लोकसभा सचिवालय
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भारत तभी एक समावेशी और विकसित राष्ट्र बनेगा जब हमारी बेटियाँ शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगी: लोकसभा अध्यक्ष


‘महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ और बाल कल्याण, 2047 तक विकसित भारत के विज़न की आधारशिला हैं: लोकसभा अध्यक्ष

नारी शक्ति वंदन अधिनियम केवल प्रतिनिधित्व का प्रावधान नहीं है, बल्कि महिलाओं को लोकतंत्र में उनका उचित स्थान दिलाने की ऐतिहासिक पहल है: लोकसभा अध्यक्ष

संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत का संविधान लैंगिक रूप से निष्पक्ष हो और समानता की आधारशिला बने: लोकसभा अध्यक्ष

भारत में महिला नेतृत्व की गौरवशाली परंपरा रही है — प्राचीन विदुषियों और स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अध्यक्ष तक विभिन्न भूमिकाओं में महिलाओं ने नेतृत्व प्रदान किया: लोकसभा अध्यक्ष

महिला सशक्तिकरण एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए नए कानूनों, नीतिगत सुधारों और पंचायत से संसद तक भागीदारी की आवश्यकता है: लोकसभा अध्यक्ष

महिला सशक्तिकरण पर समितियों का सम्मेलन विचारों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समावेशी नीतिनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है: लोकसभा अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष ने तिरुपति में महिला सशक्तिकरण पर समितियों के ऐतिहासिक प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

Posted On: 14 SEP 2025 4:41PM by PIB Delhi

लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण और बाल कल्याण पर आधारितमहिलाओं के नेतृत्व में विकासही 2047 तक विकसित भारत के विज़न की आधारशिला है। तिरुपति में संसद और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं की महिला सशक्तिकरण समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री बिरला ने कहा कि भारत तभी एक समावेशी और विकसित राष्ट्र बनेगा जब हमारी बेटियाँ शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगी। इस सम्मेलन में 20 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजनविकसित भारत हेतु महिलाओं के नेतृत्व में विकासविषय पर किया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप सेलैंगिक उत्तरदायी बजटऔरउभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने हेतु महिलाओं का सशक्तिकरणपर ध्यान केंद्रित किया गया है। विचार-विमर्श का केंद्रबिंदु होगामहिला नेतृत्व को सशक्त बनाना, शासन में उनकी भागीदारी बढ़ाना, समावेशी नीतियाँ सुनिश्चित करना और ऐसे भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाना जहाँ महिलाएँ केवल लाभार्थी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय विकास की मुख्य निर्माता भी हों।

श्री बिरला ने कहा कि महिला सशक्तिकरण पर समितियों का यह प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है। ऐसे सम्मेलन, उन्होंने कहा, विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समावेशी नीतिनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसने देशभर से सांसदों, नीति निर्माताओं और महिला नेताओं को एक साथ लाकर महिला नेतृत्व, समानता और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समावेशन के लिए सामूहिक रूप से रणनीतियाँ तय करने का अवसर प्रदान किया है।

श्री बिरला ने कहा कि तिरुपति सम्मेलन यह स्पष्ट और सशक्त संदेश देता है कि महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण परिधीय विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला हैं। पंचायत से लेकर संसद तक महिला नेतृत्व, समावेशी कानूनों और नीतियों तथा प्रत्येक महिला की आर्थिक स्वतंत्रता पर केंद्रित यह सम्मेलन 2047 तक विकसित भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

लोक सभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि महिला सशक्तिकरण किसी एक सम्मेलन की ही बात नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए जीवन के प्रत्येक चरण में महिलाओं की आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली व्यापक नीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि नीति-निर्माण एवं कानून-निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ाने से उन चुनौतियों और अवरोधों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिनका महिलाओं ने ऐतिहासिक रूप से सामना किया है।

श्री बिरला ने कहा कि जैसे-जैसे भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है, नारी शक्ति एक अजेय शक्ति के रूप में उभर रही है, जो राष्ट्र को शक्ति और समावेशिता की ओर अग्रसर कर रही है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की शक्ति, नेतृत्व और भागीदारी केवल समानता का विषय नहीं है, बल्कि समावेशी और सतत विकास की आधारशिला भी है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा, विज्ञान, शासन, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और नवाचार के क्षेत्रों में भारत जिस तीव्रता से आगे बढ़ रहा है, उसमें महिलाओं की भूमिका और उनका सुरक्षित भविष्य ही राष्ट्रीय प्रगति की गति और स्वरूप को निर्धारित करेगा।

