श्रम और रोजगार मंत्रालय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती श्रद्धा, सम्मान और चिंतन के साथ मनाई
Posted On:
25 SEP 2025 7:46PM by PIB Delhi
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (पीडीयूएनएएसएस) ने नई दिल्ली के जनकपुरी स्थित अपने परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती श्रद्धा, सम्मान और चिंतन के साथ मनाई।

कार्यक्रम का शुभारंभ पीडीयूएनएएसएस के निदेशक एवं अपर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (मुख्यालय) श्री कुमार रोहित द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ किया गया। इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों और नव नियुक्त सहायक भविष्य निधि आयुक्तों (एपीएफसी) के नेतृत्व में उन्मुखीकरण प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे अधिकारियों के साथ सम्मानित नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को पुष्पांजलि अर्पित करने की परंपरा को निभाया।
अपने प्रारंभिक भाषण में, श्री कुमार रोहित ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन एवं दर्शन के भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर गहन प्रभाव को रेखांकित किया और समकालीन कल्याणकारी नीतियों को आकार देने में उनके आदर्शों की प्रासंगिकता पर विशेष जोर दिया।
श्रद्धांजलि समारोह के बाद आयोजित चिंतनशील एवं सहभागी चर्चा के दौरान क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त-II श्री अंकित चन्याल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों और विचारधारा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन की आधारशिला—एकात्म मानववाद और लोक प्रशासन में इसकी निरंतर प्रासंगिकता, विशेषकर सामाजिक सुरक्षा, नैतिक शासन व समावेशी विकास के संदर्भ का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया।
श्री चन्याल ने इस अवसर पर कहा कि एकात्म मानववाद ऐसे शासन मॉडल की परिकल्पना करता है, जिसमें व्यक्ति नीतिगत निर्णयों के केंद्र में होता है—न केवल एक आर्थिक इकाई के रूप में, बल्कि यह आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक आयामों वाले समग्र प्राणी के रूप में निहित होता है। उन्होंने विकेंद्रीकरण, नैतिक नेतृत्व और समुदाय-आधारित विकास के महत्व पर विशेष जोर दिया, जो उत्तरदायी तथा सहानुभूतिपूर्ण शासन सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

स्मारक सत्र में अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रशिक्षु एपीएफसी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिन्होंने एक दार्शनिक, अर्थशास्त्री तथा राष्ट्र-निर्माता के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विरासत पर अपने विचार एवं अंतर्दृष्टि साझा की। चर्चाएं मुख्यतः उनके मानव-केंद्रित विकास दर्शन, सार्वजनिक सेवा में सहानुभूति एवं नैतिक जिम्मेदारी के महत्व और राष्ट्रीय प्रगति में आत्मनिर्भरता तथा विकेंद्रीकरण की भूमिका पर केंद्रित रहीं।
कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रचारित शाश्वत मूल्यों अर्थात सेवा, सत्यनिष्ठा एवं समावेशिता को बनाए रखने और नागरिक-केंद्रित शासन के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण के महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों में योगदान देने की सामूहिक शपथ के साथ हुआ।
इस स्मारक समारोह के माध्यम से, पीडीयूएनएएसएस ने ऐसे लोक प्रशासकों के एक कैडर को विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो न केवल पेशेवर रूप से सक्षम हों, बल्कि नैतिक रूप से दृढ़ और सामाजिक रूप से जागरूक भी हों।
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पीके/केसी/एनके/डीके
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