विद्युत मंत्रालय
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केंद्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री मनोहर लाल ने देश में विद्युत वितरण उपक्रमों की व्यवहार्यता से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए गठित मंत्रिसमूह की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की


केंद्र सरकार द्वारा विद्युत वितरण उपक्रमों के ऋण पुनर्गठन के लिए नई सुधार-आधारित योजना

नियामक आयोगों द्वारा अनिवार्य पूर्ण लागत और समय पर शुल्‍क आदेश

उपक्रमों की देयता, अंतिम देयता राज्‍य सरकार की

Posted On: 16 SEP 2025 12:50PM by PIB Delhi

केंद्रीय विद्युत तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज नई दिल्ली में विद्युत वितरण उपक्रमों की व्यवहार्यता से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए गठित मंत्रिसमूह के साथ 5वीं बैठक की अध्यक्षता की।

केंद्रीय विद्युत एवं नवीन व अक्षय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, महाराष्ट्र के अक्षय ऊर्जा मंत्री श्री अतुल सावे, उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री ए.के. शर्मा, तमिलनाडु के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री श्री एस.एस. शिवशंकर और राजस्थान के ऊर्जा राज्य मंत्री श्री हीरालाल नागर बैठक में शामिल हुए। आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री गोटीपति रवि कुमार और मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। बैठक में भारत सरकार के विद्युत सचिव, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, सदस्य राज्यों की राज्य विद्युत कम्पनियों और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

भारत सरकार के सचिव (विद्युत) ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और वितरण कम्पनियों की वित्तीय व्यवहार्यता बहाल करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया कि ये सुधार इस प्रकार संरचित हों कि इनके परिणामस्वरूप होने वाले सुधार अपरिवर्तनीय हों और ऋण जाल की स्थिति फिर से उत्पन्न न हो। उन्होंने बताया कि इसी उद्देश्य से मंत्रिसमूह का गठन किया गया है और इसका उद्देश्य आवश्यक सुधार उपायों की पहचान करना है।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय विद्युत मंत्री और सदस्य राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का स्वागत किया। मंत्री समूह की पहली चार बैठकों में हुए विचार-विमर्श का उल्लेख करते हुए, उन्होंने नियामक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अब तक हुई चर्चाओं के आधार पर प्रस्तावित हस्तक्षेपों का भी उल्लेख किया, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वितरण कम्पनियों के ऋण को कम करने और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण एवं विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति प्रदान करने हेतु उनकी दक्षता में सुधार लाने के लिए किए जाने की आवश्यकता है।

केंद्रीय विद्युत मंत्री ने अपने संबोधन में जनता को गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वितरण कंपनियों की परिचालन तथा वित्तीय स्थिति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्युत क्षेत्र के लिए व्यवहार्यता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक सुधारों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और नियामक आयोगों के सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर शीघ्र स्थापित करने पर ज़ोर दिया। माननीय मंत्री ने राज्यों से "सभी के लिए, हर समय बिजली" की प्रतिबद्धता को ऐसे तरीके से दोहराने का आग्रह किया जो कुशल, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और लागत प्रभावी हो।

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के संयुक्त सचिव (वितरण) ने अपने प्रस्तुतीकरण में वितरण कम्पनियों की निरंतर अव्यवहार्यता के प्रमुख कारणों की जानकारी दी, जो उपभोक्ताओं को अपर्याप्त सेवा प्रदान करने के रूप में सामने आती है। उन्होंने आगे बताया कि लगाई जा रही उच्च क्रॉस सब्सिडी के कारण विनिर्माण लागत महंगी हो गई है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है। वितरण कंपनियों को हो रहे मौजूदा घाटे के कारण यह क्षेत्र निजी निवेश के लिए कम आकर्षक होता जा रहा है। उन्होंने प्रस्तावित प्रमुख सुधार उपायों को प्रस्तुत किया जो अब तक हुए विचार-विमर्श और सदस्य राज्यों की विवेचना के आधार पर सामने आए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन सुधारों को इस प्रकार डिज़ाइन किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में होने वाले सुधार अपरिवर्तनीय रहें।

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक पर एक प्रस्तुति भी दी, जो उपयोगिताओं की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार लाने, जीवन और कारोबार को आसान बनाने, ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने, नियामक ढांचे को मजबूत करने और वितरण नेटवर्क उपयोगिता को इष्‍टतम बनाने के लिए एक सुगम माहौल पैदा कर सकता है।

बैठक के दौरान इस बात पर विचार-विमर्श किया गया कि नियामक आयोगों को पूर्ण लागत शुल्‍क जारी करना चाहिए, और राज्य सरकारें आवश्यकता पड़ने पर सब्सिडी प्रदान कर सकती हैं। इस बात पर भी विचार-विमर्श किया गया कि मुद्दों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने और प्रेरित मुकदमेबाजी को हतोत्साहित करने के लिए, मध्यस्थता तंत्र को प्रोत्साहित करने हेतु आवश्यक उपाय विनियमों में शामिल किए जाने चाहिए। ऋण की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, वितरण कम्‍पनियों के ऋण को राज्य सरकारों की देनदारी के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता महसूस की गई

चर्चा के प्रमुख बिंदुओं में यह शामिल था कि लागत को प्रतिबिंबित करने वाले टैरिफ सुनिश्चित करने और सब्सिडी तथा सरकारी विभागों की बकाया राशि का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने, स्मार्ट मीटरिंग कार्यों को तेज़ी से पूरा करने, पावर खरीद अनुकूलन और मांग पूर्वानुमान में सुधार के लिए डेटा एनालिटिक्स के उपयोग को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर राज्य सरकारों और नियामकों की क्या भूमिका होनी चाहिए। साथ ही, वितरण उपक्रमों के ऋण पुनर्गठन के लिए मंत्रियों के समूह (GoM) द्वारा प्रस्तावित नई योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए भी विचार-विमर्श किया गया।

मंत्रिसमूह ने वितरण कम्पनियों की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार लाने के लिए आवश्यक उपाय करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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पीके/केसी/पीके


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