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"विनियमन कोई बंधन नहीं है, यह एक ऐसा बगीचा है जिसे पोषित किया जाना चाहिए": भारत ने जीएसआर 2025 में डिजिटल शासन में वैश्विक बदलाव का आह्वान किया


केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नियामकों के लिए वैश्विक संगोष्ठी 2025 में कहा-"हम केवल नेटवर्क नहीं बनाएंगे, हम राष्ट्र भी बनाएंगे"

भारत के डिजिटल विनियमन मॉडल ने आईटीयू के जीएसआर 2025 में वैश्विक ध्यान आकर्षित किया

श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नियामकों से केवल प्रवर्तनकर्ता नहीं, बल्कि इकोसिस्टम निर्माता बनने का आग्रह किया

Posted On: 01 SEP 2025 6:35PM by PIB Delhi

केंद्रीय संचार मंत्री, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने सऊदी अरब के रियाद में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के नियामकों के लिए वैश्विक संगोष्ठी (जीएसआर) 2025 को आज वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। श्री सिंधिया ने अपने संबोधन में, वैश्विक नियामक समुदाय से द्वारपालों से आगे बढ़कर समावेशी डिजिटल इकोसिस्टम के निर्माता बनने का एक साहसिक आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री महोदय ने "नियामकों को डिजिटल इकोसिस्टम निर्माता बनने के लिए क्या करना होगा?" विषय पर आयोजित उच्च-स्तरीय कार्यकारी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते हुए भारत को दूरदर्शिता, विश्वास और समावेशी नवाचार पर आधारित नियामक परिवर्तन के एक वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित किया।

नियामकों के लिए वैश्विक संगोष्ठी (जीएसआर) अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) द्वारा आयोजित एक वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है, जहाँ 190 से अधिक देशों के राष्ट्रीय आईसीटी नियामक प्राधिकरणों के प्रमुख, नीति निर्माता, उद्योग जगत के नेता और डिजिटल विशेषज्ञ दूरसंचार और आईसीटी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नियामक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं।

इस वर्ष, जीएसआर-25 का 25वाँ संस्करण, सऊदी अरब द्वारा आईटीयू के सहयोग से, 31 अगस्त से 3 सितंबर तक सऊदी अरब के रियाद में आयोजित किया जा रहा है। इसका विषय "स्थायी डिजिटल विकास के लिए विनियमन" है।

श्री सिंधिया ने प्रतिष्ठित वैश्विक श्रोताओं को संबोधित करते हुए जीएसआर की तुलना अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के एक प्रकाश स्तंभ से की और इसे एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया "जहाँ ज्ञान नवाचार को अपनाता है और जहाँ हम मिलकर अपने साझा डिजिटल भाग्य का मार्ग निर्धारित करते हैं।" केंद्रीय मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "इस वर्ष का विषयसतत डिजिटल विकास के लिए विनियमनतात्कालिकता और आशा से ओतप्रोत है।"

केंद्रीय मंत्री महोदय श्री सिंधिया ने सत्र के मुख्य प्रश्न का उत्तर देते हुए ने तीन प्रमुख आयामों को रेखांकित किया जो एक डिजिटल इकोसिस्टम निर्माता के रूप में नियामक की नई भूमिका को परिभाषित करते हैं। पहला, नियामकों को प्रतिक्रियात्मक नियम-निर्धारण से सक्रिय इकोसिस्टम डिज़ाइन की ओर बढ़ना होगा। इसमें सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना और अंतर-संचालनीय प्लेटफ़ॉर्म के लिए सक्षम ढाँचे शामिल हैं। दूसरा, उन्हें नियामक सैंडबॉक्स बनाकर नवाचार को प्रेरित करना होगा, जो उपयोगकर्ता सुरक्षा या बाज़ार स्थिरता से समझौता किए बिना नए विचारों का परीक्षण करने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करता है। तीसरा, नियामकों को नागरिक-केंद्रित नीतियों, शिकायत निवारण व्यवस्थाओं और मज़बूत डेटा सुरक्षा मानकों के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था के केंद्र में विश्वास को समाहित करना होगा।

