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यूके इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज (यूकेआईआईएफबी) की पहली वार्षिक रिपोर्ट में सतत बुनियादी ढांचे के लिए निवेश को बढ़ावा देने में हुई प्रगति का उल्लेख किया गया


नीति आयोग और सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन के बीच एक अग्रणी स्तर के सहयोग के अंतर्गत यूके इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज (यूकेआईआईएफबी) ने अपनी पहली वार्षिक यूकेआईआईएफबी रिपोर्ट जारी की

Posted On: 09 SEP 2025 9:23PM by PIB Delhi

यूके-इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर ब्रिज की शुरुआत 12 सितंबर, 2023 को 12वीं आर्थिक वार्ता के दौरान की गई थी। इसके बाद, सतत बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए ब्रिटेन-भारत साझेदारी के हिस्से के रूप में नीति आयोग और सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन के बीच सितंबर 2024 में लंदन में पत्रों का आदान-प्रदान हुआ। यूकेआईआईएफबी को नीति आयोग और लंदन शहर के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। इसका लक्ष्य बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना और प्रमुख आधारभूत ढांचागत विकास परियोजनाओं की संरचना व चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन में लंदन शहर की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है। इस साझेदारी का मकसद भारत में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए दीर्घकालिक निवेश सुरक्षित करना है। इस दिशा में यूकेआईआईएफबी की पहली वार्षिक रिपोर्ट का उद्देश्य विविध निवेश तथा वित्तपोषण प्रणाली का निर्माण करना है, जो दीर्घकालिक, स्थिर एवं टिकाऊ हो और जिसमें जोखिम प्रबंधनीय हों।

पहली वार्षिक रिपोर्ट में प्रमुख उपलब्धियों और सिफारिशों का विवरण दिया गया है, जिनमें ये बिंदु शामिल हैं:

  • राजमार्गों और तीव्र परिवहन क्षेत्रों में निवेशकों की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने वाले परियोजना मूल्यांकन ढांचे का विकास;
  • स्थिरता व लचीलेपन को आगे बढ़ाना, परियोजना डिजाइन में जलवायु अनुकूलन और ईएसजी ढांचे को एकीकृत करना;
  • निवेश संबंधी अनिश्चितताओं को कम करने के लिए पारदर्शिता तथा जोखिम न्यूनीकरण को बढ़ाना;
  • बेहतर राजस्व संरक्षण एवं सुव्यवस्थित प्रत्यावर्तन तंत्र के माध्यम से निवेशक रिटर्न को सुरक्षा प्रदान करना;
  • सुसंगत परियोजना पाइपलाइनों का निर्माण करना और ब्रिटेन के बुनियादी ढांचे के प्रायोजकों के साथ दीर्घकालिक संबंधों को बढ़ावा देना;
  • शासन व निगरानी में सुधार के लिए डिजिटल अवसंरचना को अपनाना, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ जाए।

भारत की बढ़ती बुनियादी संरचना संबंधी जरूरतें देश के शहरीकरण, जलवायु प्रतिबद्धताओं और आर्थिक विकास की आकांक्षाओं को बल प्रदान करती हैं। यूकेआईआईएफबी पहल निवेश योग्यता में आने वाली बाधाओं को दूर करके और बड़े पैमाने की परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण "दीर्घावधि पूंजी" के प्रवाह को प्रोत्साहित करके इन परिवर्तनकारी प्रयासों का समर्थन करती है।

यूकेआईआईएफबी की पहली वार्षिक रिपोर्ट के निष्कर्ष अंतर्राष्ट्रीय पूंजी को आकर्षित करने की दिशा में एक व्यावहारिक रोडमैप को दर्शाते हैं: जिसमें मानकीकृत, वैश्विक रूप से निर्देशित परियोजना तैयारी प्रक्रियाओं का विकास करना; भारत की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को व्यापक बनाने हेतु सिफारिशें करना ताकि इसमें पूर्ण-जीवन-चक्र जोखिम विश्लेषण, लचीलापन और आवश्यकतानुसार पैसा प्राप्त करने का विचार शामिल हो; सशक्त जोखिम-साझाकरण व राजस्व संरक्षण ढांचे का संचालन करना; और बुनियादी ढांचे के इकोसिस्टम में डिजिटल निगरानी तथा पारदर्शिता को बढ़ाना शामिल है।

रिपोर्ट में प्रमुख एक्सप्रेसवे तथा रिंग रोड परियोजनाओं से संबंधित केस स्टडी भी प्रस्तुत की गई है और नए परियोजना मूल्यांकन ढांचे के माध्यम से बाजार-परीक्षणित निवेशक-केंद्रित पाइपलाइन बनाने के महत्व को उजागर किया गया है।

जैसे-जैसे यह साझेदारी अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश करेगी, यूकेआईआईएफबी परियोजना मूल्यांकन उपकरणों को परिष्कृत करने, हरित हाइड्रोजन और अपतटीय पवन जैसे क्षेत्रीय कवरेज का विस्तार करने तथा निवेशकों एवं तकनीकी भागीदारों के साथ जुड़ाव को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, ताकि भारत के बुनियादी ढांचे के परिवर्तन के लिए और अधिक पूंजी व सहयोग को हासिल किया जा सके।

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पीके/केसी/एनके


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