भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
azadi ka amrit mahotsav

मुख्य विज्ञान सलाहकारों के गोलमेज सम्मेलन (सीएसएआर) का 2025 संस्करण "समावेशी मानव विकास और वैश्विक स्थिरता के लिए समानता-आधारित विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार" पर आउटकम दस्तावेज को सफलतापूर्वक अपनाने के साथ हुआ संपन्न

Posted On: 22 SEP 2025 9:04PM by PIB Delhi

"समावेशी मानव विकास और वैश्विक स्थिरता के लिए समता-आधारित विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार" पर केंद्रित मुख्य विज्ञान सलाहकारों के गोलमेज सम्मेलन (सीएसएआर) का 2025 संस्करण, दक्षिण अफ्रीका की जी20 अध्यक्षता में 21 सितंबर 2025 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया जाएगा। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार विभाग (डीएसटीआई) ने अपनी संस्था, राष्ट्रीय नवाचार सलाहकार परिषद (एनएसीआई) के सहयोग से जी20-सीएसएआर 2025 की मेजबानी की। इस पहल की संकल्पना 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान की गई थी, जिसका नेतृत्व भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (ओपीएसए) के कार्यालय ने किया था। व्यापक दायरे और भागीदारी के साथ सीएसएआर के 2024 संस्करण की मेजबानी ओपीएसए और यूनेस्को ने संयुक्त रूप से पेरिस, फ्रांस में की थी।

जी20-सीएसएआर समावेशी वैश्विक विज्ञान सलाह के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत चुनौतियों का समाधान करने हेतु चर्चा और साझा ढांचे तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो. अजय कुमार सूद, वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और मुख्य नीति सलाहकार डॉ. बी. छगुन बाशा, जी20 सदस्य और अतिथि देशों के मुख्य विज्ञान सलाहकारों और उनके नामित समकक्षों के साथ शामिल हुए। इस गोलमेज सम्मेलन में तीन प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा की गई:

  1. एसडीजी के कार्यान्वयन का समर्थन करने और एक न्यायसंगत, समतापूर्ण और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन को सक्षम करने के लिए एक वैश्विक एसटीआई एजेंडा का विकास और संवर्धन।
  2. एक ऐसी वैश्विक ज्ञान प्रणाली की ओर अग्रसर होना जो सभी के लिए समतापूर्ण और खुली हो।
  3. अफ्रीका और विकासशील देशों में एसटीआई क्षमता निर्माण पहलों को मजबूत करने के लिए जी20 एसटीआई पहलों का लाभ उठाना।

गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता एनएसीआई की कार्यकारी सीईओ सुश्री एनेलिन मॉर्गन ने की। डीएसटीआई, दक्षिण अफ्रीका के डायरेक्टर-जनरल डॉ. मलुंगिसि सेले; एनएसीआई के चेयरपर्सन श्री टिलसन मान्योनी ने विशेष भाषण दिए; और डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन एंड कोऑपरेशन (डीआईआरसीओ) के डिप्टी डायरेक्टर और जी20 सूस शेरपा, दक्षिण अफ्रीका की ओर से महामहिम राजदूत मैल्कमसन ने भाषण दिया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हस्तक्षेप के हिस्से के रूप में, प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख प्रो. अजय सूद ने सीएसएआर पहल को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीकी जी20 प्रेसीडेंसी को बधाई दी। समानता और स्थिरता पर चर्चा करते हुए, प्रो. सूद ने कम्प्यूटेशनल की ताकत और डेटा प्रतिनिधित्व के संदर्भ में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा उजागर किए गए विभाजन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “एआई विकास कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है, जिससे एक सीमित डेटासेट के चलते उत्पन्न प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के संदर्भ में असंतुलन पैदा हो रहा है। एआई असमानताएं ऊर्जा संक्रमण और समानता से भी निकटता से जुड़ी हुई हैं। इन विभाजनों को पाटने के लिए ऐसे सहयोगी ढांचों की आवश्यकता है जो एआई और सामान्य रूप से अन्य ज्ञान संसाधनों तक पहुंच को सभी के लिए एक समान बनाएं।” उन्होंने भारत के वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ओएनओएस), भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग सुविधाओं का मानचित्र (आई-एसटीईएम), रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (रूटेज) और रूटेज स्मार्ट विलेज सेंटर (आरएसवीसी) को क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और एसटीआई में एक समावेशी वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए अनुकरणीय और मापनीय पहल के रूप में उद्धृत किया।

