कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विशाखापत्तनम में ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया, राज्यों और केंद्र के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का सुझाव दिया
डॉ. सिंह ने 28वें ई-गवर्नेंस सम्मेलन में सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रदर्शन, राज्यों की सफलता की कहानियों की प्रशंसा की
2014 से शासन सुधार पारदर्शिता, जीवन जीने की सुगमता को बढ़ावा दे रहे हैं: जितेंद्र सिंह
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार 2025 प्रदान किए गए; 1.44 लाख नामांकन के साथ ग्राम पंचायतें सबसे आगे
Posted On:
22 SEP 2025 5:56PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि ई-गवर्नेंस (एनसीईजी) पर 28वां राष्ट्रीय सम्मेलन राज्यों और केंद्र के लिए शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने का एक मंच है, जिससे देश भर में सफल मॉडलों को दोहराने में मदद मिलती है।
केंद्रीय मंत्री ने आंध्र प्रदेश सरकार की नागरिक-केंद्रित नवाचारों के लिए प्रशंसा की - जिसमें वास्तविक समय शासन से लेकर डिजिटल सेवा वितरण तक शामिल हैं – और याद दिलाया कि कैसे दशकों पहले राज्य में पहली बार आजमाई गई प्रथाएं, जैसे कि नागरिक सेवाओं की आउटसोर्सिंग, बाद में देश के अन्य हिस्सों में अपनाई गयी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अन्य राज्यों और केंद्र की सफलता की कहानियों का भी हवाला दिया, जिनमें सीपीजीआरएएमएस के माध्यम से डिजिटल शिकायत निवारण का विस्तार और ई-ऑफिस प्रणालियों को अपनाना शामिल है, जिन्होंने सामूहिक रूप से नागरिकों के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और जीवन जीने की सुगमता को बढ़ाया है।
मंत्री महोदय ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, नारा चंद्रबाबू नायडू का विशाखापत्तनम में सम्मेलन के आयोजन में सहयोग के लिए का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह स्थान उपयुक्त था, क्योंकि राज्य में शासन सुधारों की परंपरा रही है। उन्होंने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश देश की विकास गाथा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिसमें अमरावती में क्वांटम डेटा सेंटर और श्रीहरिकोटा में एक अतिरिक्त अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र जैसी आगामी परियोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का विषय, "विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन", केवल एक आकांक्षा नहीं, बल्कि 2047 की दिशा में भारत की यात्रा के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत को दर्शाता है।
पिछले एक दशक में शासन सुधारों की समीक्षा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 1,600 से अधिक अप्रचलित नियमों को निरस्त कर दिया गया है, दस्तावेजों के अनिवार्य सत्यापन जैसी पुरानी प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया है तथा रिश्वतखोरी के दोनों पक्षों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन किए गए हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि सीपीजीआरएएमएस, जिसे अब विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, 95 प्रतिशत की निपटान दर के साथ सालाना 26 लाख से ज़्यादा शिकायतों का निवारण करने में सक्षम हो गया है, जबकि ई-ऑफिस ने केंद्रीय सचिवालय में 95 प्रतिशत से ज़्यादा फाइलों को डिजिटल रूप से संसाधित करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने आगे कहा कि स्वच्छता अभियान, जो अब अपने चौथे वर्ष में है, ने न केवल कार्यस्थल की दक्षता में सुधार किया है, बल्कि कबाड़ के निपटान के माध्यम से महत्वपूर्ण राजस्व भी अर्जित किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मिशन कर्मयोगी जैसे सुधारों ने सिविल सेवा प्रशिक्षण को नियम-आधारित दृष्टिकोण से भूमिका-आधारित दृष्टिकोण में बदल दिया है, जिससे अधिकारी गतिशील शासन चुनौतियों के लिए तैयार हो रहे हैं। 