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दिव्यांगजनों के एकीकृत पुनर्वास के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और आयुष मंत्रालय की पहल

Posted On: 18 SEP 2025 10:10PM by PIB Delhi

पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को दिव्यांगजनों के आधुनिक पुनर्वास के साथ एकीकृत करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर कई सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। ये पहल आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी से दिव्यांगजनों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं, जिनमें तंत्रिका और रक्त संबंधी विकार, श्रवण दोष, शारीरिक अक्षमता तथा अन्य विकार शामिल हैं।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव श्री राजेश अग्रवाल की अध्यक्षता में दिव्यांगजनों के लिए राष्ट्रीय कोष की 19वीं शासी निकाय बैठक के दौरान इस पहल को मंजूरी दी गईं। इन समग्र परियोजनाओं का उद्देश्य पूरे देश में दिव्यांगजनों के समावेशी कल्याण के लिए अनुसंधान में तेजी लाना और एकीकृत चिकित्सा को बढ़ावा देना है।

इन परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान (एनआईईपीआईडी) सिकंदराबाद में न्यूरोडायवर्सिटी अनुसंधान के लिए आयुष केंद्र की स्थापना : अंतःविषय अनुसंधान और क्षमता निर्माण के माध्यम से बौद्धिक अक्षमता, ऑटिज्म, एडीएचडी और संबंधित स्थितियों वाले व्यक्तियों की सहायता के लिए पारंपरिक प्रणालियों की खोज करना।

स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एसवीएनआईआरटीएआर), ओडिशा के साथ रक्त संबंधी विकारों के लिए सहयोग : थैलेसीमिया, हीमोफिलिया और सिकल सेल एनीमिया के लिए "रक्तमृत वटी" के साथ एकीकृत करना।

अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान (एवाईजेएनआईएसएचडी), मुंबई में बधिर छात्रों और उनके माता-पिता के लिए योग के लाभों का विश्लेषण।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांग्जन संस्थान (पीडीयूएनआईपीपीडी), नई दिल्ली में वृद्धों और वयस्कों के लिए योग के साथ व्यावसायिक चिकित्सा, शारीरिक, संज्ञानात्मक और कार्यात्मक परिणामों पर संयुक्त प्रभावों का अध्ययन।

पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली में घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेद और पंचकर्म : फिजियोथेरेप्यूटिक के साथ आयुर्वेदिक विधियों की तुलना।

पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली में सेरेब्रल पाल्सी के लिए आयुर्वेद, ओटी और वीआर का बच्चों के शारीरिक विकास पर प्रभावशीलता का मूल्यांकन।

मधुमेह के लिए आयुर्वेदिक हर्बल उपचार बनाम इंसुलिन

पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली में कैप्सूलाइटिस : मधुमेह रोगियों में फिजियोथेरेपी परिणामों का आकलन।

इन परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय कोष से कुल 5.26 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है  जिनका क्रियान्वयन एनआईईपीआईडी ​​(सिकंदराबाद), एसवीएनआईआरटीएआर (ओडिशा), एवाईजेएनआईएसएचडी (मुंबई) और पीडीयूएनआईपीपीडी (नई दिल्ली) जैसे प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से किया जाएगा। ये पहल नीतिगत, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और स्केलेबल मॉडल के प्रति दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, और आयुष के समर्थन के बिना भी परियोजनाओं की निरंतरता सुनिश्चित करती हैं।

यह सहयोग दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अंतर्गत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं तथा संयुक्त राष्ट्र के स्वस्थ वृद्धावस्था दशक जैसे वैश्विक ढांचे के अनुरूप है, जो भारत को दिव्यांगजनों की देखभाल के लिए समावेशी तथा सांस्कृतिक रूप से अग्रणी बनाता है।

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पीके/केसी/जेके/एसके


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