड्स इंडिया टैक्स ट्रांसफॉर्मेशन : डिक्रिमिनलाइजेशन एंड ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस” यहां देखा जा सकता है: https://niti.gov.in/sites/default/files/2025-10/Report_Tax_Policy_Working_Paper_Series_II.pdf

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