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गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के 21वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया


आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तुत दूरदर्शी 10-सूत्री एजेंडा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सरकार आपदाओं के दौरान शून्य हताहत होने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है

एनडीएमए देश को आपदा-रोधी और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है

एनडीएमए ने अपने 21वें स्थापना दिवस के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विशेष ध्यान केंद्रित किया

Posted On: 26 SEP 2025 7:42PM by PIB Delhi

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय आज नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के 21वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। इस वर्ष के स्थापना दिवस का विषय “जोखिम न्यूनीकरण हेतु प्रौद्योगिकी – एक सुरक्षित राष्ट्र के लिए” निर्धारित किया गया, जिसमें आपदा तैयारी, त्वरित प्रतिक्रिया और लचीलापन निर्माण में उभरती प्रौद्योगिकियों की अहम भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।

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अपने उद्घाटन भाषण में श्री नित्यानंद राय ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में प्रस्तुत आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) के लिए दूरदर्शी 10-सूत्री एजेंडे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एजेंडा न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आपदा-प्रतिरोधी और लचीले समुदायों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है। श्री राय ने उल्लेख किया कि इस एजेंडे को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन रणनीतियों में समाहित कर भारत ने आपदा तैयारी, प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण के विभिन्न आयामों पर उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।

वर्तमान में देशभर में एक लाख से अधिक प्रशिक्षित ‘आपदा मित्र’ (आपदा स्वयंसेवक) सक्रिय हैं। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं हैं, जिन्हें गर्वपूर्वक ‘आपदा सखी’ कहा जाता है। इसके साथ ही, युवा आपदा मित्र योजना के तहत एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र संगठन और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स जैसे प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों से ढाई लाख अतिरिक्त युवा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किए जाने की प्रक्रिया जारी है, ताकि देश में आपदा प्रतिक्रिया और जोखिम न्यूनीकरण की क्षमता को और अधिक व्यापक बनाया जा सके।

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आपदा प्रतिक्रिया और प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के क्षेत्र में भारत आज एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित हुआ है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में सरकार आपदाओं के दौरान शून्य हताहत होने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में निरंतर कार्यरत है। श्री राय ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि पूर्व चेतावनी प्रणाली का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक समय पर पहुंचाना आपदा जोखिम न्यूनीकरण की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और इसी दिशा में सरकार ठोस कदम उठा रही है।

गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने 21वीं सदी के लचीले भारत के विजन का भी उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह दृष्टिकोण केवल आपदाओं से बचाव तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें गहराई से समझने, उनसे सबक लेने और चुनौतियों को अवसरों में बदलते हुए लचीलापन विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।

आपदाओं से न तो डरना चाहिए और न ही उनसे घबराना चाहिए बल्कि उनका गहन अध्ययन तथा समझना आवश्यक है, ताकि उन्हें तैयारी, नवाचार और सतत् विकास के लिए एक प्रभावी उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जा सके।

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इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री ने देश भर में आपदा तैयारी और शमन को मजबूत करने के लिए तैयार किए गए प्रमुख ज्ञान उत्पादों, दिशानिर्देशों और रिपोर्टों की एक श्रृंखला जारी की। इस अवसर पर कई महत्त्वपूर्ण प्रकाशन और रिपोर्ट जारी की गईं, जिनमें शामिल हैं: (i) आपदा प्रबंधन में ड्रोन/यूएवी के अनुप्रयोग के लिए दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएँ , (ii) आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एसडीएमए को मजबूत करना (iv) एनडीएमए केस स्टडीज संग्रह , (v) बिजली सुरक्षा पर शमन परियोजना के राष्ट्रीय अभियान घटक पर रिपोर्ट , (vi) लिटिल चाणक्य और आपदा से बचाव कॉमिक श्रृंखला - आपदा सुपर हीरो , आपदा से जंग , और आपदा से बचाव , (vii) शीतलन केंद्रों के लिए दिशानिर्देश , (viii) दिल्ली हीट एक्शन प्लान 2025 - कार्यान्वयन रिपोर्ट , और (ix) टर्निंग डाउन द हीट: भारतीय शहरों में कूल रूफ को अपनाने में तेजी लाने के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका (आरएमआई के सहयोग से विकसित)।

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इसके अतिरिक्त, डिजिटल आपदा तैयारी और जन-सुलभ सेवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एनडीएमए और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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एक विशेष फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें एनडीएमए की दो दशक लंबी यात्रा, प्रमुख गतिविधियों और आपदा जोखिम न्यूनीकरण में हासिल की गई उपलब्धियों को संकलित और प्रदर्शित किया गया।

इसके अतिरिक्त, सदस्य एवं विभागाध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि "प्रौद्योगिकी हमारी ढाल है, लेकिन एक आपदा-प्रतिरोधी भारत केवल तकनीक से ही नहीं बनेगा। यह तभी संभव है जब सामुदायिक भागीदारी, क्षमता निर्माण और हमारी सामूहिक एकता एवं संवेदनशीलता के तत्व भी इसके साथ हों। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा व डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसी उभरती प्रौद्योगिकी आपदा प्रबंधन को और अधिक सटीक, तेज तथा प्रभावी बना रही हैं। एनडीएमए का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक तक समय पर चेतावनी पहुंचे और प्रत्येक समुदाय आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सशक्त हो।"

कार्यक्रम के दौरान आयोजित तकनीकी सत्र में क्षेत्र विशेषज्ञ, नीति निर्माता, व्यवसायी और विभिन्न हितधारक एकत्र हुए, जहां उन्होंने आपदा लचीलापन बढ़ाने और सामुदायिक सुरक्षा सशक्त बनाने में नवाचार तथा डिजिटल प्रणालियों की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया।

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इस कार्यक्रम में एनडीएमए के सदस्य, सचिव एवं अधिकारी, पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के प्रतिनिधियों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय तथा संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, निजी संस्थानों, आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य प्रमुख हितधारकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने मिलकर एक सुरक्षित, लचीला और अधिक सुदृढ़ भारत के निर्माण के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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पीके/केसी/एनके/एसएस


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