डॉ. मैनी ने कहा, "प्रौद्योगिकी-आधारित क्षमता विकास और समाज के सबसे निचले तबके के लोगों के लिए समावेशी प्रगति आवश्यक है। इस प्रगति को ज्ञान संसाधनों तक समान पहुंच के माध्यम से सुगम बनाया जाना चाहिए, साथ ही विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में डिजिटल विभाजन को दूर किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों का फायदा सभी को मिले।" अंतिम परिणाम से जुड़ा वक्तव्य देने की प्रक्रिया में, डॉ. मैनी ने सीएसएआर पहल को व्यक्तिगत अध्यक्षता से आगे भी निरंतर जारी रखने पर जोर दिया और सदस्य देशों को परिणाम वक्तव्य (आउटकम स्टेटमेंट) को एक जीवंत दस्तावेज बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जो वास्तविक प्रभाव उत्पन्न करे।

विचार-विमर्श के बाद, जी20-सीएसएआर 2025 के परिणाम वक्तव्य को सामूहिक रूप से अपनाया गया।

वक्तव्य में, विशेष रूप से अफ्रीका और विकासशील देशों में, ग्रह संकट, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, प्रदूषण, ऊर्जा पहुंच, सुरक्षा और परिवर्तन सहित सामाजिक चुनौतियों पर केंद्रित मानव-केंद्रित पहलों का समर्थन करने के लिए वैश्विक एसटीआई साझेदारी के अवसरों का लाभ उठाने की सिफारिश की गई। अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पहुंच में असमानताओं को दूर करने के साथ-साथ पारस्परिक रूप से सहमति वाली शर्तों पर ज्ञान साझाकरण और प्रसार हेतु साझेदारी को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एसटीआई सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया। बैठक में जी20 और विकासशील देशों के बीच एसटीआई क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग के लिए उपयुक्त संसाधन जुटाने और ऐसे खुले, सहयोगात्मक अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया जो वैज्ञानिक अखंडता, स्वतंत्रता और विज्ञान एवं साक्ष्य-आधारित नीति में जनता का विश्वास सुनिश्चित करते हैं।

जी20 सीएसएआर 2025 में अफ्रीकन यूनियन, कनाडा, चीन, यूरोपियन कमीशन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर और स्पेन सहित सदस्य और अतिथि देश शामिल हुए। यूनेस्को ने आधिकारिक ज्ञान भागीदार (नॉलेज पार्टनर) के रूप में भाग लिया।

खुला ज्ञान-साझाकरण सत्र:

सीएसएआर 2025 के बंद सत्र के बाद, पीएसए प्रो. सूद ने जी20-सीएसएआर के खुले ज्ञान-साझाकरण सत्र के दौरान, "अफ्रीका और विकासशील देशों के लिए एक एसटीआई सलाह मंच और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की ओर" विषय पर एक पैनल चर्चा में भी भाग लिया। वे अफ्रीकन यूनियन डेवलपमेंट एजेंसी- नेपाड के सीनियर एसटीआई एवाइजर डॉ. ब्रैंडो ओकोलो; आईएनजीएसए अफ्रीका चैप्टर के रीजनल प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. रिचर्ड ग्लोवर; नेटवर्क ऑफ अफ्रीकन साइंस अकादमियों के एग्जीक्टिव डायरेक्टर डॉ. जैकी काडो; व्यजोव फाउंडेशन में विज्ञान विभाग की प्रमुख और फैसिलिटेटर सुश्री मारिया मतवेवा: एकेडमी ऑफ साइंसेज साउथ अफ्रीका काउंसिल के प्रेसिडेंट और चेयरपर्सन प्रोफेसर थोकोजानी माजोजी के साथ विचार-विमर्श के इस पैनल में शामिल हुए। इस बातचीत में वैश्विक स्तर पर एसटीआई सलाहकार प्रणालियों को मजबूत करने के लिए संस्थागत मॉडल और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई।

