जल शक्ति मंत्रालय
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केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने ‘सजलम भारत शिखर सम्मेलन’ के अंतर्गत “कुशल जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी” विषय पर वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की


कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और एनआरएससी हैदराबाद के राज्यों ने "कुशल जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी" पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। साथ ही लेह से लेकर तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा के दूरदराज के गांवों तक के पांच जमीनी स्तर के ग्राम पंचायत और जल उपयोगकर्ता संघ के सदस्यों ने भी अपनी बात रखी

Posted On: 24 SEP 2025 7:28PM by PIB Delhi

केंद्रीय जल आयोग (जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग), जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत, ने कुशल जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकीविषय पर एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। यह आयोजन सुजलम भारतशिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में हुआ, जिसका उद्देश्य देशभर से जमीनी अनुभव और सुझाव लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर की नीतियों को अधिक प्रभावी बनाना है। यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उस दृष्टि के अनुरूप है जिसमें जमीनी स्तर के विचारों को राष्ट्रीय नीति निर्माण में शामिल करने पर बल दिया गया है।

 

 

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सुजलम भारत शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में, जल शक्ति मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग, (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर), ने "कुशल जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी" विषय पर एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। आज आयोजित कार्यशाला में चुनिंदा राज्यों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं जैसे कि लेह से लेकर तमिलनाडु तक और अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा के दूरदराज के गांवों से ग्राम पंचायत और जल उपयोगकर्ता संघ के सदस्यों, साथ ही एनआरएससी, हैदराबाद जैसे संगठनों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं।

कार्यशाला की अध्यक्षता सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष श्री अतुल जैन ने की, जिसमें प्रमुख वक्ताओं में श्री योगेश पैठणकर, सदस्य (डब्ल्यूपी एंड पी), सीडब्ल्यूसी, और सुश्री अर्चना वर्मा, एएस और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) शामिल थे और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य नोडल अधिकारी, क्षेत्र के विशेषज्ञ और जल प्रबंधन से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

अपने उद्घाटन भाषण में श्रीमती अर्चना वर्मा, एएसएमडी-एनडब्ल्यूएम ने बैठक का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नीतियों को आकार देने हेतु जमीनी स्तर पर सुझाव प्राप्त करने हेतु माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में छह क्षेत्रीय विषयगत सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कुशल जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उनके कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों का योगदान आवश्यक है।

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श्री योगेश पैठणकर, सदस्य (जल आपूर्ति एवं जल आपूर्ति), केन्द्रीय जल आयोग ने अपने संदर्भ प्रस्तुतिकरण में मीठे जल संसाधनों पर दबाव कम करने हेतु जल मांग प्रबंधन हेतु कार्यान्वयन रणनीतियों पर प्रकाश डाला।कार्यशाला में कुशल जल प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों के प्रचार और स्केलिंग पर ध्यान केंद्रित करके इस प्रमुख रणनीति पर चर्चा की गई। इस विषय के प्रमुख पहलुओं में शामिल थे:

कृषि दक्षता: नहर और भूजल-सिंचित क्षेत्रों में सूक्ष्म-सिंचाई प्रणालियों जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ाना, और खेत में जल दक्षता में सुधार करना। सीडब्ल्यूसी जलवायु लचीलापन के लिए सटीक कृषि को भी बढ़ावा दे रहा है और सूखा-प्रतिरोधी और कम जल-गहन फसलों की ओर फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित कर रहा है।

आधुनिकीकरण और स्वचालन: सीडब्ल्यूसी तृतीयक नहर वितरण प्रणालियों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दे रहा है और जल प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। इसमें जल संसाधन योजना, संवहन दक्षता बढ़ाने, वितरण को अनुकूलित करने, लीक का पता लगाने और कृषि, घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की मात्रा और गुणवत्ता की निगरानी करने में अनुप्रयोग शामिल हैं।

जल संरक्षण और लेखांकन: इस विषय में घरों और उद्योगों के लिए जल-कुशल उपकरणों को बढ़ावा देना, थोक जल आपूर्ति की निगरानी करना और गैर-लाभकारी जल नुकसान को कम करना भी शामिल है। एक प्रमुख ध्यान जल आवंटन और कृषि में मिट्टी की नमी (हरे पानी) के संरक्षण पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए जल लेखांकन पर है।

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कार्यशाला में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और एनआरएससी हैदराबाद से विस्तृत प्रस्तुतियाँ दी गईं। प्रस्तुति में अभिनव मॉडल और समुदाय-नेतृत्व वाले दृष्टिकोणों को प्रदर्शित किया गया। ये जल प्रबंधन के लिए कुशल प्रौद्योगिकियों से लेकर पंचायत-नेतृत्व वाली पहलों तक थे, जो देश भर में विविध अनुभवों को दर्शाते हैं।

अपने समापन भाषण में, केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष श्री अतुल जैन ने कहा कि जल प्रबंधन केवल बुनियादी ढांचा या उपकरण लगाने तक सीमित नहीं है। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य पूरे राष्ट्र के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

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पीके/केसी/केजे/डीए


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