स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन 2025 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने और समावेशी खाद्य सुरक्षा ढाँचा तैयार करने संयुक्त संकल्प के साथ संपन्न हुआ


‘भोजन महज़ ईंधन नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आधार है’: श्री प्रतापराव जाधव

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने 3 लाख से ज़्यादा स्ट्रीट फ़ूड विक्रेताओं को प्रशिक्षण देने के लिए एफएसएसएआई की सराहना की

Posted On: 27 SEP 2025 8:31PM by PIB Delhi

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन (जीएफआरएस) 2025, नई दिल्ली के भारत मंडपम में माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ।

इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन ने खाद्य सुरक्षा एवं विनियमन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, नीतिगत संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य किया, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियामक, नीति निर्माता, उद्योग जगत के नेता और विशेषज्ञ एक साथ आए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि "शिखर सम्मेलन का विषय "यथा अन्नम तथा मनः" है, जिसका अर्थ है "जैसा अन्न, वैसा मन"। यह हमारे द्वारा ग्रहण किए जाने वाले भोजन और हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बीच के गहरे रिश्ते को खूबसूरती से दर्शाता है। यह शाश्वत सिद्धांत हमें याद दिलाता है कि भोजन केवल हमारे शरीर के लिए ईंधन नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ मन और सचेत जीवन का आधार है।"

उन्होंने वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा और जन स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार की बदलावकारी भूमिका पर भी प्रकाश डाला, साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा मानकों में तालमेल बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया और वैश्विक खाद्य नियामक निकायों से उभरती चुनौतियों का मिलकर समाधान करने का आग्रह किया।

माननीय राज्य मंत्री ने भारत के खाद्य सुरक्षा व्यवस्था तंत्र को मज़बूत करने, खासकर व्यापक क्षमता निर्माण और ज़मीनी स्तर की पहलों के ज़रिए, एफएसएसएआई के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि एफएसएसएआई ने देश भर में तीन लाख से ज़्यादा स्ट्रीट फ़ूड विक्रेताओं को प्रशिक्षित किया है और ईट राइट स्ट्रीट फ़ूड हब सहित ईट राइट इंडिया कार्यक्रमों को एक ऐसे मॉडल के रूप में रेखांकित किया, जो दिखाता है कि पारंपरिक खाद्य पद्धतियाँ आधुनिक सुरक्षा मानकों के साथ बेहद सरलता से तालमेल में काम कर सकती हैं।

अपने समापन भाषण के दौरान श्री प्रतापराव जाधव ने 70 से अधिक देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों की भागीदारी का स्वागत किया, जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा और उचित व्यापार को बढ़ावा देने के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि, "जैव-निर्मित खाद्य पदार्थों के लिए वैश्विक नियमों में सामंजस्य स्थापित करने की ज़रुरत है और इस शिखर सम्मेलन में इस भावना को ज़ोरदार ढंग से उठाया गया है।"

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उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि "आयुर्वेद आहार विनियम" जैसे नियामक ढाँचों के ज़रिए पारंपरिक खाद्य पदार्थों को मान्यता और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इससे हमारे पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों का वैश्विक प्रणाली में सुरक्षित एकीकरण भी मुमकिन हो पाएगा।

एफएसएसएआई के सीईओ श्री रजित पुन्हानी ने चर्चा के दौरान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के अमूल्य योगदान और विशेषज्ञता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "हम सब मिलकर सशक्त, पारदर्शी और भविष्य के लिए तैयार खाद्य प्रणालियाँ बना सकते हैं, जो जन स्वास्थ्य की रक्षा करें और सीमाओं के परे विश्वास को बढ़ावा दें।"

कार्यक्रम के दूसरे दिन निगरानी और जोखिम प्रबंधन के लिए डिजिटल प्रणालियों का उपयोग, नियामकों को अगली पीढ़ी के कौशल से सशक्त बनाना, रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के ज़रिए खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना और पोषण, फिटनेस तथा उपभोक्ता जागरूकता के ज़रिए मोटापे से निपटने पर आधारित सत्रों का आयोजन हुआ। चर्चाओं में नियामकों, उद्योग जगत के नेताओं, शिक्षाविदों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के समृद्ध दृष्टिकोण भी सामने आए।

शिखर सम्मेलन के दौरान समानांतर सत्रों का भी आयोजन किया गया, जिनमें उत्तरदायी खाद्य प्रणालियों-अनुपालन और उपभोक्ता विश्वास पर सीईओ कॉन्क्लेव, समेकित खाद्य विनियमों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर राजदूतों का एक कॉन्क्लेव, खाद्य सुरक्षा संस्कृति को मज़बूत करने पर एमएसएमई और स्टार्टअप्स के साथ एक गोलमेज वार्ता, साथ ही द्विपक्षीय और नेटवर्किंग कार्यक्रम शामिल थे। इस कार्यक्रम में खाद्य सुरक्षा, जोखिम मूल्यांकन, कोडेक्स और विश्व स्वास्थ्य संगठन के ढाँचों पर विशेष एफएसएसएआई-डब्ल्यूएचओ मास्टरक्लास कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिससे तकनीकी आदान-प्रदान में और बेहतरी देखने को मिली।

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इस अवसर पर एफएसएसएआई के कार्यकारी निदेशक श्री यू.एस. ध्यानी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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पीके/केसी/एनएस


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