सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
नई दिल्ली में ज्ञान अर्थव्यवस्था के मापन से संबंधित विचार-मंथन कार्यशाला का आयोजन
Posted On:
01 OCT 2025 4:25PM by PIB Delhi
ज्ञान अर्थव्यवस्था के मापन हेतु ढांचा विकसित करने के उद्देश्य से सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा गठित तकनीकी सलाहकार समूह (टीएजी) ने आधे दिन की एक विचार-मंथन कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 30.09.2025 को डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र में आयोजित की गई। केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, शिक्षा जगत, अनुसंधान, उद्योग और नीतिगत थिंक टैंक के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। इस कार्यशाला में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग तथा क्षमता निर्माण आयोग के सदस्य (मानव संसाधन) एवं टीएजी के अध्यक्ष डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम भी शामिल हुए। इस कार्यशाला में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस विचार-मंथन कार्यशाला में ज्ञान उत्पादों का वर्गीकरण विकसित करने और सकल घरेलू उत्पाद में इन ज्ञान उत्पादों एवं सेवाओं के योगदान को मापने के लिए संभावित मात्रात्मक संकेतकों/डेटा स्रोतों की पहचान करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय लेखा प्रभाग के अतिरिक्त महानिदेशक श्री सिद्धार्थ कुंडू ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यशाला के एजेंडे की व्याख्या की। उद्घाटन भाषण देते हुए, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा शुरू की जा रही ज्ञान अर्थव्यवस्था के मापन की प्रक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ज्ञान अर्थव्यवस्था में स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान के योगदान को समझने में आने वाली चुनौतियों पर भी जोर दिया। उन्होंने इस बात की सराहना की कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विविध समूह के साथ इस तरह की बातचीत से ज्ञान अर्थव्यवस्था को मापने का एक मजबूत ढांचा विकसित करने में मदद मिलेगी।
डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भारत के लिए एक व्यापक ज्ञान अर्थव्यवस्था उपग्रह लेखा तैयार करने की दिशा में पहला कदम उठा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के अनुरूप होगा। उन्होंने ज्ञान मदों की सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि इन ज्ञान मदों को विविध समूहों में उपयुक्त रूप से व्यवस्थित किया जा सके ताकि एक मानक वर्गीकरण तैयार हो सके। यह ज्ञान अर्थव्यवस्था को मापने की दिशा में पहला कदम होगा, जिसके बाद एक व्यापक मापन ढांचा विकसित किया जाएगा। उन्होंने इस कार्यशाला में भाग लेने वाले विशेषज्ञों को अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्र से संबंधित अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
विचार-मंथन कार्यशाला को पांच अलग-अलग सत्रों में विभाजित किया गया था। ये सत्र डिजिटल ज्ञान, पारंपरिक ज्ञान तथा अनुसंधान एवं विकास, व्यावसायिक प्रक्रियाओं में ज्ञान, रचनात्मक एवं सांस्कृतिक ज्ञान और स्वदेशी एवं सामुदायिक ज्ञान पर केन्द्रित थे। इन सत्रों के दौरान, प्रतिभागियों ने विभिन्न ज्ञान मदों के साथ-साथ समावेशन एवं बहिष्करण के मानदंडों पर भी चर्चा की। चर्चा ज्ञान के योगदान को समझने हेतु मूल्यांकन मैट्रिक्स के विस्तार पर भी केन्द्रित रही। इन सत्रों के बाद, प्रत्येक समूह द्वारा अलग-अलग सत्रों के दौरान हुए विचार-विमर्श का सारांश साझा किया गया।
विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप, विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित ज्ञान के ऐसे तत्वों की पहचान की गई जिन्हें व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर उनके महत्वपूर्ण प्रभाव के आधार पर मापन में शामिल किया जाना है। समूहों ने मौसम पूर्वानुमान, आपदा पूर्वानुमान आदि जैसे सुप्रसिद्ध तत्वों के अलावा ज्ञान के कई अन्य तत्वों की भी पहचान की। अन्य समूहों ने पारंपरिक गीतों, कानूनी निर्णयों, नृत्य, नाटक, पारंपरिक चिकित्सा आदि को ज्ञान के ऐसे तत्वों के रूप में पहचाना, जिन्हें ज्ञान अर्थव्यवस्था के समग्र मापन में शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि, इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि विचार-मंथन के दौरान पहचाने गए ज्ञान के कई तत्वों का मूल्यांकन अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
विचार-विमर्श के परिणामों के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय टीएजी के मार्गदर्शन एवं निगरानी में ज्ञान अर्थव्यवस्था को मापने के लिए अनुसंधान संगठनों से विशिष्ट अध्ययन कराएगा तथा प्रतिभागियों से यह आग्रह किया गया कि वे ज्ञान अर्थव्यवस्था के मापन से संबंधित अपने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि का योगदान करते रहें।



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