88 लाख से ज़्यादा अधिकारी पहले ही iGOT प्लेटफ़ॉर्म पर अपने कौशल को उन्नत कर चुके हैं। उन्होंने चेहरा पहचान के ज़रिए डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जैसे नवाचारों पर भी प्रकाश डाला, जिससे लाखों वरिष्ठ नागरिकों के लिए पेंशन तक पहुंच आसान हुई है और सहायक सचिव कार्यक्रम, जिसने युवा सिविल सेवकों को केंद्र में नीति-निर्माण का प्रारंभिक अनुभव प्रदान किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि हाल के वर्षों में ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म का काफी विस्तार हुआ है, जिससे फाइलों की आवाजाही कम होने और निर्णय लेने में अधिक कुशलता आने से केंद्रीय सचिवालय अधिक सुव्यवस्थित और तेज हुआ है। उन्होंने कहा कि सीपीजीआरएएमएस विश्व की अग्रणी शिकायत निवारण प्रणालियों में से एक के रूप में उभरा है और यहां तक कि संभावित प्रतिकृति के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। नागरिक सेवाओं के बारे में उन्होंने कहा कि 'प्रशासन गांव की ओर' अभियान और स्वच्छता पर विशेष अभियान जैसी पहलों ने सरकारी कार्यालयों में सेवा वितरण को मजबूत करने और दक्षता में सुधार करने में मदद की है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए उन्होंने जीवन प्रमाण पहल की सफलता पर प्रकाश डाला, जिसने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के माध्यम से पेंशन तक पहुंच को सरल बना दिया है। उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी ने पहले ही बड़ी संख्या में अधिकारियों को आईजीओटी प्लेटफॉर्म पर क्यूरेटेड पाठ्यक्रम करने में सक्षम बनाया है, जिससे एक अधिक कुशल और उत्तरदायी सिविल सेवा का निर्माण हुआ है।
भविष्य की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी प्रौद्योगिकियां भारत के शासन परिदृश्य को तेज़ी से आकार देंगी—एआई पूर्वानुमानित प्रशासन को सक्षम बनाएगी, ब्लॉकचेन पारदर्शिता के माध्यम से भ्रष्टाचार को कम करेगा, और आईओटी सेवा वितरण को मज़बूत करेगा। साथ ही, उन्होंने "प्रत्येक कार्य को डिजिटल करने, लेकिन प्रत्येक सेवा को मानवीय बनाने" के महत्व पर ज़ोर दिया, जिससे प्रौद्योगिकी को सहानुभूति और सशक्तिकरण का एक सेतु बनाया जा सके।
बाद में डॉ. जितेंद्र सिंह ने ई-गवर्नेंस 2025 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (पुरस्कार विजेताओं की सूची नीचे संलग्न है) प्रदान किए, जिसमें ग्राम पंचायतों से 1.44 लाख से अधिक नामांकनों के साथ रिकॉर्ड भागीदारी देखी गई, जो जमीनी स्तर पर डिजिटल शासन की बढ़ती पहुंच को दर्शाता है। उन्होंने नागरिक शिकायत निवारण के लिए डेटा-संचालित नवाचार पर ऑनलाइन हैकथॉन के विजेताओं को भी सम्मानित किया और 2026 पुरस्कार योजना के शुभारंभ की घोषणा की।
इससे पहले उद्घाटन सत्र के दौरान प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने कहा कि यह सम्मेलन सर्वोत्तम प्रथाओं को संस्थागत रूप देने, राज्यों के बीच सीखने और पुरस्कार विजेता नवाचारों को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। उन्होंने विज़ाग को एक आईटी हब बनाने, विकसित भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नागरिक सेवाओं का डिजिटल परिवर्तन, कृषि-स्टैक, सेवा वितरण और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर पूर्ण और ब्रेकआउट सत्रों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 180 से अधिक वक्ताओं की भागीदारी का उल्लेख किया। भारत की डिजिटल शासन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने दक्षता बढ़ाने में ई-ऑफिस की सफलता, पिछले पांच वर्षों में 1.4 करोड़ शिकायतों के समाधान में सीपीजीआरएएमएस की सफलता और देश भर में ई-सेवाओं के तेजी से विस्तार का हवाला दिया।
प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा आंध्र प्रदेश सरकार के साथ संयुक्त रूप से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में एआई, सिविल सेवा परिवर्तन, कृषि-स्टैक, सेवा वितरण और साइबर सुरक्षा पर सत्र शामिल हैं। इसका समापन विशाखापत्तनम घोषणापत्र को अपनाने के साथ होगा, जो ई-गवर्नेंस में भारत के भविष्य के लिए रोडमैप तैयार करेगा।
पुरस्कार विजेताओं का विवरण


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पीके/केसी/आईएम/एसके
(Release ID: 2169797)
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