इस अवसर पर, श्री बिड़ला ने महिला स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्मरण किया, जिनके त्याग और समर्पण ने एक अधिक समान और समावेशी समाज की नींव रखी। इन साहसी महिलाओं ने बाधाएँ तोड़ीं, रूढ़ियों को चुनौती दी और नेता, रणनीतिकार तथा परिवर्तनकर्ता के रूप में उभरीं। उनकी विरासत ने सिद्ध किया कि स्वतंत्रता का संग्राम केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि न्याय और समानता के लिए भी एक संघर्ष था। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामुदायिक विकास और महिला अधिकारों जैसे क्षेत्रों में उनके कार्यों ने सुनिश्चित किया कि समानता और न्याय के सिद्धांत स्वतंत्र भारत में जीवित बने रहें।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान सभा में भी 15 महिला सदस्य संविधान निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा थीं और उनके दृष्टिकोण एवं विचारों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत का संविधान लैंगिक रूप से निष्पक्ष हो, जिससे महिलाओं के लिए समान अधिकारों और अवसरों की मजबूत नींव पड़ी। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान में निहित स्वतंत्रता और समानता उन महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का ही परिणाम हैं।

महिला नेतृत्व को रेखांकित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि प्राचीन विदुषियों गार्गी और अनुसूया से लेकर वीरांगनाओं रानी रुद्रमादेवी और रानी लक्ष्मीबाई तक, महिलाओं ने अपने साहस, ज्ञान और त्याग से भारत के इतिहास को गढ़ा है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय महिलाएँ अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल से लेकर साहित्य, तथा स्थानीय शासन से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। भारत में महिला राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, अध्यक्ष और विधायक रही हैं, जो हमारे लिए गर्व का विषय है और यह राष्ट्र की महिला नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

इस संदर्भ में, श्री बिरला ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को एक ऐतिहासिक संवैधानिक सुधार बताया, जिसने इस परिवर्तन को संस्थागत रूप दिया है। उन्होंने गर्व से स्मरण किया कि यह नए संसद भवन में पारित होने वाला पहला विधेयक था, जिसने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया। यह ऐतिहासिक कानून केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि महिलाओं को शासन में उनका उचित स्थान दिलाता है और राष्ट्र के भविष्य को गढ़ने के लिए महिला नेताओं की नई पीढ़ी तैयार करता है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर महिला सशक्तिकरण पर समितियाँ गैर-पक्षपाती तरीके से कार्य करती हैं और समावेशिता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए क़ानूनों, नीतियों और योजनाओं की गहन समीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों की सिफारिशें ऐसी होनी चाहिएँ जो यह सुनिश्चित करें कि देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली अंतिम महिला और अंतिम बच्चे तक स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और प्रगति के अवसरों की पहुँच हो।

प्रधानमंत्री के विज़न का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि प्रत्येक महिला की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ महिलाएँ नेता, नवप्रवर्तक, संरक्षक और उद्यमी के रूप में योगदान नहीं कर रही हैं। गाँव की पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में जमीनी प्रतिनिधियों से लेकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शासन संस्थानों की अध्यक्षता करने वाली महिलाओं तक, भारत में महिलाएँ परिवर्तनकर्ता और राष्ट्रनिर्माता के रूप में उभर रही हैं।

उद्घाटन सत्र में राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश, महिला सशक्तिकरण पर संसदीय समिति की अध्यक्ष श्रीमती डी. पुरंदेश्वरी, आंध्र प्रदेश विधानसभा के सभापति श्री सी. अय्यनपट्ट्रुडु, और आंध्र प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष श्री कोये मोशेनू राजू की गरिमामयी उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश सरकार के मंत्री, विधान सभा और विधान परिषद के सदस्य, तथा संसद और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश विधानसभाओं की महिला सशक्तिकरण समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य भी उपस्थित थे।

सम्मेलन शुरू होने से पहले, लोकसभा अध्यक्ष ने तिरुमला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। अध्यक्ष ने कहा कि तिरुपति, जो लंबे समय से भक्ति, त्याग और महिलाओं के योगदान से जुड़ा पवित्र स्थल है, भारत के विकास यात्रा के केंद्र में महिलाओं और बच्चों को रखने के राष्ट्रीय संकल्प की पुष्टि करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है।

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AM


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