भारत के अनुभव को इस बदलाव के एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। केंद्रीय मंत्री महोदय ने भारत में 5-जी सेवा शुरू होने के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। इसमें 776 जिलों में 99.9 प्रतिशत ज़िला कवरेज हासिल करना, 30 करोड़ से ज़्यादा उपयोगकर्ताओं को जोड़ना और दुनिया में प्रति व्यक्ति डेटा उपयोग के मामले में सबसे ज़्यादा उपलब्धि हासिल करना शामिल है।

इस प्रगति में नीतिगत सुधारों की प्रमुख भूमिका रही है। दूरसंचार अधिनियम, 2023 और दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 ने औपनिवेशिक काल की विरासतों की जगह एआई और क्वांटम युग के लिए उपयुक्त क़ानूनी ढाँचे को स्थापित किया है। भारत का नया डिजिटल सार्वभौमिक सेवा कोष, डिजिटल भारत निधि, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के एक ऐसे मॉडल का उदाहरण है जो देश के प्रत्येक भाग तक कनेक्टिविटी और डिजिटल समानता सुनिश्चित करता है।

उन्होंने प्रमुख भारतीय पहलों, आधार, जन धन योजना, पीएम-वाणी, भारतनेट और इंडिया पोस्ट का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे नियमन डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को विकसित और विस्तारित कर सकता है। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ़ कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि "सशक्तिकरण की जीवंत धमनियाँ" हैं, जो नागरिकों को सम्मान और अवसर से जोड़ती हैं।

केंद्रीय मंत्री महोदय श्री सिंधिया ने स्पेक्ट्रम बैंडों में सामंजस्य स्थापित करने, लागतों को युक्तिसंगत बनाने और आपदा-प्रतिरोधी हरित नेटवर्क सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने डिजिटल क्षेत्र में निष्पक्षता, पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करने हेतु एक वैश्विक मानक के रूप में एक डिजिटल उपभोक्ता चार्टर के विकास का प्रस्ताव रखा।

भारत का मानना ​​है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक संतुलित नियामक दृष्टिकोण के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए, जो सुरक्षा, नैतिकता और समावेशिता सुनिश्चित करते हुए नवाचार का समर्थन करे। इसका लक्ष्य एक ऐसा नियामक ढांचा स्थापित करना है जो खुला, आसान और जनहित के लिए बना हो। माननीय मंत्री ने ज़ोर दिया कि भारत नवाचार में बाधा डालने वाले प्रतिबंधात्मक नियम लागू नहीं करना चाहता, लेकिन साथ ही, वह एआई के दुरुपयोग के संभावित खतरों को भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। इसी उद्देश्य से, भारत ने 2024 में 10,371.92 करोड़ रुपये (1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के बजट के साथ इंडियाएआई मिशन शुरू किया।

केंद्रीय मंत्री महोदय श्री सिंधिया ने विकसित होते नियामक परिदृश्य पर विचार करते हुए कहा कि विनियमन अब लाइसेंस जारी करने या दंड लागू करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह दृष्टिकोण निर्धारित करने, विश्वास बनाने और भविष्य के लिए तैयार समाजों को आकार देने के बारे में है। श्री सिंधिया ने अपने दृष्टिकोण को इस टिप्पणी के साथ अभिव्यक्त किया, "यदि हम सफल होते हैं, तो हम लोगों को केवल जोड़ेंगे नहीं, बल्कि हम उन्हें सशक्त बनाएंगे। हम केवल नेटवर्क नहीं बनाएंगे, बल्कि हम राष्ट्र निर्माण करेंगे।"

जीएसआर 2025 में भारत की भागीदारी ने देश के केवल दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल समाज के रूप में उभरने, बल्कि नियामक नवाचार में एक विचारक नेतृत्व के रूप में उभरने को भी उजागर किया। यह जो एक ऐसे डिजिटल भविष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध है जो सुरक्षित, समावेशी और वैश्विक रूप से सामंजस्यपूर्ण हो।

(ट्वीट लिंक: https://x.com/JM_Scindia/status/1962481015399833845)

 

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