पैनलिस्टों ने कार्यान्वयन की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया, क्षमता निर्माण की रणनीतियों को साझा किया और विज्ञान संबंधी सलाह में समावेशिता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के तरीकों पर प्रकाश डाला। इस बातचीत में वैश्विक स्तर पर एसटीआई सलाहकार प्रणालियों को मजबूत करने के लिए संस्थागत मॉडलों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई।

यूनेस्को मैनेजमेंट ऑफ सोशल ट्रांसफॉर्मेशन (एमओएसटी) फोरम 2025

22 सितंबर 2025 को, सीएसएआर की कार्यवाही के बाद, प्रो. सूद मैनेजमेंट ऑफ सोशल ट्रांसफॉर्मेशन (एमओएसटी) फोरम 2025 के दौरान मंत्रिस्तरीय पैनल – ‘सामाजिक प्रभाव और सार्वजनिक नीति के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ में विचार-विमर्श में शामिल हुए। एमओएसटी फोरम विज्ञान, नीति और सामाजिक परिवर्तन के संगम पर समाधान-केंद्रित बहस के लिए यूनेस्को का वैश्विक मंच है। इस वर्ष के संस्करण का विषय 'एकजुटता, समानता और स्थिरता के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार' था।

प्रो. सूद कनाडा की चीफ साइंस एडवाइजर डॉ. मोना नेमर; दक्षिण अफ्रीका के डीएसटीआई के डायरेक्टर जनरल डॉ. मलुंगिसी सेले; डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन (ईएसटीआई), अफ्रीकन यूनियन के डायरेक्टर डॉ. मादौगौ सैदौ; डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन, ओईसीडी में डायरेक्टर डॉ. जेरी शीहान और सोशल पॉलिसीज, सोशल एंड ह्यूमन साइंसेज, यूनेस्को के डायरेक्टर मॉडरेटर डॉ. गुस्तावो मेरिनो के साथ शामिल हुए।

चर्चा समानता और अवसरों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एआई के उपयोग पर केंद्रित थी, जिसमें पैनलिस्टों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से उदाहरण और सर्वोत्तम तौर-तरीके साझा किए। चर्चा के दौरान, प्रो. सूद ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एआई को समावेशी सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में देखता है और इसका दृष्टिकोण इस सिद्धांत पर आधारित है कि प्रौद्योगिकी मानवता की सेवा करे।

प्रो. सूद ने भारत एआई मिशन के विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की और एआई शासन पर उपसमिति की रिपोर्ट की सिफारिशों पर बात की। उन्होंने फरवरी 2026 में होने वाले आगामी भारत एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन का उल्लेख सहयोग के एक ऐसे मंच के रूप में किया जहां देश अनुभव साझा कर सकते हैं और सहयोगात्मक समाधान विकसित कर सकते हैं।

द्विपक्षीय बैठकें

सीएसएआर 2025 के अवसर पर, पीएसए प्रो. सूद और वैज्ञानिक सचिव डॉ. मैनी ने प्रमुख साझेदार देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। यूके की प्रो. डेम एंजेला मैकलीन और प्रो. सर जॉन एडमंड्स के साथ उनकी चर्चा भारत-यूके प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल और व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने ओपीएसए द्वारा आयोजित आगामी इंटरनेशनल एसएंडटी क्लस्टर्स मीट पर भी चर्चा की, जिसका उद्देश्य आठ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समूहों में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रो. एंटोनियो ज़ोकोली के नेतृत्व में इटली के प्रतिनिधिमंडल के साथ, सुपरकंप्यूटिंग, बिग डेटा और क्वांटम प्रौद्योगिकियों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया, जिसमें संयुक्त अनुसंधान, एआई सहयोग, क्षमता निर्माण और औद्योगिक साझेदारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ के ज्वाइंट रिसर्च सेंटर (जेआरसी) की डॉ. सबाइन हेन्ज़लर और डॉ. लिलियाना के साथ बैठकों में भारत-यूरोपीय संघ प्रौद्योगिकी और व्यापार परिषद (टीटीसी) और भारत-यूरोपीय संघ एसटीआई साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

****

पीके/केसी/एमपी


(Release ID: 2169905) Visitor Counter : 3
Read this release in: Urdu , English , Gujarati