भारी उद्योग मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

भारत सरकार ने भारी उद्योग मंत्रालय से संबंधित कई वस्तुओं की जीएसटी दरों में संशोधन किया है। इसकी विस्तृत जानकारी निम्न प्रकार है:

Posted On: 04 SEP 2025 5:31PM by PIB Delhi

ऑटोमोबाइल

  • ऑटोमोबाइल क्षेत्र में दरों में कटौती विभिन्न श्रेणियों में की गई है। इसमें मोटरसाइकिल (350 सीसी तक की बाइक शामिल हैं), बसें, छोटी कारें, मध्यम और लग्जरी कारें, ट्रैक्टर (1800 सीसी से कम) आदि शामिल हैं।
  • ऑटो पार्ट्स पर भी दरों में कमी की गई है।
  • जीएसटी में कमी से मांग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ऑटोमोबाइल निर्माताओं एवं बड़े सहायक उद्योगों (टायर, बैटरियां, घटक, कांच, स्टील, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि) को मदद मिलेगी।
  • वाहनों की बिक्री बढ़ने से इन घटकों की मांग बढ़ेगी, जिससे एमएसएमई पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो इस आपूर्ति श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा है।
  • पूरा ऑटो उद्योग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से विनिर्माण, बिक्री, वित्तपोषण, रखरखाव आदि में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन करता है।
  • मांग में वृद्धि होने से डीलरशिप, परिवहन सेवाओं, परिचालन और घटक एमएसएमई में नयी भर्तियां होंगी।
  • अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों (ड्राइवर, मैकेनिक, छोटे सेवा गैरेज) को भी फायदा होगा।
  • वाहन खरीद भी ऋण-आधारित होती है (एनबीएफसी, बैंक, फिनटेक ऋणदाता)। ऑटो बिक्री में सुधार होने से खुदरा ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, संपत्ति गुणवत्ता में सुधार होगा और अर्ध-शहरी भारत में वित्तीय समावेशन को विस्तार मिलेगा।
  • तर्कसंगत जीएसटी दरों के माध्यम से नीतिगत स्पष्टता ऑटोमोबाइल क्षेत्र में नए निवेश को प्रोत्साहित करेगी। इससे मेक इन इंडिया एवं विनिर्माण क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • जीएसटी दरों में कटौती से पुराने वाहनों के स्थान पर नए और ईंधन-कुशल वाहन अपनाने को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे स्वच्छ गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।

दोपहिया वाहन (350 सीसी तक की बाइक; 350 सीसी की बाइक भी शामिल) – (जीएसटी 28% से घटकर 18% हुआ)

  • कम जीएसटी से मोटरसाइकिल की कीमतें कम हो जाएंगी जिससे यह युवाओं, पेशेवरों और निम्न-मध्यवर्गीय परिवारों के लिए ज्यादा सुलभ होगा।
  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में मोटरसाइकिल परिवहन का प्राथमिक साधन है; सस्ती मोटरसाइकिल से किसानों, छोटे व्यापारियों और दैनिक मजदूरों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
  • जीएसटी कम होने से गिग श्रमिकों को मदद मिलने, दोपहिया वाहन ऋण की लागत और ईएमआई में कमी होने से गिग श्रमिकों की बचत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

छोटी कारें (जीएसटी 28% से घटकर 18% हुआ)

  • किफायती श्रेणी की कारें सस्ती हो जाएंगी, जिससे पहली बार कार खरीदने वालों को प्रोत्साहन एवं घरेलू गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
  • जीएसटी में कमी होने से छोटे शहरों एवं कस्बों में बिक्री को प्रोत्साहन मिलेगा, जहां छोटी कारों ज्यादा चलती हैं।
  • अधिक बिक्री से कार डीलरशिप, सेवा नेटवर्क, चालकों एवं ऑटो-वित्त कंपनियों को लाभ मिलेगा।
  • इसमें 1200 सीसी से कम और लंबाई में 4 मीटर से छोटी पेट्रोल इंजन कारें और 1500 सीसी से कम और लंबाई में 4 मीटर से छोटी डीजल कारें शामिल हैं।

बड़ी कारें (जीएसटी घटाकर एकसमान 40% किया गया, कोई उपकर नहीं)

  • अतिरिक्त उपकर को हटाने से न केवल बड़ी कारों की दरें कम हुई हैं, बल्कि कराधान भी सरल एवं पूर्वानुमानित हुआ है।
  • जीएसटी 40% होने और उपकर नहीं लगने से बड़ी कारों पर प्रभावी कर में कमी आएगी, जिससे वे महत्वाकांक्षी खरीदारों के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा किफायती होंगी।
  • जीएसटी दर को 40% करने और उपकर हटाने से यह भी सुनिश्चित होगा कि ये उद्योग पूरी तरह से आईटीसी के लिए पात्र हैं, जबकि पहले आईटीसी का उपयोग केवल 28% तक ही किया जा सकता था और इसमें उपकर घटक शामिल नहीं था।

