विधि एवं न्याय मंत्रालय
कार्रवाई के ज़रिए सेवा: सामूहिक कार्रवाई के साथ राष्ट्रव्यापी स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान में विधि कार्य विभाग शामिल हुआ
Posted On:
25 SEP 2025 6:17PM by PIB Delhi
शास्त्री भवन के ऊपर से सुबह का सूरज की किरणें ही अभी अधपकी सी ही दिखीं थीं, कि विधि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी दस्ताने और मास्क पहने और झाड़ू व पानी के डिब्बे उठाते दिखने लगे। मुख्य सचिवालय का परिसर, जो कानूनी विचार-विमर्श और कागजी कार्रवाई का केंद्र था, एक घंटे के लिए सामूहिक कार्रवाई, ऊर्जा और सेवा का केंद्र बन गया।

स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान, "एक दिन, एक घंटा, एक साथ: स्वैच्छिक श्रमदान" के एक हिस्से के रूप में, केंद्रीय विधि सचिव डॉ. अंजू राठी राणा की अगुआई में विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्यालयों से बाहर निकले और सार्वजनिक स्थानों की सफाई, जागरूकता अभियान चलाने और स्थायी स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक घंटे की स्वैच्छिक सेवा देने के लिए एक साथ आए।
यह महज़ धूल झाड़ने या मलबा उठाने का काम नहीं था। यह उन छिपे हुए स्थानों और कोनों को दोबारा काम के योग्य बनाने और उन जगहों को चमकाने के बारे में था, जो अक्सर साफ़-सुथरी दिखती हैं, लेकिन अपने भीतर कचरे को छिपाए रखती हैं। ये कदम उन कचरा स्थलों की ज़िम्मेदारी लेने के बारे में भी था, जिन्हें नज़रअंदाज़ करना आसान है, लेकिन साफ़ करना सबसे मुश्किल। इस पूरे नज़ारे में प्रतीकात्मक ही सही, लेकिन कुछ गहरे संदेश छिपे थे: सफ़ेद टोपी, चमकीले दस्ताने, और एक साथ काम करते हाथ। अधिकारी खरपतवार उखाड़ रहे थे, सूखे पत्ते हटा रहे थे और पौधों को पानी दे रहे थे, जबकि सफ़ाई कर्मचारी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे, पद का कोई फर्क नहीं, केवल साझा संकल्प ही यहां सर्वोपरि था।

डॉ. राणा ने इस अभियान में भाग लेते हुए कहा कि स्वच्छता केवल एक प्रतीकात्मक भाव नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह एक अनुशासन, एक मानसिकता और एक ज़िम्मेदारी है। जब लोग साथ मिलकर हाथ बढ़ाते हैं, तो उपेक्षित स्थानों की भी सूरत बदल जाती है और सेवा की भावना ज़िंदगी जीने का एक तरीका बन जाती है। स्वच्छता महज़ स्वच्छता अभियान तक सीमित नहीं है, बल्कि उन आदतों और मूल्यों पर फोकस करने के बारे में है, जो एक स्वस्थ समाज को बनाए रखते हैं। 'एक दिन, एक घंटा, एक साथ' सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को दिखाता है, जहाँ हर हाथ और हर कोशिश एक स्वच्छ और मज़बूत भारत के निर्माण में योगदान देती है।" माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से प्रेरित इस पहल का मकसद, स्वच्छता और राष्ट्र निर्माण के प्रति सामूहिक ज़िम्मेदारी की भावना को मज़बूत करना है।

यह प्रयास केवल मुख्य सचिवालय परिसर तक ही सीमित नहीं था। देश भर में, विभाग से संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालय भी इस अभियान में शामिल हुए। केंद्रीय एजेंसी अनुभाग ने भी भारतीय विधि संस्थान के बाहर एक अभियान चलाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अधिकारी और अधिवक्ता शामिल हुए। भारतीय विधि आयोग ने एक सामुदायिक सफाई कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें 15 से अधिक प्रतिभागियों ने करीब 20 बोरी कचरा हटाया। भारतीय विधि संस्थान, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (आईआईएसी), दिल्ली उच्च न्यायालय, तीस हजारी न्यायालय, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की देश भर की सभी 30 पीठों और बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई स्थित शाखा सचिवालयों के अधिकारियों ने भी देश के अपने-अपने हिस्सों में, मंदिर परिसरों से लेकर नागरिक स्थानों तक, दफ्तरों के गलियारों से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक, सफाई अभियान चलाया और यह साबित किया कि स्वच्छता एक साझा कर्तव्य है, चाहे वह कोई भी स्थान हो।

अभियान के अंत तक, कूड़ेदान भर चुके थे, रास्ते साफ़ दिखने लगे, और हरियाली को एक नया रुप दिया गया। लेकिन, असली उपलब्धि जो दिखाई नहीं दे रही थी, उससे कहीं आगे थी, एक समुदाय के एकजुट होते हुए यह याद रखना कि राष्ट्र निर्माण, ज़िम्मेदारी के छोटे-छोटे कार्यों से शुरू होता है, जिन्हें हर रोज़ दोहराया जाता है।
इस आयोजन ने "स्वच्छता ही सेवा" के मूल संदेश को भी एक बार फिर दोहराया कि सच्ची सेवा पर्यावरण के प्रति कर्म, अनुशासन और ज़िम्मेदारी में ही निहित है। विधि कार्य विभाग "स्वच्छ भारत - विकसित भारत" (स्वच्छ भारत - विकसित भारत) के राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्य सचिवालय में 24 सितंबर को एक स्वच्छता शपथ समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें स्वच्छता को जीवन का एक तरीका मानने की उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान किया गया। हमारे घरों में रोज़मर्रा की स्वच्छता के गुमनाम नायक, सफाई मित्रों को उनकी अमूल्य सेवा के लिए सम्मानित भी किया गया। इस दिन एक निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने विचार लिखे।

17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाने वाला यह अभियान पूरे देश में स्वच्छता और सफाई पर गहन गतिविधियों के एक पखवाड़े का प्रतीक है। इसका समापन स्वच्छ भारत दिवस (2 अक्टूबर - गांधी जयंती) के मौके पर होगा, जिसमें महात्मा गांधी के स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत की विचारधारा को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

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पीके/केसी/एनएस/एसएस
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