रक्षा मंत्रालय
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रक्षा मंत्री ने संयुक्त कमांडर सम्मेलन 2025 में सशस्त्र बलों को संबोधित करते हुए कहा – युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़ें और गैर पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए तैयार रहें


"यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आज के युद्धों की अवधि की अनिश्चितता के बीच हमारी वृद्धि क्षमता पर्याप्त बनी रहे"

"उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं की एकजुटता आवश्यक"

"आत्मनिर्भरता सामरिक स्वायत्तता की कुंजी है, यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, रोजगार पैदा करती है और क्षमता बढ़ाती है"

Posted On: 16 SEP 2025 4:08PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे जा कर और सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध जैसे गैर पारंपरिक खतरों से उत्पन्न अदृश्य चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्क और तैयार रहने का आह्वान किया है। 16 सितंबर, 2025 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में संयुक्त कमांडर सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने अशांत वैश्विक व्यवस्था, क्षेत्रीय अस्थिरता और उभरते सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए दुनिया भर में हो रहे परिवर्तनों और देश की सुरक्षा प्रणाली पर इसके प्रभाव के निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर दिया।

श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि युद्ध की प्रकृति लगातार विकसित हो रही है और हाल के वैश्विक संघर्षों ने “प्रौद्योगिकी-अनुकूल” सेना की प्रासंगिकता को रेखांकित किया है। उन्होंने आगे कहा, "आज के युद्ध इतने आकस्मिक और अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। यह दो महीने, एक साल या पाँच साल भी हो सकता है। हमें तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी युद्ध क्षमता पर्याप्त बनी रहे।"

भारत के रक्षा क्षेत्र को आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं का सम्मिश्रण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कमांडरों से सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना के अनुरूप सुदर्शन चक्र के निर्माण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। यह बताते हुए कि परियोजना की जांच करने और एक "यथार्थवादी कार्य योजना" तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, उन्होंने अगले पांच वर्षों के लिए एक मध्यम अवधि की योजना और अगले दस वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार करने का सुझाव दिया ताकि इस दृष्टिकोण को साकार किया जा सके।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि देश का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण, परिचालन तैयारी, तकनीकी श्रेष्ठता और विश्वसनीय प्रतिरोध के इर्द-गिर्द केंद्रित है, श्री राजनाथ ने 15 सितंबर, 2025 को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए "जय (संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार)" के मंत्र पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने भविष्य के लिए तैयार प्रौद्योगिकियों के विकास में उद्योग और शिक्षाविदों के साथ गहन जुड़ाव की वकालत की। उन्होंने निजी क्षेत्र की भूमिका को और बढ़ाने के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण की पुष्टि की जिससे एक मज़बूत रक्षा नवाचार इकोसिस्टम का निर्माण किया जा सके और घरेलू उद्योग को दुनिया में सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सके।

रक्षा मंत्री ने पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण के अनुरूप सशस्त्र बलों के साथ-साथ अन्य एजेंसियों के बीच संयुक्तता और तालमेल के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए "आवश्यक" बताया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में एकीकरण और संयुक्तता को बढ़ावा देने के लिए त्रि-सेवा लॉजिस्टिक्स नोड्स और त्रि-सेवा लॉजिस्टिक्स प्रबंधन एप्लिकेशन के निर्माण का उल्लेख किया, साथ ही अधिक नागरिक सैन्य संलयन पर दिए जा रहे ध्यान पर भी प्रकाश डाला।

"ऑपरेशन सिंदूर ने प्रदर्शित किया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता तीन स्तंभ हैं जो भारत को 21वीं सदी में आवश्यक शक्ति प्रदान करेंगे। आज, हमारे पास स्वदेशी प्लेटफार्मों और प्रणालियों की मदद से तथा हमारे सैनिकों के अदम्य साहस की मदद से, किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, "यह आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत है।" उन्होंने ऑपरेशन की योजना और क्रियान्वयन में सशस्त्र बलों के "उत्कृष्ट प्रदर्शन" और "अनुकरणीय दक्षता" की सराहना की।

आत्मनिर्भर भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता कोई नारा नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है, जो सामरिक स्वायत्तता की कुंजी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भरता के तहत रक्षा स्वदेशीकरण से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है, रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं और शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा गलियारों की क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का यह गुणक प्रभाव है।

श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा खरीद मैनुअल 2025 को अपनी मंजूरी के बारे में भी बताया जिसका उद्देश्य खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। उन्होंने कहा कि रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 को संशोधित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना, देरी को कम करना और सेनाओं को शीघ्रता से परिचालन शक्ति प्रदान करना।

सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ. नितेन चंद्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) डॉ. मयंक शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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