ट्रैक्टर (1800 सीसी से कम, 12% से घटकर 5%)

सेमी-ट्रेलरों के लिए सड़क ट्रैक्टर (इंजन क्षमता 1800 सीसी से अधिक, 28% से घटकर 18%)

ट्रैक्टर पार्ट्स पर जीएसटी घटकर 5% हुई

  • भारत दुनिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर बाजारों में से एक है; जीएसटी कटौती से घरेलू एवं निर्यात दोनों क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी।
  • ट्रैक्टर निर्माण के लिए प्रयुक्त होने वाले घटकों जैसे टायर, गियर आदि पर भी केवल 5% कर लगेगा।
  • उत्पादन बढ़ने से इंजन, टायर, हाइड्रोलिक पंप और स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली सहायक एमएसएमई कंपनियां लाभान्वित होंगी। जीएसटी में कटौती से भारत की वैश्विक ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में स्थिति भी मज़बूत होगी।
  • ट्रैक्टरों की किफ़ायती कीमतों से कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इससे धान, गेहूं आदि जैसी प्रमुख फसलों की उत्पादकता में सुधार होगा।

बसें (10 से ज्यादा लोगों की बैठने की क्षमता) [जीएसटी 28% से घटाकर 18% हुआ]

  • जीएसटी दर में कमी से बसों और मिनी बसों (10 से ज्यादा लोगों की बैठने की क्षमता) की प्रारंभिक लागत में कमी आएगी।
  • इससे बेड़े संचालकों, कॉरपोरेट्स, स्कूलों, टूर ऑपरेटरों और राज्य परिवहन उपक्रमों की ओर से मांग को बढ़ावा मिलेगा।
  • यात्रियों के लिए सस्ता टिकट किराया (विशेषकर अर्ध-शहरी/ग्रामीण मार्गों पर)।
  • निजी वाहनों से साझा/सार्वजनिक परिवहन की ओर स्थानांतरण को प्रोत्साहन, जिससे भीड़भाड़ एवं प्रदूषण में कमी आएगी।
  • बेड़े के विस्तार एवं आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन।
  • सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहन।

वाणिज्यिक माल वाहन (ट्रक, डिलीवरी वैन, आदि) [जीएसटी 28% से घटाकर 18% हुआ]

  • ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं (माल यातायात का 65%-70% हिस्सा)।
  • जीएसटी कम करने से ट्रकों की अग्रिम पूंजीगत लागत में कमी, जिससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई दर में कमी।
  • इसका एक श्रृंखलाबद्ध प्रभाव है। यह कृषि उत्पादों, सीमेंट, स्टील, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स वितरण सस्ता हो जाएगा। इससे मुद्रास्फीति के दबावों में कमी आएगी।
  • एमएसएमई ट्रक मालिकों को सहायता मिलेगी, जो भारतीय सड़क परिवहन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हैं।
  • सस्ते ट्रक सीधे तौर पर परिचालन लागत में कमी लाने में मदद करते हैं, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।
  • माल परिवहन के थर्ड-पार्टी बीमा पर आईटीसी के साथ जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करना भी इन प्रयासों का पूरक है।
  • इसमें 'रेफ्रिजरेटेड मोटर वाहन' शामिल नहीं (उनका एक अलग वर्गीकरण है)।
  • प्रधानमंत्री गति शक्ति एवं राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लक्ष्यों के साथ संरेखित करने में मददगार।

ऑटो घटक

कार और मोटरसाइकिल के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले अधिकांश घटकों, अर्थात् ऑटो घटकों पर भी जीएसटी दर घटाकर 18% की गई है।

उल्लेखनीय है कि माल एवं यात्रियों के परिवहन से जुड़ी सेवाओं में भी महत्वपूर्ण बदलाव एवं सुधार हुए हैं। आवश्यकतानुसार दरों में कमी की गई है और आईटीसी को पारित किया गया है जिससे व्यापक प्रभाव से बचा जा सके।

इसके अलावा, सड़क मार्ग से संपूर्ण माल परिवहन और यात्री परिवहन को दो दरों का विकल्प प्रदान किया गया है अर्थात 5% या 18%, जिसे वे अपने व्यवसाय की आवश्यकतानुसार चुन सकते हैं।

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